ढीली पड़ी चीनी अकड़
May 26, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

ढीली पड़ी चीनी अकड़

by WEB DESK
Feb 23, 2021, 10:45 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

इन दिनों हर भारतीय पैंगॉंग त्सो झील के किनारे से चीनी सैनिकों की वापसी की तस्वीरों को देखकर गौरवान्वित हो रहा है। डोकलाम के बाद यह दूसरा अवसर है जब ड्रैगन भारत के सामने अड़ने के बाद पीछे हट रहा है। भारत सरकार की नीतिगत दृढ़ता और हमारे सैनिकों की वीरता ने ड्रैगन की हेकड़ी की हवा निकाल दी है
गत 11 फरवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि भारत-चीन सैन्य कमांडरों के बीच नौवें दौर की वार्ता के बाद चीन पैंगॉंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिण से हटने के लिए सहमत हो गया है और यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चीन की इसी घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच लगभग 10 महीने से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव था। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि वार्ताओं के अलावा, सशस्त्र बलों द्वारा शौर्य, दृढ़ संकल्प और क्षमताओं के प्रदर्शन के साथ संकट की इस घड़ी में प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किए गए नेतृत्व के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र से सेनाओं की वापसी में न किसी अधिकार क्षेत्र की हानि हुई है, न ही अपमानित होना पड़ा है, बल्कि यह परिवर्तन हमारी सुदृढ़ स्थिति को दर्शाता है।

शुरुआत में पीछे हटने की यह प्रक्रिया पैंगॉंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिण में सीमित रहेगी। लगभग 135 किलोमीटर लंबी और पांच किलोमीटर चौड़ी खारे पानी की इस झील का दो तिहाई भाग चीन में और एक तिहाई हिस्सा भारत में है। इस प्रक्रिया के पहले चरण में दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के सामने खड़े टैंकों और हथियारबंद वाहनों को पीछे लाया जाएगा। इसके बाद दोनों पक्ष भारी मशीनरी और भंडार को पीछे ले जाएंगे और तब सैनिकों को पीछे किया जाएगा। और अंत में अनाधिकृत कब्जे वाले क्षेत्रों में निर्मित सभी संरचनाओं को ध्वस्त कर पूरे भूतल को अप्रैल, 2020 की स्थिति में वापस लाया जाएगा। झील के उत्तर और दक्षिण में टकराव की स्थिति को समाप्त कर वहां अप्रैल, 2020 की स्थिति बहाल होने के 48 घंटे के भीतर हॉट स्प्रिंग, गोगरा, डेप्सांग जैसे अन्य विवादित बिंदुओं पर टकराव को खत्म करने की शुरुआत की जाएगी। रक्षा मंत्री ने सदन में स्पष्ट कहा कि भारत ने किसी ऐसे स्थान से अधिकार नहीं खोया है, जो अप्रैल, 2020 में हमारे कब्जे में था। इसके बावजूद एक पूर्व रक्षा मंत्री समेत कुछ प्रमुख राजनेताओं द्वारा गलत तथ्यों पर आधारित बयान देकर देश की सुरक्षा पर राजनीति किया जाना बेहद दुखद और निराशाजनक है। इन नेताओं ने तथ्यात्मक रूप से गलत बयान दिए और ट्वीट किए, ‘‘भारत ने चीन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और पीछे हटने की शर्मिंदगी के साथ ही हमने फिंगर 3 और 4 के बीच का क्षेत्र खो दिया है।’’

