केरल में चुनाव से ठीक पहले सोने की तस्करी से सुर्खियों में आई स्वप्ना सुरेश ने घोटाले में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को सीधे शामिल बताया है। मुख्यमंत्री की कई अन्य घोटालों में भी संलिप्तता के सुराग हैं।
केरल विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की स्थिति अच्छी नहीं है। वे समझ रहे थे कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) या उनके अपने दल माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के मुकाबले भाजपानीत राजग के कमजोर होने और यूडीएफ में आंतरिक मतभेदों के चलते उनका समूह सत्ता को बरकरार रख सकेगा। लेकिन, अब हालात बदल गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन के नेतृत्व में 7 मार्च को तिरुअनंतपुरम में विजय यात्रा के बाद भाजपा राज्य में एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरी है। यात्रा के समापन वाले दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिनरई को चुनौती देते हुए कुछ सवाल उठाए थे। मुख्यमंत्री दो दिन बाद भी उन सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं थे।
गृह मंत्री ने पिनरई के सामने आठ सवाल रखे थे। इन सभी सवालों का संबंध राज्य में समकालीन राजनीतिक और सामाजिक विकास से था। इनमें विवादास्पद स्वर्ण तस्करी मामले से मुख्यमंत्री का कथित संबंध, विवादास्पद स्वप्ना सुरेश के साथ उनके करीबी संबंध और कुछ साल पहले एक व्यक्ति की रहस्यमय मौत से जुड़े सवाल शामिल थे। सकते में आए मुख्यमंत्री जब सीधा हमला करते इन सवालों का जवाब देने में असमर्थ रहे, तो उन्होंने कुछ अर्थहीन सवाल उठा दिए।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत दर्ज कराए स्वप्ना सुरेश के बयान से पिनरई की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। समाचारों के अनुसार, स्वप्ना के बयान के आधार पर सीमाशुल्क विभाग ने गत 4 मार्च को केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि विदेशी मुद्रा तस्करी मुख्यमंत्री पिनरई तथा विधानसभा अध्यक्ष पी. रामाकृष्णन के दबाव पर की गई थी। इसी बीच, कोच्चि के सीमाशुल्क आयुक्त (निरोधक) सुमित कुमार ने उच्च न्यायालय में कथित बयान दिया है कि स्वप्ना ने ‘चौंकाने वाले तथ्य’ उजागर किए हैं जिनसे पिनरई और संयुक्त अरब अमीरात की पूर्व महावाणिज्यदूत के नजदीकी सम्पर्कों का पर्दाफाश हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा है कि स्वप्ना ने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और राज्य के तीन कैबिनेट मंत्रियों के संबंध में भी चौंकाने वाली जानकारी दी है। स्वप्ना के बयान में इस मामले में अति महत्वपूर्ण लोगों के शामिल होने और विभिन्न सौदों के लिए विभिन्न स्रोतों से ली गई रिश्वत का भी उल्लेख है। बताया जाता है कि उन्होंने अपने बयान में कहा है कि चूंकि वह अरबी भाषा जानती हैं, इसलिए उन सौदों में अनुवादक के रूप में काम करते हुए वे उनकी प्रत्यक्षदर्शी थीं। स्वप्ना का बयान राज्य के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर की राज्य के कुछ अति महत्वपूर्ण राजनेताओं और संयुक्त अरब अमीरात वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों तथा कुछ अन्य लोगों के बीच सम्पर्क सेतु जैसी भूमिका का उल्लेख भी करता है। ये गतिविधियां विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के रूप में अवैध वित्तीय लेन-देन के समन्वय से संबंधित थीं।
बताया गया है कि सीमा शुल्क विभाग अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 और सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 108 के तहत दर्ज किए गए स्वप्ना सुरेश के बयान की प्रतियां सीलबंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए तैयार था। इन बयानों में अधिकांश तथ्य स्वप्ना की अपनी सटीक जानकारी के आधार पर हैं, इसलिए उन्हें किसी उचित कार्रवाई में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। बयान में कहा गया है कि स्वप्ना द्वारा अपने जीवन को खतरे के बारे में जताई गई आशंका वास्तव में उचित थी और उसके द्वारा सुरक्षा की मांग करना गलत नहीं था, क्योंकि सामने आए तथ्य बेहद संवेदनशील थे।
