यूं तो तुष्टीकरण की राजनीति कांग्रेस के डीएनए में है, लेकिन जब से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से समय-समय पर इनके मुस्लिम प्रेम के उदाहरण देखने को मिलते रहते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों बजट घोषणाओं में मुसलमानों के मजहबी स्थलों के लिए 100 करोड़ रुपए का पैकेज दिया है। इसके तहत राज्य सरकार सरवाड़ दरगाह— अजमेर, दरगाह तन्हा पीर मंडोर—जोधपुर, दरगाह कपासन— चितौड़, हमीमुद्दीन दरगाह—नागौर, मिठ्ठेशाह दरगाह— झालावाड़, नरहड़ की दरगाह—झुंझनु, हकीम साहब की दरगाह—सीकर, मीर कुर्बान अली दरगाह चारदरवाजा व दरगाह सांभर और जयपुर के कई अन्य मजहबी स्थलों को पर्यटन सर्किट बनाए जाने पर 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
हालांकि ये बजट घोषणाएं चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से जोड़कर देखी जा रही हैं, लेकिन इससे कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर हो गया है। दरगाहों के लिए की गई घोषणाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराकर बकायदा मुबारकबाद दी जा रही है। 111 पेज की बजट घोषणाओं में सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस पर जमकर कटाक्ष किए हैं। ट्विटर पर एक यूजर वीरेन्द्र शर्मा लिखते हैं कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार…यह तो होना ही था। जबकि हिन्दू धर्मस्थलों के लिए कांग्रेस ने आज तक 1 रुपये का विकास स्वरूप बजट नहीं दिया।
इसी प्रकार एक अन्य यूजर छगन सिंह लिखते हैं कि उपचुनाव में वोट की लालसा में कांग्रेस सरकार मुस्लिम प्रेम में अंधी हो गई है। हिन्दू धर्मस्थलों के विकास को दरकिनार करना कांग्रेस को भारी पड़ेगा। इससे पूर्व भी राजस्थान सरकार ने मदरसा बोर्ड को वैधानिक मान्यता देकर तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया। गोशालाओं को मिलने वाले राजकीय अनुदान में कटौती की गई। वहीं कोरोना काल में तुष्टीकरण के अनेकों मामले सामने आए थे।
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