खत्म होगा खेला-तोला!
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

खत्म होगा खेला-तोला!

by WEB DESK
Mar 22, 2021, 01:39 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बंगाल में प्रथम चरण का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे भद्रलोक को जकड़े बैठा हिंसक राजनीतिक का भय कमजोर पड़ने लगा है। लोग स्पष्ट तौर पर कहने लगे हैं कि बंगाल तुष्टीकरण और हिंसा की राजनीति से तंग आ चुका है। चुनाव के प्रति लोगों की बेसब्री क्या सत्ता परिवर्तन का संकेत है !

पश्चिम बंगाल का चुनावी रण और घमासान होता जा रहा है। मुख्य मुकाबला भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ही है। कांग्रेस, माकपा और इंडियन सेकुलर फ्रंट के बीच गठबंधन है, पर इसकी चर्चा कम ही हो रही है। इस रपट के लिखे जाने तक राहुल गांधी अभी तक बंगाल नहीं पहुंचे थे। इस कारण लोग कह रहे हैं कि कांग्रेसनीत गठबंधन गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ रहा है। कुछ तो यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस केवल दिखाने के लिए चुनाव लड़ रही है। वास्तव में वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार के अंध विरोध के कारण ममता को परोक्ष समर्थन दे रही है। यही कारण है कि वह ठीक से चुनाव प्रचार भी नहीं कर रही है। इसलिए कांग्रेस गठबंधन कहीं मुकाबले में भी नहीं दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्टÑीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेता धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उधर ममता बनर्जी और तृणमूल के अन्य नेता भी लगातार रैलियां कर रहे हैं।

इस चुनाव में नेताओं के दलबदल से भी समीकरण बदला हुआ दिख रहा है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने ही सबसे ज्यादा दलबदल किया है और उनमें से अधिकतर भाजपा में शामिल हुए हैं। इससे एक बात तो साफ दिखती है कि तृणमूल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति उनके ‘अपने’ लोगों में ही कितनी नाराजगी है। इस नाराजगी को दूर करने के लिए ममता इन दिनों अपने पैर में लगी चोट को अपने पर ‘हमला’ बताकर लोगों की सहानूभूति पाने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने यह कह कर उनकी धार को कमजोर कर दिया है कि जब भाजपा के 130 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई तब ममता ने उनके प्रति दर्द क्यों नहीं दिखाया! आएदिन ममता के बयानों पर गौर करने से पता चलता है कि उन्हें हार का डर सताने लगा है। नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का उनका फैसला उलटा पड़ता दिख रहा है। यही कारण है कि वे बार-बार नंदीग्राम जा रही हैं। पैर पर लगी चोट की बात कर अपने को ‘प्रताड़ित’ बता रही हैं। लेकिन राज्य के लोग उनकी इन बातों का मजाक ही उड़ा रहे हैं। नंदीग्राम में भाजपा नेता ज्योतिर्मय महतो कहते हैं, ‘‘नंदीग्राम में हार के डर से ममता बनर्जी झूठ फैला रही हैं कि उन पर हमला किया गया। ऐसा कहकर उन्होंने नंदीग्राम के लोगों का अपमान किया है।’’

चोट पर ममता के दावे और चुनाव आयोग के बयान में विरोधाभास है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि करीब दो दर्जन पुलिस वालों के रहते कोई ममता के पैर को कुचल कर कैसे भाग सकता है? कोलकाता के टॉलीगंज इलाके के निवासी देबतोष रक्षित कहते हैं, ‘‘चुनाव के दौरान ऐसा तब होता है जब आपको अपनी हार का आभास हो जाए। ममता ने महसूस कर लिया है कि स्थितियां उनके नियंत्रण से बाहर निकल गई हैं और सत्ता से उनकी विदाई का समय आ गया है। अब कोई नाटक काम नहीं आएगा।’’ रक्षित कहते हैं, ‘‘ममता भवानीपुर छोड़कर नंदीग्राम गई हैं। यहां भी उन्हें शुवेंदु अधिकारी से तगड़ी टक्कर मिल रही है।’’ ममता के अपने मंत्रियों और वरिष्ठ सहयोगियों के एक के बाद एक तृणमूल छोड़ने से साफ संदेश गया है कि उनकी वह ताकत नहीं रही, जो 2016 या उससे पहले 2011 में थी।

तृणमूल में बड़े पैमाने पर दलबदल की शुरुआत नवंबर, 2017 में हुई, जब ममता के बेहद करीबी मुकुल रॉय ने पार्टी छोड़ी थी। इसके बाद शुवेंदु अधिकारी जैसे दिग्गज नेता ने भी ममता का साथ छोड़कर यह संदेश दिया कि अब ममता का ‘खेला’ बंद होने जा रहा है।

