सेना ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक अनूठा प्रयास किया है। इस दौरान सेना ने अनंतनाग में जर्जर बस स्टैंड को स्ट्रीट लाइब्रेरी में बदल दिया। दरअसल आतंकियों ने करीब 5 साल पहले अनंतनाग जिले के इस स्टैंड को जला दिया था, जिसके बाद अब सेना के प्रयास से यह बस स्टैंड स्ट्रीट लाइब्रेरी में बदल गया है
कश्मीर में सेना अमन और शांति स्थापित करने के साथ—साथ वहां के आवाम को शिक्षित और जागरूक करने के लिए आए दिन कुछ न कुछ कार्यक्रम और अनूठे प्रयास करती दिखाई देती है। इसी कड़ी में सेना ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक अनूठा प्रयास किया है। सेना ने अनंतनाग में जर्जर बस स्टैंड को स्ट्रीट लाइब्रेरी में बदल दिया। दरअसल आतंकियों ने करीब 5 साल पहले अनंतनाग जिले के इस स्टैंड को जला दिया था, जिसके बाद अब सेना के प्रयास से यह बस स्टैंड स्ट्रीट लाइब्रेरी में बदल गया है
युवाओं ने लाइब्रेरी में आना किया शुरू
उच्च शिक्षा और प्रतिस्पर्धाओं की तैयारी के लिए युवाओं ने लाइब्रेरी में आना शुरू कर दिया है। सेना की 18 राष्ट्रीय राइफल ने फरवरी महीने के अंतिम सप्ताह में यह लाइब्रेरी स्थापित की थी। इसमें रानीपुरा, छिट्टीसिंहपुरा, देवीपोरा गांव के युवाओं को लाभ मिल रहा है। इस लाइब्रेरी में छोटे बच्चों के लिए भी किताबें रखी जा रही हैं। 18 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल रोहित झा ने बताया कि शुरुआत में यहां कुछ स्टोरी बुक रखी गई थीं। जब काफी संख्या में बच्चे यहां पहुंचने लगे, तब सेना ने बच्चों को किताबें मुहैया कराने के लिए बुक्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के साथ समझौता किया, जिसने कुछ पुस्तकें भेजने का भरोसा दिया है। जानकारी के मुताबिक लाइब्रेरी में बच्चों को बुक जारी करने की भी सुविधा है। जहां बच्चे एक स्लिप के जरिये विज्ञान, इतिहास तथा अन्य विषयों से जुड़ी पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं। स्ट्रीट लाइब्रेरी में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे आदि महापुरुषों से जुड़ी पुस्तकें भी हैं।
भविष्य संवारना हमारा उदृदेश्य
कमांडिंग अफसर कर्नल रोहित झा कहते हैं कि सेना इस प्रकार की और स्ट्रीट लाइब्रेरी निकट भविष्य में खोलने की योजना बना रही है, ताकि युवाओं का भविष्य संवारा जा सके। इसके अलावा लाइब्रेरी में एक नोटिस बोर्ड है, जिस पर नई पुस्तकों का उल्लेख किया जाता है। लाइब्रेरी खुलने से बड़ी संख्या में बच्चे किताबों के लिए पहुंच रहे हैं। वे बताते हैं कि कुछ बच्चे किताबों की मांग भी रखते हैं, जिसे सेना या तो खरीदती है या फिर एनजीओ से व्यवस्था कराने का प्रयास करती है। विद्यार्थियों की मदद के लिए लाइब्रेरी में हर प्रकार की किताबें रखी गई हैं।
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