केरल सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट अदालत का यह कहना कि स्वप्ना के कथन को नजरअंदाज करने का कोई आधार नहीं है, कानून की दृष्टि में दोषपूर्ण है, क्योंकि यह टिप्पणी जेल महानिदेशक से रिपोर्ट मांगे बिना की गई थी। याचिका में कहा गया है कि एसीजेएम अदालत को टिप्पणी करने से पहले जेल अधिकारियों से विवरण मांगना चाहिए था और उनका सत्यापन करना चाहिए था।
18_1 H x W: 0 लाइफ मिशन घोटाले के सिलसिले में यूनिटैक के प्रबंध निदेशक संतोष इयप्पन से स्वप्ना को मिले छह आईफोन में से एक माकपा के वरिष्ठ नेता और पिनरई के बहुत नजदीकी कोडियरी बालाकृष्णन की पत्नी विनोदिनी के पास था।
कोडियेरी का छोटा बेटा नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध धन के लेन-देन के मामले में कर्नाटक की जेल में है। उनका बड़ा बेटा संयुक्त अरब अमीरात में कथित गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल था
मुख्यमंत्री पिनरई के करीबी कोडियरी बालकृष्णन और उनकी पत्नी विनोदिनी
अब, रपटों से पता चलता है कि सोने की तस्करी के मामले को उलट-हवाला के माध्यम से डॉलर की तस्करी के मामले के नीचे दबा दिया गया है। इस मामले के आरोपी भी वही लोग हैं जो सोने की तस्करी के मामले में थे। इस मामले की कार्यविधि के बारे में पता चला है कि त्रिशूर जिले में लाइफ मिशन के मकानों के निर्माण की परियोजना हासिल करने में मदद करने के लिए यूनिटैक के प्रबंध निदेशक संतोष इयप्पन से रिश्वत के रूप में मिले पैसों को अमेरिकी डॉलर में बदलकर कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात के तिरुअनंतपुरम स्थित महावाणिज्य दूतावास में वित्त विभाग के तत्कालीन प्रमुख के माध्यम से देश से बाहर भेजा गया था।
यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री की रातों की नींद हराम करने के लिए पर्याप्त हैं। लेकिन, और भी बुरी सूचनाओं का आना जारी है। अभी हाल में जांच एजेंसियों ने पाया है कि लाइफ मिशन घोटाले के सिलसिले में यूनिटैक के प्रबंध निदेशक संतोष इयप्पन से श्रीमती स्वप्ना को मिले छह आईफोन में से एक माकपा के वरिष्ठ नेता और पिनरई के बहुत प्रिय कोडियरी बालाकृष्णन की पत्नी विनोदिनी बालाकृष्णन के पास था। पूर्व गृह मंत्री बालाकृष्णन ने हाल ही में खराब स्वास्थ्य के कारण पार्टी के राज्य सचिव का पद छोड़ दिया था। बताते हैं कि यह हैंडसेट सभी छह हैंडसेट में सबसे महंगा था। संतोष इयप्पन को एक टीवी चैनल पर यह कहते सुना गया था कि स्वप्ना ने उसे बताया था कि यह फोन संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूत के लिए था।
कोडियरी का छोटा बेटा नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध धन के लेन-देन के मामले में कर्नाटक की जेल में है। उनका बड़ा बेटा भी कुछ महीने पहले खबरों में था। बिहार की एक लड़की ने उस पर यौन शोषण और अपने बेटे का पिता होने के आरोप लगाए थे। कोडियरी के इसी बेटे के बारे में ये खबरें भी थीं कि वह संयुक्त अरब अमीरात में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल था और वहां अदालती कार्रवाई का सामना कर रहा था। बाद में पता चला कि कुछ रसूखदार लोगों ने उसकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं की भरपाई की, तब कहीं वह मुक्त हो सका था।
इन सब के बावजूद, कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ इन बातों को उजागर करने और पूरी ताकत से सरकार का विरोध करने का इच्छुक नहीं है। सही सोच वाले लोगों का मानना है कि यह स्थिति दोनों मोर्चों के बीच पिछले कई दशकों से चल रही समझौते की राजनीति की वजह से है। केवल भाजपा (और राजग) ही ऐसा राजनीतिक संगठन है जो एलडीएफ और पिनरई का विरोध करते हुए उनका पर्दाफाश करता रहा है। विधानसभा में केवल एक विधायक होने के बावजूद, भाजपा ही प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन के नेतृत्व में केरल में असली विपक्ष के रूप में उभरी है। पार्टी का यह कायापलट शबरीमला आंदोलन के दौरान शुरू हुआ था।
ऐसे में, पिनरई विजयन हर तरह से अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। और, अगर इतने पर भी वह अगले महीने के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में लौटते हैं तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए काला दिन होगा।
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