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क्वाड शीर्ष सम्मेलन और ‘ड्रैगन’ की छटपटाहट

by WEB DESK
Mar 15, 2021, 01:18 pm IST
in विश्व
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क्वाड शीर्ष सम्मेलन चीन की स्पष्ट असहजता के रूप में अपना तात्कालिक उद्देश्य प्राप्त करने में सफल रहा, किन्तु कोरोना पर नियंत्रण, क्रिटिकल तकनीक का विकास तथा सबसे बढ़कर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते विस्तारवाद पर लगाम लगाने जैसे दीर्घकालीन उद्देश्यों में कहां तक सफल रहता है, यह क्वाड देशों की सदाशयता, प्रतिबद्धता और गंभीरता पर निर्भर है

पिछले शुक्रवार को क्वाड देशों का पहला शीर्ष सम्मेलन हुआ। भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के समूह का यह सम्मेलन कोविड—19 के चलते इंटरनेट के माध्यम से ही हो पाया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति तथा भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया। सम्मेलन के अंत में जारी प्रेस बयान के अनुसार नेताओं में कई विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें कोरोना के टीके के उत्पादन और आपूर्ति, इंडो पैसिफिक क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर, जलवायु परिवर्तन, क्रिटिकल तकनीक और ऊर्जा उत्पादन, साइबर सुरक्षा, नियमों पर आधारित सामुद्रिक व्यवस्था, आतंकवाद से लड़ाई, आपदा में मानवीय सहायता तथा राहत कार्य, विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार, म्यांमार की स्थिति और उत्तरी कोरिया के विसैन्यीकरण जैसे मुद्दे शामिल थे।

वैश्विक स्वास्थ्य तथा महामारी के दौरान प्रभावित अर्थव्यवस्था में तीव्र सुधार हेतु टीके का सुरक्षित, सस्ता और प्रभावकारी उत्पादन बढ़ाने और उसकी न्यायसंगत उपलब्धि के लिए चारों देशों ने संयुक्त रूप से कार्य करने पर प्रतिबद्धता दिखाई। प्रतिभागी इंडो पैसिफिक और उसके आगे के क्षेत्रों में खतरों से निपटने तथा वहां सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ाने के लिए एक उन्मुक्त, खुले और नियमों पर आधारित व्यवस्था को बनाने पर भी सहमत हुए। उन्होंने कानून के शासन, समुद्री और वायु मार्ग से निर्बाध आवागमन, विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा और देशों की क्षेत्रीय अखंडता का भी समर्थन किया। वे पूर्व तथा दक्षिण चीन सागर में चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन में वर्णित अंतरराष्ट्रीय कानून को प्राथमिकता देते रहेंगे। म्यांमार में लोकतंत्र की तुरंत बहाली, स.रा.संघ सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों के अनुसार उत्तरी कोरिया के पूर्ण विसैन्यीकरण और जापानी अपहृतों को तुरंत रिहा करने की मांग की गयी। उन्मुक्त, खुले, समेकित और लचीले इंडो पैसिफिक के लिए आवश्यक नए परिवर्तनों को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में क्रिटिकल तकनीक के विकास हेतु सहयोग करने की प्रतिबद्धता दिखाई गयी।

उपरोक्त लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सम्मेलन ने कई कदमों की घोषणाएं कीं। वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी वितरण के लिए चारों देश अपने चिकित्सा, विज्ञान, वित्तपोषण, उत्पादन, वितरण तथा विकास की क्षमताओं को संयुक्त करेंगे और इसके लिए एक कार्यकारी समूह बनाया जाएगा।ऐसे ही समूह क्रिटिकल तकनीक के विकास और जलवायु परिवर्तन पर भी बनेंगे।

