कई देशों में आतंकवादी एवं हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने वालों की पहचान छिपाने में मददगार माने जाने वाले बुर्के पर अब स्वीट्जरलैंड में भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। इस मामले में स्वीट्जरलैंड की संसद ने प्रस्ताव पास कर दिया है। अब इसके रेफरेंडर पर जनता का फैसला आना बाकी है।
कई देशों में आतंकवादी एवं हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने वालों की पहचान छिपाने में मददगार माने जाने वाले बुर्के पर अब स्वीट्जरलैंड में भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। इस मामले में स्वीट्जरलैंड की संसद ने प्रस्ताव पास कर दिया है। अब इसके रेफरेंडर पर जनता का फैसला आना बाकी है।
स्वीट्जरलैंड के संविधान के अनुसार, यदि संसद में सरकार द्वारा लिए गए किसी फैसले पर जनता का विरोध है, तो उसकी मुखालफत में यदि एक लाख लोग हस्ताक्षर कर संसद को देते हैं तो सरकार को फैसला वापस लेना पड़ेगा। बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में स्वीट्जरलैंड में हस्ताक्षर अभियान जारी है, जिसका फैसला आना बाकी है। स्वीट्जरलैंड की पार्लियामेंट में बुर्के के विरुद्ध फैसला लेने की वजह देश में आतंकवादियों की पहचान छिपाने को बताई जा रही है। इस बारे में स्वीस सरकार का कहना है कि जख्म के नासूर बनने से पहले ही इस तरह की कोशिशें जरूरी हैं।
वैसे, स्वीट्जरलैंड ऐसा पहला देश नहीं है, जहां बुर्का पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रिटेन और डेनमाॅर्क में भी इस पर गंभीर बहस चल रही है। बल्कि कुछ देशों में तो पूर्ण एवं कुछ देशों के खास हिस्से में अलग-अलग वजह से इस पर आंशिक प्रतिबंध बहुत पहले ही लगा दिया गए हैं। ऐसे देशों में आजकल मुस्लिम देशों का अलमबरदार बनने को प्रयासरत तुर्की भी शामिल है।
इस कड़ी में फ्रांस विश्व का पहला देश है, जहां बुर्का पहनने को लेकर सख्त कानून के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। इसने सार्वजनिक स्थलों पर 2004 में ही बुर्का पहनने पर रोक लगा दी थी। 2011 में यह कानून और सख्त कर दिया गया। इस कानून का उल्लंघन करने वालों को 150 यूरो जुर्माना भरना पड़ता है। यदि इसकी जगह किसी ने जबरन मुंह ढकने का प्रयास किया तो उसे 30,000 यूरो जुर्मा भुगतना होगा। फ्रांस में हाल में 76 अवैध मस्जिदें भी बंद कराई हैं। इस देश का इस्लामिक कट्टरवाद के विरुद्ध सख्त रवैया रहा है। यहां हाल में कानून में किए कुछ बदलावों से भी फ्रांस के मुसलमानों में खलबली मची हुई है।
कहां-कहां है बुर्के पर प्रतिबंध
फ्रांसः यह बुर्के पर प्रतिबंध लगाने वाला विश्व का पहला देश है। 2004 में पहले सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया। फिर कानून को कठोर करते हुए 2011 में बुर्के पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। इसका उल्लंघन करते पकड़े जाने वाली महिलाओं को 150 यूरो डालर जुर्माना अदा करना होगा। इसके अलावा यदि उन्होंने जबरन मुंह ढका तो उन्हें 30,000 यूरो भुगतने होंगे।
बेल्जियमः इस देश में 2011 से महिलाओं के मुंह ढक कर चलने पर पाबंदी है। इसका उल्लंघन करते पकड़े जाने पर 12,000 बेल्जियम मुद्रा अदा करनी होगी।
इटलीः इसके नोवरा शहर में 2010 में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यहां मुसलमानों के बीच जातीय हिंसा आम है। इस दौरान पहचान छुपाने के लिए लोग बुर्के का इस्तेमाल करते थे। इसलिए इस पर यहां प्रतिबंध लगा दिया गया।
स्पेनः बार्सिलोना के सभी निगमों, विभाग में बुर्का पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करता पकड़ा जाता है तो उसकी नौकरी भी जा सकती है। इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान है।
रूसः इसके उत्तरी काकोश में बुर्का पहनने की मनाही है। पहले केवल स्कूलों में बुर्का बैन किया गया था। बाद में इसे काॅलेज में भी लागू कर दिया गया था। यहां भी जातीय हिंसा में बुर्का के इस्तेमाल की शिकायत आती रही हैं।
नीदरलैंडः पहले स्कूलों एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बुर्के के इस्तेमाल को प्रतिबंधित किया गया। 2007 के बाद काॅलेजों में भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई।
तुर्कीः मजे की बात है कि मुस्लिम देश का लीडर बनने की चाह रखने वाले तुर्की में भी बुर्का पहनने पर रोक लगी हुई है। यहां की महिलाओं को बुर्का पहनने की इजाजत नहीं है। वह सिर तो ढक सकती हैं, पर उन्हें हर स्थिति में मुंह खुला रखना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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