बिहार में जंगलराज की याद राजद और वामदलों ने दिला दी। सदन में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक—2021 के विरोध में विपक्ष के हंगामें के कारण बिहार की छवि तार-तार हुई। बिल के विरोध में विपक्ष ने विधान सभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू कर दिया। सदन में न सिर्फ बिल की प्रति फाड़ी गई, बल्कि उप मुख्यमंत्री से इसकी प्रति छीनने की भी कोशिश की गई
मंगलवार का दिन बिहार की प्रतिष्ठा के लिए अमंगल के रूप में आया। सदन से सड़क तक हंगामा मचता दिखा। कोई पुलिस दल पर पत्थरबाजी कर रहा था तो कोई पत्रकारों को पीट रहा था। यह दृश्य 23 मार्च का है। इस दिन राजद ने विधान सभा के घेराव की घोषणा की थी। 23 मार्च को पटना की सड़कों पर राजद का हंगामेदार प्रदर्शन होता रहा। पटना के फ्रेजर रोड चौराहे पर पुलिस बल से राजद कार्यकर्ता उलझ गए। पुलिस पर पत्थरबाजी की गई। कार्यक्रम को कवर करने गए पत्रकारों को भी इन हुल्लड़बाजों ने नहीं छोड़ा। कुछ पत्रकारों को चोटें भी आई। कुछ पत्रकार पुलिस के हाथों भी पिट गए।
दरअसल बिगड़ती कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक के खिलाफ मंगलवार को राजद की ओर से प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। अपनी मांगों को लेकर राजद कार्यकर्ता विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे। जब राजद कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोका तो ये कार्यकर्ता पुलिस से उलझ गए। पुलिस ने पानी की बौछार की। इससे बौखलाकर राजद कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। साढ़े बारह बजे स्थिति बिकट हो गई। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव को हिरासत में लेने के बाद मामला शांत हुआ। पथराव व मारपीट के मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से कड़ा कदम उठाया गया है। गांधी मैदान और कोतवाली में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, जगदानंद सिंह समेत 15 नामजद व 3 हजार अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ संबंधित क्षेत्र के दंडाधिकारियों की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। वहीं, मारपीट व पथराव के दौरान एक डीएसपी, तीन मजिस्ट्रेट, कोतवाली प्रभारी सुनील कुमार सिंह समेत 18 से अधिक पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं। इनका प्राथमिक उपचार कराया गया है।
एक तरफ तो सड़क का यह दृश्य था। वहीं सदन में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 के विरोध में सदन में विपक्ष के हंगामें के कारण बिहार की छवि तार-तार हुई। यह बिल मंगलवार को ही पेश होना था। इसके विरोध में विपक्ष ने सुबह 11 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू कर दिया। सदन में न सिर्फ बिल की प्रति फाड़ी गई, बल्कि उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद से इसकी प्रति छीनने की भी कोशिश की गई। साढ़े पांच घंटे तक विधानसभा पर विपक्ष का कब्जा रहा। विधान सभा की कार्यवाही बार—बार स्थगित करनी पड़ी। साढ़े चार बजे के बाद तो विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को एक प्रकार से बंधक बना लिया। सभाध्यक्ष सदन में न जा सकें, इसलिए विपक्षी सदस्य उनके कार्यालय कक्ष के सामने ही धरने पर बैठ गए। यही नहीं, उनके कक्ष के मुख्य द्वार को रस्सी बांधकर बंद कर दिया। चौथी बार 4:30 बजे सदन की कार्यवाही शुरू करने के लिए बेल बजती रही, लेकिन विपक्ष अध्यक्ष के दरवाजे पर खड़ा रहा। अध्यक्ष की अपील भी काम नहीं आई। इसके बाद वहां पटना के डीएम और सुरक्षाकर्मियों को बुलाना पड़ा। लेकिन वह भी नाकाम रहे। उल्टे उन्होंने पुलिस को भी खदेड़ दिया। इसके बाद वहां पुलिस और विपक्ष के बीच धक्का—मुक्की शुरू हुई। डीएम और एसएसपी से भी धक्का मुक्की की गई। इसके बाद भारी हंगामे के बीच सुरक्षाकर्मियों द्वारा विधायकों को खींचकर बाहर ले जाया गया। सदन के अंदर भी इसी प्रकार का दृश्य था। भाकपा माले के विधायक हंगामा करने में सबसे आगे थे। विपक्ष की ओर से मंत्री की बेंच की ओर माइक्रोफोन भी फेंका गया। सदन के अंदर से भी हंगामा करने वाले विधायकों को खींचकर बाहर किया गया। विपक्ष अपनी बेंच पर नारेबाजी करता रहा। विपक्ष द्वारा सदन के वहिष्कार के बाद कार्यवाही चलनी शुरू हुई। सत्तापक्ष ने इसे बिहार की संसदीय इतिहास का काला अध्याय बताया है। वहीं विपक्ष ने काला कानून का विरोध करने पर पुलिस की कार्यवाही की तुलना हिटलरशाही से की है।
टिप्पणियाँ