देश के सीमावर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं को लेकर हो रही कार्रवाई और वहां से इन घुसपैठियों के फरार होने के प्रयासों ने पंजाब की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इससे पहले ही खालिस्तानी आतंकवाद, ईसाई मिशनरियों की बढ़ती गतिविधियों व नशे के खतरों से जूझ रहे पंजाब की शांति और कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पैदा होती दिख रही है। यह समस्या उस समय और भी विकट हो जाती है, जब इन घुसपैठियों के पंजाब में हमदर्द होने की बात भी सामने आती है।
हाल ही में जम्मू—कश्मीर सरकार की ओर से की गई सख्ती के बाद क्या बांग्लादेशी रोहिंग्या अब पंजाब को पाकिस्तान जाने के लिए ट्रांजैक्ट रूट बना रहे हैं। इस सवाल ने खुफिया एजेंसियों को परेशान कर रखा है। इस संबंध में पंजाब पुलिस और सीमावर्ती जिलों को सतर्क किया गया है। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने राज्य के सभी जिला पुलिस प्रमुखों और खासतौर पर पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों के प्रशासन व पुलिस से रिपोर्ट भेजने और हालात पर नजर रखने को कहा है।
काबिलेगौर है कि पंजाब के कई इलाकों में रोहिंग्याओं के होने की सूचना है, लेकिन अभी इनकी पहचान को लेकर दिक्कतें आ रही हैं। रोहिंग्याओं के साथ-साथ बांग्लादेशी और पश्चिम बंगाल से आकर काम करने वाले भी हैं, जिनके चलते इनकी पहचान नहीं हो पाती। सतर्कता विभाग के अनुसार, रोहिंग्याओं ने पाकिस्तान सहित अन्य इस्लामिक देशों में जाने के लिए पंजाब को ही पारगमन क्षेत्र बना लिया है। असल दिक्कत इनकी पहचान को लेकर है। बहुत से रोहिंग्या के डेराबस्सी, लालड़ू आदि क्षेत्रों में होने की सूचना मिली है। ये लोग यहां पर बने बूचडख़ानों में काम कर रहे हैं।
मोहाली जिले के डेराबस्सी व लालडू के आसपास के क्षेत्रों में म्यांमार से आए रोहिंग्या घुसपैठियों की मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकस कर दिया है। वे उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। रोहिंग्याओं के सफर पर नजर रखने के लिए गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी है। इनमें कुछ देश विरोधी तत्वों के संपर्क में हैं। इस कारण उनकी निगरानी बढ़ा दी गई है।
सूत्रों के अनुसार, खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई एक अनुमानित रिपोर्ट के अनुसार डेराबस्सी व लालडू को जोड़ने वाले गांवों में लगभग 60-70 रोहिंग्या परिवार रह रहे हैं। इन लोगों की संख्या लगभग 200 से 250 के लगभग बताई जा रही है। इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो कुछ समय के लिए यहां रहते हैं और फिर जालंधर व जम्मू जैसे स्थानों पर चले जाते हैं। जालंधर की मुस्लिम बस्ती, काजी मण्डी इस तरह की गतिविधियों को लेकर अकसर चर्चा में बनी रहती है। यहां पर भारी संख्या में बांग्लादेशी होने के साथ-साथ अगर रोहिंग्या भी रहते हों तो कोई आश्चर्य नहीं। यहां रहने वाले लोग कूड़ा बीनने, अवैध शराब की तस्करी सहित अनेक तरह के अवैध कामों के लिए कुख्यात हैं।
गुप्तचर विभाग द्वारा डेराबस्सी व लालडू के अधीन पड़ने वालों गांवों के आसपास के इलाकों की पहचान की गई है, जहां ये रोहिंग्या शरणार्थी ठहर रहे हैं। इनमें ज्यादातर रोहिंग्या डेराबस्सी व उसके आसपास स्थित मछली बेचने व बूचड़खानों पर नौकरी करते हैं। इनमें ज्यादातर दिहाड़ीदार हैं और यह माना जा रहा है उनको ठेकेदारों द्वारा इच्छा अनुसार रोजगार दिया जाता है और ठेकेदार ही उनको आवासीय सुविधा मुहैया करवाते हैं। बताया जाता है कि मोहाली के पास खेड़ी गुज्जरां, समगोली व जौल खुर्द ऐसे कई गांव हैं, जहां सुरक्षा एजेंसियों ने रोहिंग्याओं का पता लगाया गया है। जांच में यह बात सामने आई है कि इनमें से बहुत से लोगों के पास संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा उपलब्ध करवाए गए पहचान पत्र हैं। पंजाब पुलिस के सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सतर्कता जारी की गई है कि इनमें कुछ घुसपैठिये भारतीय पहचान दस्तावेज को प्राप्त करने में कामयाब हो गए हैं, इसलिए उनके दस्तावेजों की दोबारा जांच शुरू की जा रही है। बाहरी हिस्सों में एक-एक कमरों में रहने वाले ज्यादातर लोगों ने अपनी पहचान पश्चिम बंगाल के निवासी के तौर पर करवाई है और इस बात से इन्कार किया है कि वे रोहिंग्या हैं।
पंजाब में बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं की आशंका उस समय और गहरा जाती है, जब राज्य में इनके हमदर्द होने की भी खबरें मिलती हैं। इन हमदर्दों में नाम उभर कर सामने आ रहे हैं। इनमें मुख्य नाम है—खालसा ऐड सोसाइटी का, जो कई स्थानों पर इन घुसपैठियों के लिए लंगर लगा चुकी है। कहने को तो यह काम पंथ की मर्यादा व मानवता के नाम पर किया जाता है, परंतु इससे देश में किस तरह घुसपैठियों को समर्थन मिल जाता है, इससे यह संस्था अनजान है या जानबूझ कर ध्यान नहीं दे रही।
गौरतलब है कि यह वही संस्था है, जिसका नाम किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान भी सामने आया था और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) इसकी जांच कर रही है। यह भी बताना जरूरी है कि जब म्यांमार से भाग रहे रोंहिग्या मुसलमानों की बड़ी आबादी बांग्लादेश पहुंच रही थी तो खालसा ऐड संस्था ने रोंहिग्या मुसलमानों को मदद मुहैया करवाई थी। यहां यह भी वर्णननीय है कि पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला इस संगठन के संपर्क में है, जो जिहादी आतंकी हाफिफ सईद का पुच्छल्ला है। रोहिंग्या, खालिस्तानी तत्वों व जिहादी आतंकियों की त्रिकोण और ऊपर से पंजाब सरकार की लापरवाही देश के लिए भयावह तस्वीर पेश कर रही है।
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