चीन के भ्रामक दावे
तथ्य यह है कि दोनों देशों ने एलएसी पर शांति और गतिविधिशून्यता बनाए रखने और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श और समन्वय कार्यतंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के अंतर्गत कई दौर की वार्ता की है। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि 1962 में जब से तत्काली भारत सरकार ने यह स्वीकार किया है कि ‘तिब्बत चीन का हिस्सा है और तिब्बत नहीं, चीन हमारा पड़ोसी है’, तब से भारत का लगभग 43,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन के कब्जे में है। चीन ने इसके अतिरिक्त 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी नजर गड़ा रखी है और वह अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन मैकमोहन रेखा को भारत के साथ सीमा के रूप में मान्यता नहीं देता, भले ही उसने म्यांमार के साथ अपनी सीमा का सीमांकन और परिसीमन करने के लिए इसी मैकमोहन रेखा को स्वीकार किया है। कुछ अन्य लोगों ने यह भी टिप्पणी की है कि चीन ने 1959 में किए गए दावे की रेखा का भी उल्लंघन किया है। चीन अपने क्षेत्र के रूप में दावा जताने वाली रेखा में बदलाव करता रहा है और उसने आज तक अपनी दावा रेखा दिखाने के लिए नक्शों का आदान-प्रदान नहीं किया है और हम जो करते रहे हैं, वह यह है कि हम अपने अधिकार क्षेत्रों पर अपना अधिकार जताते रहे हैं। अधिकार क्षेत्र के बारे में दोनों पक्षों की अलग-अलग अवधारणा के परिणामस्वरूप अतिक्रमण होते रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप जून 2020 में गलवान घाटी में घातक झड़प हुई थी जिसमें हमें पीएलए की ओर से कील-कांटे वाले डंडों और लोहे की छड़ों से किए गए पूर्वनियोजित हमले में एक कमांडिंग आफिसर समेत 20 बहादुर जवानों को खोना पड़ा था। एक रूसी समाचार एजेंसी की 10 फरवरी, 2021 की रपट के अनुसार, इस झड़प में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे।

गलवान घाटी की घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इसने भारतीय सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता और साहस तथा कैलाश पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों और तिब्बती मूल के सैनिकों के संयोजन से कब्जा करने से पूर्व चीनियों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार और अप्रैल, 2020 की स्थिति तक पीछे हटने पर बाध्य कर दिया क्योंकि भारत को इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं था। भारतीय सैनिक 18,000 फुट और उससे अधिक ऊंचाई पर लड़ने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित थे, जबकि चीनी सैनिकों को उस ऊंचाई पर दिक्कतें हो रही थीं, क्योंकि वे मुख्य रूप से ऐसे लोग हैं, जिनमें उन ऊंचाइयों पर रहने और लड़ने की पर्याप्त क्षमता नहीं है। रक्षा मंत्री ने ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भारतीय सैनिकों के धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों का बलिदान ही तनाव घटाने की प्रक्रिया की नींव है। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र का एक इंच भी नुकसान नहीं हुआ है और संघर्ष समापन के प्रथम चरण की सफलता तथा इसकी पुष्टि के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों की बैठक होगी, ताकि संघर्ष के अन्य बिंदुओं पर भी टकराव खत्म करने की प्रक्रिया चलाई जा सके।

धन सिंह थापा चौकी पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी, चीनी सैनिकों का फिंगर 8 के पूर्व में पीछे हटना और कोई समझौता होने तक धन सिंह थापा चौकी तथा फिंगर 8 के बीच किसी भी पक्ष द्वारा गश्त या किसी सैन्य गतिविधि का संचालन न करने का मतलब इस चौकी और फिंगर 4 के बीच का क्षेत्र चीन को सौंपना नहीं है, जैसा कि राहुल गांधी कह रहे हैं। अप्रैल, 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए भारतीय दावा रेखा फिंगर 8 तक है और चीनियों ने भी इसे स्वीकार किया है और यही कारण है कि चीन ने अपने सैनिकों को फिंगर 8 के पूर्व की ओर वापस ले जाने का फैसला किया है। इस पर संदेह जताने और झूठी बातें फैलाने से साफ पता चलता है कि ऐसा करने वालों को 1950 के दशक से क्षेत्र पर चीन के कब्जे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उलटे पीछे हटने की इस प्रक्रिया में भारतीय अधिकार क्षेत्र की कोई क्षति न होने पर प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए, परंतु कुछ असंतुष्ट विपक्षी नेता बेशर्मी से चीन की विजय का दावा करते हुए जान-बूझकर अतीत की अनदेखी कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि धन सिंह थापा चौकी का नाम मेजर धन सिंह थापा के नाम पर रखा गया है, जिन्हें 1962 में फिंगर 8 के पूर्व में दिखाए गए असाधारण शौर्य के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस चौकी पर तैनात भारतीय जवान अपने साथियों की वीरता और बलिदान से प्रेरणा ले फिंगर 8 तक की गश्त करके वापस चौकी पर आते हैं। इसी तरह से चीनी सैनिक फिंगर 8 के पूर्व से फिंगर 4 तक गश्त लगा कर फिंगर 8 के पूर्व में स्थित अपने शिविर तक जाते हैं।