भाजपा के चुनावी प्रदर्शन का क्षेत्रवार विश्लेषण बताता है कि इसने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल के जंगलमहल और कुछ पहाड़ी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन दक्षिण बंगाल और कोलकाता तथा उसके आसपास की सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की पकड़ बनी रही। इसीलिए भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि दक्षिण बंगाल तथा हुगली, हावड़ा एवं कोलकाता के आसपास के क्षेत्रों की महत्वपूर्ण सीटों पर जीत हासिल करने से भाजपा की सत्ता में आने की संभावना बढ़ सकती है। इसी वजह से भाजपा ने ममता मंत्रिमंडल में वन मंत्री रहे राजीब बनर्जी को हावड़ा जिले के डोमजूर से अपना प्रत्याशी बनाया है। हावड़ा क्षेत्र में वैशाली डालमिया जैसे कई प्रमुख तृणमूल नेता भी भाजपा में शामिल हुए हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में तीन मंत्रियों सहित तृणमूल के 14 विधायक भाजपा में चले गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, ‘‘तृणमूल के समर्पित कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता तक अपमानित महसूस कर रहे हैं। इस वजह से वे लोग पार्टी छोड़ रहे हैं।’’ जिन लोगों ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ी है, उनमें चार बार की विधायक सोनाली गुहा और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी दीपेंदु विश्वास, जट्टू लाहिड़ी और शीतल कुमार सरदार भी शामिल हैं। आसनसोल से दो बार के विधायक और पूर्व महापौर जितेंद्र तिवारी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। 2019 के आम चुनाव में राज्य की 121 विधानसभा सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने 164 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। भाजपा ने जंगलमहल और उत्तरी बंगाल में 67 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। दक्षिण बंगाल की 167 सीटों में से केवल 48 पर भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा था।

नंदीग्राम राज्य की सर्वाधिक चर्चित सीट बन गई है। यहां भाजपा के शुवेंदु अधिकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री देबाश्री चौधुरी कहती हैं, ‘‘नंदीग्राम में बेरोजगारी, घुसपैठ के कारण स्थानीय लोगों का पलायन, कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति जैसे मुद्दे तो हैं ही अब एक और मुद्दा जुड़ गया है और वह है नंदीग्राम का अपमान। ममता ने एक दुर्घटना को हमला बताकर नंदीग्राम के लोगों का अपमान किया है। इसे लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’

अब बात बैरकपुर के आसपास की। इस क्षेत्र में भी तृणमूल की ताकत बहुत कम रह गई है। कभी तृणमूल के रणनीतिकार रहे दिनेश त्रिवेदी और अर्जुन सिंह ने पाला बदल लिया है। अर्जुन सिंह तो इन दिनों भाजपा के सांसद भी हैं। इन दोनों नेताओं के भाजपा में जाने से बैरकपुर क्षेत्र में उसकी ताकत बढ़ी है। इसका असर बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों (अमडंगा, बीजपुर, नैहाटी, भाटपारा, जगतदल, नोआपाड़ा और बैरकपुर) में दिख रहा है। लगभग 15,00,000 मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में तृणमूल की हालत पतली दिख रही है।

दक्षिण 24-परगना जिले के सोनारपुर दक्षिण में फिल्मी सितारों की भिड़ंत होने जा रही है। तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी अभिनेत्री लवली मोइत्रा के खिलाफ भाजपा ने यहां एक अन्य अभिनेत्री अंजना बसु को प्रत्याशी बनाया है।
हावड़ा की श्यामपुर सीट से भाजपा के टिकट पर अभिनेत्री तनुश्री चक्रवर्ती चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला यहां से लगातार चार बार (2001, 2006, 2011 और 2016) जीत हासिल करने वाले तृणमूल के कल्पदा मंडल से है। बंगाली सिनेमा के गढ़ टॉलीगंज से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को उम्मीदवार बनाया है। वे इस समय आसनसोल से सांसद हैं। उनके मुकाबले तृणमूल के बड़े नेता अरूप विश्वास चुनाव लड़ रहे हैं।

दक्षिण कोलकाता की जादवपुर सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि यह सीट 2011 को छोड़कर 1967 से माकपा के पास रही है। माकपा को टक्कर देने के लिए भाजपा ने यहां से वामपंथी रहीं रिंकू नस्कर को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक माकपा के सुजन चक्रवर्ती से है।

अलीपुरद्वार सीट से भाजपा की तरफ से भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अशोक लाहिड़ी चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के सौरभ चक्रवर्ती से है। 1977 से यह सीट लगातार रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के पास रही है, सिवाय 2011 के। 2011 में यहां से तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में रही कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का संसदीय क्षेत्र है डायमंड हार्बर। डायमंड हार्बर के नाम से विधानसभा क्षेत्र भी है। भाजपा ने जिस तरह से भ्रष्टाचार और तोलाबाजी के मामले में अभिषेक को निशाने पर रखा है, उसको देखते हुए लोग कह रहे हैं कि इस बार यहां भाजपा अपना खाता खोल सकती है। भाजपा ने यहां से दो बार तृणतूल के विधायक रहे दीपक हलदर को टिकट दिया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पन्नालाल हलधर चुनाव लड़ रहे हैं। एक दूसरी चर्चित सीट है तारकेश्वर। यहां से भाजपा ने विख्यात स्तंभकार और राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता को मैदान में उतारा है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने दो बार के विधायक और पूर्व पुलिस अधिकारी रहे रछपाल सिंह का टिकट काटकर यहां से रामेंदु सिंघा रॉय को प्रत्याशी बनाया है। अब देखना यह है कि भाजपा की रणनीति सही है या फिर तृणमूल की। हालांकि लोग चुनावी चर्चा में बहुत मुखर होते जा रहे हैं। इसका फायदा किसको मिलेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है। लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि खेला-तोला का खेल इस बार खत्म हो सकता है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

India Pakistan Ceasefire News Live: ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों का सफाया करना था, DGMO राजीव घई

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थरूर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies