पाकिस्तान से लौटी गीता को 6 वर्ष बाद मिली उसकी मां
दिनांक 11-मार्च-2021
Web Desk
WhatsApp
साल 2015 में अपने वतन भारत लौटी मूक बधिर गीता को अंततः 6 साल बाद उसकी मां मिल गई हैं। गीता की पहचान राधा वाघमारे के रूप में हुई है और वह महाराष्ट्र के नैगांव की रहने वाली है। राधा वाघमारे उर्फ गीता किशोरावस्था में गलती से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान चली गई थी।
साल 2015 में अपने वतन भारत लौटी मूक बधिर गीता को अंततः 6 साल बाद उसकी मां मिल गई हैं। गीता की पहचान राधा वाघमारे के रूप में हुई है और वह महाराष्ट्र के नैगांव की रहने वाली है। राधा वाघमारे उर्फ गीता किशोरावस्था में गलती से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान चली गई थी। उसे साल 2015 में भारत की पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज पाकिस्तान से भारत लेकर वापस आईं थीं।
मूक बधिर राधा वाघमारे को पाकिस्तान की विश्व प्रसिद्ध सामाजिक संगठन ईधी वेल्यफेयर ट्रस्ट ने आसरा दिया था। संगठन के मुताबिक राधा बाघमारे के असली माता-पिता को ढूंढने में उन्हें कुल 4 वर्ष लगे, जिसकी पुष्टि डीएनए जांच के जरिए की गई। राधा बाघमारे के पिता की काफी पहले मौत हो चुकी है, जबकि उसकी मां का नाम मीना बताया गया है, उन्होंने दोबारा शादी कर ली है।
27 वर्षीय की उम्र में खुद से परिचित हुईं मूक-बधिर राधा वाघमारे किशोरावस्था में भटक कर पाकिस्तान पहुंच गईं थी, जहां ईधी वेल्फेयर ट्रस्ट ने उसे सहारा दिया और कराची स्थित केंद्र में रहने का आसरा दिया था। ईधी वेल्फेयर ट्र्स्ट के मुताबिक उसे राधा वाघमारे पाकिस्तान में एक रेलवे स्टेशन पर मिली थी।
चूंकि राधा वाघमारे मूक-बधिर थी, इसलिए शुरूआत में उसका नाम फातिमा रखा गया था, लेकिन जब पता चला कि राधा वाघमारे हिंदू हैं, तो उन्हें गीता नाम दिया गया था। अब राधा वाघमारे को उनकी पहचान और घर दोनों मिल गया है, जो अब पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी करना चाहती हैं।
गौरतलब है भारत में लाए जाने के बाद सरकार की ओर से राधा वाघमारे के असली मां-बाप को ढूंढने की बहुत कोशिश की गई और जब काफी कोशिशों के बाद उसके असली मां-बाप का पता नहीं चला तो उसे इंदौर की एक संस्था में रखा गया था। हालांकि इस दौरान कई लोगों ने राधा बाघमारे का मां-बाप होने का दावा किया था।
टिप्पणियाँ