राजस्थान में 43 दिन के अभियान में राममंदिर निर्माण के लिए रामनिधि के 516 करोड़ जुटाए। यह पूरे देश में अब तक का सर्वाधिक निधि समर्पण है
यूं तो राजस्थान को वीरभूमि के नाम से जाना जाता है, लेकिन इससे कहीं अधिक इसे समर्पण की प्रतिमूर्ति रहे भामाशाह की धरा के नाम से भी पहचाना जाता है। इसी धरा के रामभक्तों ने अयोध्या में जन-जन के आराध्य भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए दिल खोलकर निधि समर्पण किया है। जो कि पूरे देश में अब तक का सर्वाधिक निधि समर्पण है। कुल 43 दिन चले अभियान में रामभक्तों ने दिन के प्रति घंटे एक करोड़ से अधिक का निधि समर्पण किया है। इसमें दैनिक मजदूर, किसान, किन्नर तथा वनवासी अंचल से लेकर घुमंतू वर्ग के लोगों ने भी यथायोग्य निधि समर्पण कर प्रभु श्रीराम के प्रति अपनी प्रगाढ़ आस्था का परिचय दिया है। पूरे अभियान के दौरान राजस्थान के प्रत्येक जिले में ऐसे अनेकों प्रसंग सामने आए जिन्होंने कार्यकर्ताओं के मन-मस्तिष्क को द्रवित कर दिया। निधि समर्पण की संख्यात्मक बात करें तो प्रदेश से कुल 516 करोड़ से अधिक रूपए मंदिर न्यास के खाते में जमा किए जा चुके हैं।
निधि समर्पण अभियान में समाज की श्रद्धा एवं उत्साह ने जैसे सारे पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त कर नये प्रतिमान स्थापित करने की ठान ली हो। कोरोना महामारी आदि सब पीछे छूट गये। तन-मन-धन का समर्पण न केवल कार्यकर्ता अपितु सर्वसमाज ने भी कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया। जयपुर के कार्यकर्ता राजीव पंवार ने बताया कि मालवीय नगर की उषा बस्ती में निधि समर्पण के दौरान महिलाओं में अभूतपूर्व उत्साह था, एक सत्तर वर्षीय बुजुर्ग महिला ने अपनी विधवा पेंशन से बचाई राशि में से ग्यारह हजार रुपये समर्पित किए। वहीं दैनिक मजदूरों की एक बस्ती में कार्यकर्ता भूल से 100 रूपए के स्थान पर एक हजार रुपए के कूपन दे आये, भूल ध्यान में आने पर उनसे कूपन बदलवाने गये तो उन्होंने कहा भूल आपसे नहीं हमसे हुई है। रामजी की यही इच्छा थी, ऐसा कहकर उन चारों परिवारों ने 900-900 रुपए और दिए। इसी प्रकार दौसा जिले के कार्यकर्ता परमानंद ने बताया कि निधि संकलन के दौरान अभावग्रस्त वर्ग की बस्ती में एक घूमंतु परिवार छूट गया तो उन्होंने वापस बुलाकर उलाहना दिया तथा पूरे श्रद्धाभाव के साथ निधि समर्पित की। टोंक जिले में एक कालबेलिया घूमंतु परिवार के दो भाईयों ने कार्यकर्ताओं की आवभगत करते हुए चाय पिलाई तथा कार्यकर्ताओं की अपेक्षा से भी ज्यादा निधि सहर्ष समर्पित की। ऐसे में इस अभियान ने कोरोना काल में आए आलस्य को दूर भगाकर समाज में नये उत्साह और आनंद का संचार किया है।
जयपुर प्रांत में अभियान के प्रमुख कार्यकर्ताओं के अनुभव-कथन सुनने 7 मार्च को जयपुर आए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण हेतु चलाया गए धरती के सबसे बड़े अभियान ने भारत की एकात्मता के दर्शन कराए हैं। इस अभियान में समाज द्वारा तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा… के भाव से किए गए निधि समर्पण ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक है। यह अभियान पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक सम्पूर्ण भारत को एक कर गया। राजस्थान के भी प्रत्येक कोने से रामभक्तों ने मंदिर के लिए समर्पण किया है, जो कि पूरे देश का सर्वाधिक समर्पण है। राजस्थान में तो सड़क पर कचरा बीनने वाली महिलाओं ने भी दिनभर की आमदनी का एक हिस्सा रामजी के लिए समर्पण में दिया। भिक्षुकों ने भी अपनी झोली में से समर्पण दिया। उन्होंने कहा कि गत 15 जनवरी से प्रारंभ हुआ विश्व का सबसे बड़ा जन संपर्क अभियान 27 फरवरी को पूर्ण हो गया। इस विशाल अभियान में 1 लाख 75 हजार टोलियों में लगभग 9 लाख कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर संपर्क किया। 38 हजार 125 कार्यकर्ताओं के माध्यम से 4 मार्च तक 2500 करोड़ से अधिक की समर्पण निधि बैकों में जमा हुई है। हम 4 लाख गांवों में समर्पण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए हैं। नगरीय क्षेत्रों के सभी वार्डों में संपर्क हुआ है। ऐसे में संभवतः 10 करोड़ परिवारों से हमारा संपर्क हुआ है तथा समाज के हर क्षेत्र से समर्पण प्राप्त हुआ है।
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