पाकिस्तान के संघर में ईसाई परिवारों के साथ मार-पीट की एक घटना इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई है। कट्टरपंथियों ने अचानक ईसाइयों की बस्ती पर धावा बोल दिया। इस दौरान जो भी सामने आया उसकी डंडों से पिटाई की गई। सामान लूट लिए गए। विरोध करने वालों के घरों में आग लगा दी गई। यहां तक कि हमलावरों ने ईसाई महिलाओं को भी नहीं बख्शा। सोशल मीडिया पर घूम रही घायलों की तस्वीरें और वीडियो बताते हैं कि संघर में ईसाई समुदाय के साथ किस तरह का बर्ताव किया गया होगा।
ईसाइयों की संस्था अंतर्राष्ट्रीय क्रिश्चियन कंसर्न (आईसीसी) का कहना है कि इमरान खान सरकार में पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़े हैं। सत्तारूढ़ तहरीक-ए-पाकिस्तान अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है। आईसीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंतिम छह महीने पाकिस्तान में ईसाइयों के लिए चुनौतीपूर्ण रहे। पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार के दावों के बावजूद, देश के ईसाई समुदाय को भेदभाव, असहिष्णुता और एकमुश्त उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिश्चियन कंसर्न ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2020 के बीच पाकिस्तान की ईसाई आबादी के खिलाफ उत्पीड़न की कम से कम 38 घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया है। इसके आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि इन घटनाओं में ईसाइयों के साथ भेदभाव, यौन शोषण, अपहरण, जबरन कन्वर्जन, जबरन निकाह, ईश-निंदा और यहां तक कि हत्या भी शामिल है।
2020 के दूसरी छमाही में, ईसाइयों के खिलाफ कम से कम छह निन्दात्मक घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप 11 ईसाइयों पर इस्लाम और उसके मजहबी रहनुमाओं को लेकर ईशनिंदा के आरोप लगाए गए। ऐसे ही एक मामले में कराची के एक क्लीनिक की महिला ईसाई नर्स के साथ कमरे में रस्सी से बांधकर मार-पीट की गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, ईश निंदा के आरोपी ईसाइयों में शेखूपुरा के एक कारखाने के कर्मचारी अरशद मसीह हैं। 14 दिसंबर को अरशद को पाकिस्तान स्प्रिंग फैक्ट्री में उसके मुस्लिम सहकर्मी आतिफ अली ने चाकू मार कर मौत के घाट उतार दिया था। हमले के बाद, अली ने दावा किया कि उसने एक काफिर और नासमझ को मार दिया। जब उसे गिरफ्तार किया गया, तो अली ने गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारियों से पूछा कि क्या वह अपने हाथों को धो सकता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि उनके हाथों पर खून का धब्बा लगे। ‘‘वह अब अपने हाथों पर एक निंदक का खून नहीं चाहता था।‘‘
समीना बीबी जो कि अरशद की पत्नी हैं। वे कहती हैं कि पति को अली ने ईशनिंदा के बहाने मौत के घाट उतारा। अली उसके पति पर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव बना रहा था। साथ ही पदोन्नति कराने का लालच भी दे रहा था। जब सफलता नहीं मिली तो ईशनिंदा की आड़ में हत्या कर दी।
इसी तरह 30 अगस्त को, पुलिस ने खैबर पख्तूनख्वा स्थित रिसालपुरे से एक ईसाई, डेविड मसीह को गिरफ्तार किया। डेविड पर पाकिस्तान की दंड संहिता की धारा 295-बी के तहत कथित तौर पर जल निकासी लाइन में कुरान की प्रतियां फेंकने के आरोप लगाए गए थे।
23 नवंबर को चार ईसाई सेनेटरी कर्मचारियों पर लाहौर में ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया था। एक मौलवी ने ईसाइयों पर आरोप लगाया कि वे मदीना में पैगंबर की मस्जिद की तस्वीर से सजे थैले में कचरा इकट्ठा कर रहे थे। 28 नवंबर को जांच के बाद निर्दोष घोषित होने तक वे पुलिस हिरासत में रहे।
रिपोर्ट कहती है कि इन आरोपों के अलावा भी 2020 की दूसरी छमाही में ईसाइयों के खिलाफ कई हाई-प्रोफाइल ईश निंदा के मामले दर्ज किए गए।
कुछ बरी भी हुए
अक्टूबर, 2020 में लाहौर उच्च न्यायालय ने सावन मसीह को बरी कर दिया। उसके खिलाफ मार्च 2014 में ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा सुनाई गई थी। सावन पर उसके मुस्लिम दोस्त मुहम्मद शाहिद ने मार्च 2013 में एक बातचीत के दौरान पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया था।
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