विचारणीय है कि इस सम्मेलन से इसमें शामिल देशों को क्या मिला ? कोरोना की वैक्सीन बनाने और उदारतापूर्वक औरों को देने के भारत के कदम की सराहना हुई तथा भारत का सहयोग आवश्यक माना गया। क्षेत्रीय अखंडता की बात करके चीन के सीमातिक्रमण की भी निंदा हुई। जापानी बंधकों को तुरंत रिहा करने तथा पूर्व व दक्षिण चीन सागर में मुक्त परिवहन पर जोर देकर जापानी हित और इंडो पैसिफिक क्षेत्र को खुला और समेकित बनाने के निश्चय ने ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका के हित संवर्धन भी किया गया। हालांकि इस दस्तावेज़ में कहीं भी चीन का नाम स्पष्टतः नहीं लिया गया है लेकिन चीन इससे तिलमिला जरूर गया है। चीन जानता है कि इशारा उसी की तरफ है, क्योंकि पांच अनुच्छेदों के बयान में इंडो पैसिफिक क्षेत्र, जहां चीन जापान, ताइवान, फिलिपींस, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम के साथ विवादों में घिरा है, का ज़िक्र पांच बार आया है। चीनी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने तुरंत प्रतिक्रिया दी कि अमेरिका की योजना क्वाड के रूप में एक एशियाई नाटो बनाने की है, जो कभी भी सफल नहीं होगी। क्योंकि गठबंधन में शामिल सभी देशों के हित तथा सरोकार अलग—अलग हैं। क्रिटिकल तकनीक पर भी चीनी सरकार के मुखपृष्ठ ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि इसके लिए आवश्यक रेयर अर्थतत्व भारी मात्रा में चीन के पास ही हैं, इसलिए क्वाड की उच्च क्रिटिकल तकनी विकसित करने की योजना सफल नहीं होगी। वैक्सीन के परीक्षण और आपूर्ति पर चीन का मानना था कि क्वाड देशों में विकसित वैक्सीन प्रभावी नहीं है और इन देशों द्वारा 2022 के अंत तक एक अरब लोगों के लिए वैक्सीन बना लेने का दावा महज़ आपसी हितों पर विचार विनिमय से अधिक कुछ भी नहीं है। ग्लोबल टाइम्स ने तो अपने शुक्रवार के अंक में भारत को धमकी भी दे दी कि ” भारत को पिछले साल चीन के साथ हुए सीमा तनाव से यह सबक लेना चाहिए कि चीन के साथ दोस्ती न रखना उसके हित में नहीं होगा।”

चीन ने क्वाड सम्मलेन को एक तीसरे देश (चीन) के विरुद्ध निर्देशित किया हुआ बताया। चीन की सारी प्रतिक्रियाएं एक घायल हिंसक जानवर की प्रतिक्रियाओं जैसी हैं जो चारों ओर से घिर जाने पर आक्रामक होकर घेरे से बाहर निकलने का मार्ग खोजता है।

यह आयोजन चीन की स्पष्ट असहजता के रूप में अपना तात्कालिक उद्देश्य प्राप्त करने में सफल रहा, किन्तु कोरोना पर नियंत्रण, क्रिटिकल तकनीक का विकास तथा सबसे बढ़कर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते विस्तारवाद पर लगाम लगाने जैसे दीर्घकालीन उद्देश्यों में कहां तक सफल रहता है, यह क्वाड देशों की सदाशयता, प्रतिबद्धता और गंभीरता पर निर्भर है। निस्संदेह चीन अब अपनी उत्पादन क्षमता, क्रिटिकल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास दोगुनी तेज़ी से करेगा और सच्चे मित्र देशों, जिनकी संख्या बहुत कम रह गयी है (क्योंकि ज़्यादातर तथाकथित दोस्त तो चीनी क़र्ज़ के मकड़जाल में फंसे होने के कारण मज़बूर हैं), से मिल कर नई चालें चलेगा। इसलिए अब क्वाड देशों को ज़रूरत है और सावधानी तथा प्रतिबद्धता के साथ आपसी सहयोग करने की।
(लेखक पूर्व राजदूत हैं।)

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