अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस में जम कर धक्का – मुक्की हुई. उनकी अपनी ही पार्टी के नेता एवं पूर्व मंत्री के साथ भी कार्यकर्ताओं ने धक्का – मुक्की की. सपाइयों ने पत्रकारों पर भी हमला किया. कुछ कैमरामैन के कैमरे टूट गए. एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गए
इन ‘लाल टोपी’ वालों की अनुशासन हीनता ही समाजवादी पार्टी के लिए घातक साबित होगी. समाजवादी पार्टी की पहली चुनौती उसके अपने ही कार्यकर्ताओं से है.
कुछ दिन पहले विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “समाजवादी आन्दोलन इस देश का बड़ा आन्दोलन था. जय प्रकाश नारायण का ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का नारा, जन- जन का नारा बन गया था. जेपी आंदोलन को कोई भूल नहीं सकता. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को कोई नहीं भुला सकता मगर आज लाल टोपी पहने हुए कोई समाजवादी दिखता है. लोगों के मन में बहुत ही गलत छवि उभरती है. काफी समय पहले की बात है, मैं एक बच्चे का अन्नप्रासन करा रहा था. उसी महिला का एक छोटा बच्चा और था. उस बच्चे ने एक लाल टोपी लगाए हुए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता को देखा. वह बच्चा बोला – “मम्मी, लाल टोपी वाला गुंडा आ रहा है.” ‘लाल टोपी’ के बारे में ऐसा सुनकर अखिलेश यादव को अच्छा नहीं लगा मगर गत बृहस्पतिवार को अखिलेश यादव अपनी प्रेस कांफ्रेंस में ‘लाल टोपी’ वाले कार्यकर्ताओं का उत्पात चुपचाप देखते रहे. जम कर धक्का मुकी हुई.
सपा सरकार के पूर्व मंत्री कमाल अख्तर के साथ भी सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर धक्का मुक्की की. एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि “ सब मुझसे ही पूछोगे, कुछ भाजपा से भी पूछ लिया करो.” इसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने पत्रकारो को धक्का देना शुरू कर दिया. एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार धक्का – मुक्की के कारण गंभीर रूप से घायल हो गए.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में में अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव प्रयागराज जनपद के शहर पश्चिमी विधानसभा में चुनावी जनसभा को संबोधित करने पहुंची थीं. मंच की तरफ जाते हुए धक्का – मुक्की से परेशान, डिम्पल यादव को कहना पड़ा कि वह अखिलेश यादव से शिकायत करेंगी. डिंपल यादव जब प्रयागराज के हंडिया विधानसभा क्षेत्र में पहुंचीं तो उनके अपने ही कार्यकर्ताओं ने शोर गुल मचाया. डिम्पल यादव के नजदीक जा कर फोटो खींचने लगे. कार्यकर्ता सेल्फी लेने पर आमादा थे. जब वह भाषण दे रही थीं तब कार्यकर्ता शोर मचा रहे थे. अन्त में डिम्पल यादव को कहना पड़ा कि “आप चिल्लाते हो, मुझे डर लगता है, शांत हो जाइए. कल अखिलेश भइया आएंगे. मैं उनसे शिकायत करूंगी.” इसके बाद एक कार्यकर्ता और जमकर हंगामा करने लगा. तब डिम्पल यादव ने कहा कि “मैं तुम्हारा ही नाम सबसे पहले बताऊंगी.” डिम्पल के मंच के नीचे कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया. डिम्पल को अपना भाषण बीच में ही रोक कर बैठना पड़ा. उसके बाद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने कहा कि “आप लोग शांत हो जाइए. अगर ऐसे ही शोर करते रहेंगे तो भाभी कुछ नहीं बोलेंगी.” मगर कार्यकर्ताओं के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा.
वर्ष 2012 में अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर जैसे ही मंच से उतर कर गंतव्य की तरफ रवाना हुए. शपथ ग्रहण में शामिल होने वाले समाजवादियों ने मंच पर चढ़ कर मंच को हिलाया. मंच पर जो भी सामान रखा हुआ था. उसको तितर-बितर कर दिया. उस समय समाजवादी पार्टी के एक विधायक ने कहा था कि “पूर्वांचल में जिस तरह से शादी के बाद मंडप में लगे बांस को हिलाया जाता है. ठीक उसी तरह से समाजवादियों ने एक शगुन के तौर पर मंच को हिलाया था.” हालांकि कुछ दिन बाद मंच पर उपद्रव करने वाले लोगों को अखिलेश यादव ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
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