मुस्लिम महिलाओं की पहचान माने जाने वाले बुर्के को आतंकवाद और कट्टरता के विस्तार का हिस्सा मानते हुए स्वीट्जरलैंड के बाद अब श्रीलंका में भी इस पर प्रतिबंध लगने की तैयारी है। इसके अलावा कट्टरवाद फैलाने वाले मदरसों पर भी ताला जड़ने का निर्णय लिया गया है। पिछले एक दशकंं में पैर पसारते मजहबी कट्टरवाद ने श्रीलंका में कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है। इस पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के प्रतिबंध पहले भी लगाए जा चुके हैं। बावजूद इसके कट्टरता का विस्तार रुकने की बजाए बढ़ता ही जा रहा है। श्रीलंका के जनसुरक्षा मंत्री शरथ वीरासेकरा का कहना है कि कट्टरपंथ श्रीलंका के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बन गया है, जिस पर रोक लगाने के लिए बुर्का और मदरसे पर प्रतिबंध लगाने का बड़ा निर्णय लिया गया है। इसके तहत एक हजार से ज्यादा मदरसों व इस्लामिक स्कूल भी बंद किए जाएंगे। कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद विधेयक पर दस्तखत कर दिए गए हैं। विधेयक के कानून बनते ही श्रीलंका में बुर्का पहनकर कोई नहीं चल सकेगा।
शुरुआती दौर में देश की मुस्लिम लड़कियां और महिलाएं बुर्का नहीं पहनती थीं। मगर बीते कुछ सालों में कट्टरपंथियों की पैठ बढ़ने के साथ इसका चलन बढ़ा है। वैसे, 2019 में भी हिंसक झड़प के बाद बुर्के पर अस्थाई प्रतिबंध लग चुका है।
श्रीलंका के जनसुरक्षा मंत्री ने मदरसों एवं इस्लामिक स्कूलों द्वारा देश की शिक्षा नीति का माखौल उड़ाने की भी बात कही है। उनका कहना है कि देश के मदरसों व इस्लामिक स्कूलों पर इसलिए रोक लगाई जा रही है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मखौल तो उड़ा ही रहे, अपने बच्चों को क्या पढ़ाते हैं, पता ही नहीं चलता।
ईसाइयों एवं बौद्धों से टकराव बढ़ा
हाल के दिनों में मुसलमानों, बौद्धों एवं ईसाइयों के बीच बढ़ते कट्टरवाद के कारण तनाव बढ़ा है। इसकी वजह से दो वर्ष पहले श्रीलंका में दंगा भड़का था। जिसमें विभिन्न शहरों में भारी संख्या में व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं पांथिक स्थलों को फूंक दिया गया था। हालत बेकाबू होने पर कर्फ्यू लगाना पड़ा था। उस दौरान श्रीलंका में महीने के भीतर सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिसके बाद माहौल बिगड़ता चला गया। श्रीलंका के निगोम्बो क्षेत्र में ईसाइयों और मुस्लिम समुदाय के गुट आपस में भिड़ गए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान 200 मौलवियों समेत 600 विदेशियों को श्रीलंका ने देश निकाला किया गया, तब जाकर स्थिति काबू में आई थी। स्थिति शांत करने के लिए श्रीलंका के रोम कैथोलिक चर्च का हिंसा बंद करने की अपील करनी पड़ी थी।
इसके अलावा श्रीलंका के शहर कैंडी में भी बौद्ध पंथ को मानने वाले सिंहलियों एवं मुसलमानों के बीच बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हो चुकी है। तब ट्रैफिक रेड लाइट पर हुए एक मामूली झगड़ने ने विकराल रूप ले लिया था। उसके बाद श्रीलंका के पूर्वी शहर अमपारा से हिंसक झड़प की खबरें आईं। श्रीलंका में 2012 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्थानीय बौद्ध संगठन इस देश में मुस्लिम विस्तारवादी नीतियों की मुखालफत करता रहा है। इस दौरान कन्वर्जन की खबरों ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ाया। ज्ञात हो कि श्रीलंका की आबादी दो करोड़ दस लाख के करीब है, जिसमें 70 फीसदी आबादी बौद्ध और 9 फीसदी मुसलमानों की है।
कहां-कहां है बुर्के पर प्रतिबंध
फ्रांसः यह बुर्के पर प्रतिबंध लगाने वाला विश्व का पहला देश है। 2004 में पहले सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया। फिर कानून को कठोर करते हुए 2011 में बुर्के पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। इसका उल्लंघन करते पकड़े जाने वाली महिलाओं को 150 यूरो डालर जुर्माना अदा करना होगा। इसके अलावा यदि उन्होंने जबरन मुंह ढका तो उन्हें 30,000 यूरो भुगतने होंगे।
बेल्जियमः इस देश में 2011 से महिलाओं के मुंह ढक कर चलने पर पाबंदी है। इसका उल्लंघन करते पकड़े जाने पर 12,000 बेल्जियम मुद्रा अदा करनी होगी।
इटलीः इसके नोवरा शहर में 2010 में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यहां मुसलमानों के बीच जातीय हिंसा आम है। इस दौरान पहचान छुपाने के लिए लोग बुर्के का इस्तेमाल करते थे। इसलिए इस पर यहां प्रतिबंध लगा दिया गया।
स्पेनः बार्सिलोना के सभी निगमों, विभाग में बुर्का पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करता पकड़ा जाता है तो उसकी नौकरी भी जा सकती है। इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान है।
रूसः इसके उत्तरी काकोश में बुर्का पहनने की मनाही है। पहले केवल स्कूलों में बुर्का बैन किया गया था। बाद में इसे काॅलेज में भी लागू कर दिया गया था। यहां भी जातीय हिंसा में बुर्का के इस्तेमाल की शिकायत आती रही हैं।
नीदरलैंडः पहले स्कूलों एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बुर्के के इस्तेमाल को प्रतिबंधित किया गया। 2007 के बाद काॅलेजों में भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई।
तुर्कीः मजे की बात है कि मुस्लिम देश का लीडर बनने की चाह रखने वाले तुर्की में भी बुर्का पहनने पर रोक लगी हुई है। यहां की महिलाओं को बुर्का पहनने की इजाजत नहीं है। वह सिर तो ढक सकती हैं, पर उन्हें हर स्थिति में मुंह खुला रखना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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