हरियाणा के बहुचर्चित निकिता तोमर हत्याकांड में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तौशीफ और रेहान को दोषी ठहराया है। देशी पिस्तौल देने के आरोपित अजरू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। दोषियों की सजा तय करने के लिए अदालत ने 26 मार्च की तारीख दी है। दोनों को निकिता की हत्या व साजिश रचने का दोषी ठहराया गया।
अदालत ने बेहद चर्चित मामले का पांच महीने के अंदर निपटारा किया और इसके लिए 31 तारीखें लगीं। अदालत ने हर सप्ताह कम से कम दो तारीख इस मुकदमे की सुनवाई के लिए निर्धारित कीं। मामले में पहली सुनवाई 17 नवंबर 2020 को हुई। मुकदमे में निकिता पक्ष की तरफ से 57 गवाह पेश हुए। बड़ी संख्या में फारेंसिक रिपोर्ट व अन्य सबूत अदालत के सामने रखे गए।
गौरतलब है कि अदालत में पेश मुकदमे के अनुसार निकिता 26 अक्टूबर, 2020 को बीकाम अंतिम वर्ष की परीक्षा देकर कालेज से बाहर निकली थी। इस दौरान कालेज के बाहर तौशीफ और रेहान ने निकिता को खींचकर कार में बैठाने की कोशिश की, मगर असफल रहे। इससे गुस्से में तौशीफ ने देशी पिस्तौल से गोली मारकर निकिता की हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देकर दोनों कार में बैठकर फरार हो गए। यह वारदात कालेज के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
अपराधियों को मिले अधिकतम सजा
अदालत के फैसले पर परिवार वालों का कहना है कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। निकिता के पिता मूलचंद तोमर ने उम्मीद जताई कि 26 मार्च को अदालत दोनों दोषियों को अधिकतम सजा सुनाएगी। अदालत ने जिस तरह से पांच महीने में सुनवाई पूरी कर ली, उससे काफी उम्मीद बंधी है। मुझे विश्वास है कि मेरी बेटी को न्याय मिलेगा।
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