करीब 60 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले राष्ट्र मलेशिया में अब गैर-मुस्लिम यानी ईसाई भी ईश्वर के लिए अल्लाह के इस्तेमाल कर सकेंगे। यह निर्णय वहां की की एक अदालत ने दिया है। कहा जा रहा है कि अदालत का यह फैसला मुस्लिम बहुल मलेशिया में धार्मिक स्वतंत्रता के विभाजनकारी मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है, जिस पर करीब 35 सालों से प्रतिबंध लगा हुआ था। अल्लाह शब्द के इस्तेमाल को सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षित रखने के वहां की सरकार के फैसले को ईसाई समुदायों ने अदालत में चुनौती दी थी।
मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए मलेशिया की एक शीर्ष अदालत ने अल्लाह को मुस्लिमों के लिए सीमित रखने को असंवैधानिक करार दिया और ईसाई प्रकाशनों द्वारा अल्लाह और अरबी भाषा के तीन अन्य शब्दों के इस्तेमाल लगी रोक को खत्म कर दिया है, जिससे अब गैर-मुस्लिम भी ईश्वर को संबोधित करने के लिए अल्लाह शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मलेशिया में अनूठा मामला है और अन्य मुस्लिम बहुल देशों में ऐसा कुछ नहीं है जहां पर अच्छी-खासी संख्या में ईसाई अल्पसंख्यक रहते हैं। मलेशिया में करीब 20 फीसदी ईसाई आबादी है, जबकि बौद्ध करीब 10 फीसदी और हिंदू 6.3 फीसदी है।
हालांकि इस मुद्दे पर मलेशियाई सरकारों ने दलील देते हुए पहले कहा था कि अल्लाह शब्द का इस्तेमाल सिर्फ मुसलमान करेंगे, ताकि भ्रम की उस स्थिति से बचा जा सके जो उन्हें अन्य धर्मों में धर्मांतरित कर सकती है। मामले पर मलेशिया के ईसाई नेताओं ने कहा कि अल्लाह शब्द के इस्तेमाल पर रोक स्वाभाविक है, क्योंकि माले भाषी ईसाई आबादी लंबे वक्त से बाइबल, प्रार्थनाओं और गीतों में ईश्वर को संबोधित करने के लिए अल्लाह शब्द का इस्तेमाल करती रही है जो अरबी भाषा से आया है।
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