ध्वस्त हुए चीनी बंकर
दुर्भाग्य से मई, 2020 में चीन ने सीमा प्रबंधन के सभी समझौतों का उल्लंघन किया और गश्त के बाद इसके सैनिकों के फिंगर 8 के पूर्व में स्थित कैंप तक वापस न लौटने के कारण सीमा अतिक्रमण की स्थिति बनी। वे फिंगर 4 पर ही रुके रह गए जिससे आमने-सामने के टकराव की स्थिति बनी। उसी समय से चीन फिंगर 4 तक अपना क्षेत्र होने का दावा जता रहा है। चीनी पक्ष फिंगर 8 से फिंगर 4 तक के क्षेत्र में वाहनों से गश्त करता है, न कि हमारे क्षेत्र की तरह जहां इलाके की संरचना के कारण सड़क नहीं बन सकने के चलते पैदल गश्त करनी होती है। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार चीनियों ने फिंगर 8 के पूर्व में वापसी करते हुए अतिक्रमित क्षेत्र में अपने हेलिपैड्स, जेटी, पिल बॉक्स, बंकर, निवास स्थानों और टेलीफोन लाइनों को नष्ट कर दिया है, ताकि वहां अप्रैल, 2020 के समय की स्थिति वापस पैदा की जा सके। अब यह भारत की जनता ही तय करे कि यह स्थिति भारत के लिए शर्मिंदगी की है या इसकी निंदा करने वालों के लिए।

यही मौका है कि चीन बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के लिए शांति और गतिविधिशून्यता का समझौता लागू करने में ईमानदारी प्रदर्शित करे। हमें सतर्क रहने के साथ ही आत्मसंतुष्टि से बचने की जरूरत है, लेकिन हमें विश्वास करते हुए मजबूती की स्थिति में भी चीनी कार्रवाई का सत्यापन करना चाहिए। चीनियों ने एक संघर्ष बिंदु से कदम पीछे खींचा है और वे दूसरे संघर्ष बिंदुओं पर भी ऐसा कर सकते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन संघर्ष बिंदुओं से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर उन्होंने भारी युद्धक क्षमताएं संग्रहीत की हैं और वे बहुत कम समय में आज जैसी या इनसे भी बुरी युद्ध जैसी स्थितियां पैदा कर सकते हैं। अतीत में चीन के आचरण को जानते हुए हम चीन पर भरोसा नहीं कर सकते। इसलिए हमें अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का विकास जारी रखना चाहिए।
गलत जानकारी रखने वाले कुछ लोगों ने डेप्सांग का मुद्दा भी उठाया है और चिंता व्यक्त की है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह भी एक संघर्ष बिंदु है और पैंगॉंग झील का मसला हल होने के 48 घंटे के बाद बाद चीन के साथ होने वाली बातचीत में हॉट स्प्रिंग और गोगरा तथा अन्य संघर्ष बिंदुओं का मसला उठाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 2002 से डेप्सांग एक संघर्ष बिंदु रहा है और 2013 में यहां 20 दिन तक चली झड़पों के कारण यह सुर्खियों में रहा था। इसका निबटारा 2013 में मनमोहन सिंह द्वारा हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग समझौते के तहत किया जाना था। समझौते के अनुच्छेद 6 में दोनों पक्षों को एक-दूसरे के पीछे गश्त न करने तथा शांति और गतिविधिशून्यता के लिए संयम बरतने की बात कही गई है, लेकिन चीनियों ने ये सभी बातें हवा में उड़ा दीं। रक्षा मंत्री ने सशस्त्रों बलों के धैर्य और दृढ़ संकल्प के लिए उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि इसी वीरता के कारण टकराव खत्म होने की स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि हमने कुछ भी नहीं खोया है और बाद में रक्षा मंत्रालय ने अलग स्पष्टीकरण जारी कर टकराव के खात्मे के लिए सशस्त्र बलों पर भरोसा जताया और कहा कि कोई गलत सूचनाओं और भ्रामक टिप्पणियों के प्रभाव में न आए। राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के दृढ़संकल्प ने अंतत: बिना किसी नुकसान के टकराव के खात्मे के द्विपक्षीय प्रयासों की कूटनीति को बल दिया और उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके पूरा होने पर हम अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति में पहुंच जाएंगे। (लेखक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सीडीएस  जनरल अनिल चौहान ने रविवार को उत्तरी एवं पश्चिमी कमान मुख्यालयों का दौरा किया।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद उभरते खतरों से मुकाबले को सतर्क रहें तीनों सेनाएं : सीडीएस अनिल चौहान 

तेजप्रताप यादव

लालू यादव ने बेटे तेजप्रताप काे पार्टी से 6 साल के लिए किया निष्कासित, परिवार से भी किया दूर

जीवन चंद्र जोशी

कौन हैं जीवन जोशी, पीएम मोदी ने मन की बात में की जिनकी तारीफ

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखंड में यूसीसी: 4 माह में  डेढ़ लाख से अधिक और 98% गांवों से आवेदन मिले, सीएम धामी ने दी जानकारी

Leftist feared with Brahmos

अब समझ आया, वामपंथी क्यों इस मिसाइल को ठोकर मार रहे थे!

सीबीएसई स्कूलों में लगाए गए शुगर बोर्ड

Mann Ki Baat: स्कूलों में शुगर बोर्ड क्यों जरूरी? बच्चों की सेहत से सीधा रिश्ता, ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने की तारीफ

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सीडीएस  जनरल अनिल चौहान ने रविवार को उत्तरी एवं पश्चिमी कमान मुख्यालयों का दौरा किया।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद उभरते खतरों से मुकाबले को सतर्क रहें तीनों सेनाएं : सीडीएस अनिल चौहान 

तेजप्रताप यादव

लालू यादव ने बेटे तेजप्रताप काे पार्टी से 6 साल के लिए किया निष्कासित, परिवार से भी किया दूर

जीवन चंद्र जोशी

कौन हैं जीवन जोशी, पीएम मोदी ने मन की बात में की जिनकी तारीफ

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखंड में यूसीसी: 4 माह में  डेढ़ लाख से अधिक और 98% गांवों से आवेदन मिले, सीएम धामी ने दी जानकारी

Leftist feared with Brahmos

अब समझ आया, वामपंथी क्यों इस मिसाइल को ठोकर मार रहे थे!

सीबीएसई स्कूलों में लगाए गए शुगर बोर्ड

Mann Ki Baat: स्कूलों में शुगर बोर्ड क्यों जरूरी? बच्चों की सेहत से सीधा रिश्ता, ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने की तारीफ

सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाया गया

उत्तराखंड : नैनीताल में 16 बीघा जमीन अतिक्रमण से मुक्त, बनी थी अवैध मस्जिद और मदरसे

उत्तराखंड : श्री हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए

यूनुस और शेख हसीना

शेख हसीना ने यूनुस के शासन को कहा आतंकियों का राज तो बीएनपी ने कहा “छात्र नेताओं को कैबिनेट से हटाया जाए”

Benefits of fennel water

क्या होता है अगर आप रोज सौंफ का पानी पीते हैं?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies