टूट रहा किसानों का भ्रमजाल, आंदोलन की खुल रही पोल
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

टूट रहा किसानों का भ्रमजाल, आंदोलन की खुल रही पोल

by WEB DESK
Feb 22, 2021, 10:15 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट है! आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का यह झूठ बेनकाब हो गया है। इस कड़ी अब दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी शामिल हो चुके है। चूंकि कथित किसान आंदोलन से आम किसान पहले ही आंदोलन से दूर था, लेकिन अब बरगलाए गए किसानों का भ्रमजाल भी टूटने लगा है और उन्होंने आंदोलन से दूरी बना रखी है। किसान संगठनों की कारगुजारियों की पोल भी खुलती जा रही है। किसानों का मुखौटा पहने वामपंथियों की मंशा भी उजागर हो गई है। आंदोलन में जुटे आंढ़तियों और बिचैलियों की साजिश नाकाम हो गई है। टूलकिट प्रकरण से केंद्र सरकार को बदमाश करने की गहरी साजिश का खुलासा हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं की किसान हितैषी होने की पोल खुल रही है।

राकेश टिकैत पहले कर चुके कृषि कानूनों का समर्थन
आज कई कारणों से भाकियू नेता राकेश टिकैत नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन कानूनों के लागू होने पर राकेश टिकैत उनका समर्थन कर चुके हैं। जून 2020 में भाकियू नेता ने अध्यादेश लाने पर केंद्र सरकार के कदम का स्वागत किया था। ’एक देश-एक मंडी’ की बात कहकर राकेश ने कहा था कि यह भाकियू की वर्षों पुरानी मांग थी, जिसे सरकार ने पूरा किया है। उन्होंने कहा था कि सरकार इस बात पर भी नजर रखें कि कहीं किसान के बजाए बिचैलिए सक्रिय होकर उनकी फसल सस्ते दामों में खरीदकर दूसरे राज्यों में न बेचने लगे। किसान नेता वीरेंद्र सिंह ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था। मेरठ के किसान विनीत त्यागी का कहना है कि भाकियू नेता अब वह किस मुंह से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए सरकार का विरोध किया जा रहा है। नए कृषि कानून पूरी तरह से किसानों के हित में है। किसानों को बरगलाने की साजिश नाकाम रहेगी।

फसल जलाने के ऐलान का किसानों में हो रहा विरोध
भाकियू नेता राकेश टिकैत लगातार भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं। उनके फसल जलाने के बयान का किसानों में विरोध शुरू हो गया है। बागपत जनपद के किसान विनोद कुमार का कहना है कि किसान बड़ी मेहनत से फसल उगाता है और उससे ही किसान का जीवन चलता है। भाकियू नेता फसल जलाने की बात कहकर अन्न और धरती माता का अपमान कर रहे हैं। केवल राजनीति फायदे के लिए किसानों को भड़काना उचित नहीं है। किसान ऐसे किसान नेताओं की सच्चाई जान चुके हैं और उनके झांसे में नहीं आएगा। अच्छा होता अगर किसानों को सहफसली खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता और उन्हें आय बढ़ाने के तरीके बताए जाते। फसल जलाने के ऐलान से आम किसानों में आक्रोश व्याप्त है। गौरतलब है कि राकेश टिकैत ने एक सभा में कहा कि केंद्र सरकार यह न सोचे कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस चले जाएंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी फसलों को जला देंगे, लेकिन वापस नहीं जाएंगे।

छात्रों के नाम पर भ्रमित कर रहे वामपंथी
रेल रोको आंदोलन के विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले आंदोलन का ऐलान किया है। 26 फरवरी को दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी रैली होगी। इसमें किसान मोर्चा ने अपने छात्र संगठन को जिम्मेदारी देने की बात कही है। इस पर राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुमार का कहना है कि यह किसान मोर्चा का छात्र संगठन नहीं है, बल्कि वामपंथी छात्र संगठन मुखौटे बदलकर सामने आ गए हैं। यह पूरा किसान आंदोलन वामपंथियों ने रचा है और उनकी तर्ज पर ही लड़ा जा रहा है। अब किसानों के बेटों के नाम पर वामपंथी छात्र संगठनों को नए कलेवर में सामने लाया गया है। किसानों के बच्चों के आंदोलन में जुटने के नाम पर यहां भी झूठ बोला जा रहा है।

पूरे देश का नेता बनने का ख्वाब
जिस तरह से भाकियू नेता राकेश टिकैत अपना गाजीपुर बाॅर्डर का डेरा छोड़कर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में सभाएं कर रहे हैं। उससे साफ हो गया है कि वह पूरे देश का नेता बनने का ख्वाब देख रहे हैं। अपनी राजनीतिक मंशा को ना छिपाते हुए अब अपने आंदोलन का केंद्र पश्चिमी बंगाल को बनाने की बात कर रहे हैं। भाकियू नेता ने कहा कि बंगाल में भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा, जरूरत पड़ने पर वह अपने ट्रैक्टरों का मुंह पश्चिमी बंगाल की ओर कर देंगे।

सीधे देश को धमकाने में जुटे टिकैत
किसान आंदोलन की प्रासंगिकता खत्म होने से बौखलाए भाकियू नेता अब धमकी देने पर उतर आए हैं। वह कह रहे हैं कि अभी तक हमने लाठी दिखाई थी, अब खेत में इस्तेमाल होने वाले औजार लेकर दिल्ली जाएंगे। दिल्ली में 40 लाख टैक्ट्रर लेकर आएंगे। केंद्र सरकार की गलतफहमी को दूर करना होगा।

मुकदमों में गिरफ्तारी रोकने का दबाव बना रहे
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की शर्मनाक हिंसा के बाद राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल समेत कई लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए। इन लोगों को अब अपनी गिरफ्तारी की आशंका सता रही है। इससे बचने के लिए किसान आंदोलन को तेज करने की कोशिश हो रही है, जिससे केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर दबाव बनाया जा सकें। हालांकि दिल्ली पुलिस ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आएंगी और सही समय पर उचित कदम उठाएंगी।

अपना महत्व खो चुका आंदोलन: सरदार वीएम सिंह
गन्ना किसानों की लड़ाई सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक व पूर्व विधायक सरदार वीएम सिंह पहले पूरी ताकत से किसान आंदोलन से जुड़े थे। 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा के बाद उन्होंने किसान आंदोलन से नाता तोड़ लिया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन अब अपने लक्ष्यों से भटक रहा है। हमारी मुख्य मांग एमएसपी गारंटी कानून है। बाकी किसान संगठन सरकार से बातचीत करें या ना करें। पर हम बातचीत के लिए तैयार है। वीएम सिंह जैसे प्रमुख किसान नेता के बदले रुख से अन्य वामपंथी नेता दुखी है। वामपंथी नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि बिना कानून वापस लिए सरकार के साथ बातचीत की कोशिश इस ऐतिहासिक आंदोलन के साथ धोखा देने जैसी होगी।

परिवारवाद की पोषक बनी भारतीय किसान यूनियन
किसानों को न्याय दिलाने के नाम पर मुजफ्फरनगर के सिसौली निवासी महेंद्र सिंह टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन की नींव रखी थी। उस समय उनके साथ अनेक किसान नेता थे। किसान आंदोलन के पूरे चरम पर होने के बाद उसे वापस लेना महेंद्र सिंह टिकैत का शगल था। अपने जीवनकाल में ही वर्चस्व वाले किसान नेताओं को किनारे करके महेंद्र सिंह टिकैत ने अपने परिवार को किसान राजनीति में आगे बढ़ाया। छोटे बेटे राकेश टिकैत को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाकर भाकियू में परिवारवाद को बढ़ाने की शुरूआत कर दी। यह बात अन्य किसान नेताओं को अच्छी नहीं लगी तो वह अलग होने लगे। इसके बाद तो भाकियू पूरी तरह से टिकैत परिवार की धरोहर बन गई। भाकियू से टूटकर अन्य गुट बनते चले गए। महेंद्र सिंह भाकियू मुखिया होने के साथ ही प्रभावशाली जाट बिरादरी की बालियान खाप के चैधरी भी थे। 2011 में महेंद्र सिंह के निधन के बाद बड़े बेटे नरेश टिकैत को भाकियू की कमान सौंपी गई और भाकियू एक परिवार की संपत्ति बन गई। अब नरेश के बेटे गौरव टिकैत को आगे बढ़ाया जा रहा है।

दिल्ली पुलिस में सिपाही रह चुके राकेश टिकैत
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का अब तक सफर भी बड़ा रोचक रहा है। भाकियू संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र राकेश पहले दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे। बाद में नौकरी छोड़कर भाकियू की राजनीति करने लगे। आज वह खुद को भाकियू (टिकैत) गुट का पर्याय बता रहे हैं और ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं।

चुनावों में राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव की जब्त हो चुकी है जमानत
भाकियू के मुख्यालय सिसौली में बड़ी-बड़ी राजनीतिक हस्तियां आ चुकी है। भले ही किसान आंदोलनों में टिकैत परिवार बड़ी भीड़ जुटाता रहा हो, लेकिन राजनीति अभी तक टिकैत परिवार को रास नहीं आई है। भाकियू प्रवक्ता दो बार चुनाव लड़ने की असफल कोशिश कर चुके हैं और अपनी जमानत तक जब्त करवा चुके हैं। 2007 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से राकेश टिकैत ने निर्दलीय रूप में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन आंदोलनों में जुटी भीड़ को वोटों में तब्दील नहीं कर पाए। उनकी जमानत तक जब्त हो गई। इससे टिकैत परिवार की साख को धक्का पहुंचा। राजनीति में उतरने की महत्वाकांक्षा पर टिकैत परिवार के धुर विरोधी रहे रालोद प्रमुख अजित सिंह ने राकेश टिकैत को 2014 में अमरोहा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाया। यहां पर भी राकेश टिकैत की जमानत जब्त हो गई।

योगेंद्र यादव ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव में औंधे मुंह गिरे
इसी तरह से खुद को किसान नेता बताने वाले वामपंथी योगेंद्र यादव का राजनीतिक पारी खेलने का प्रयास फ्लॉप हो चुका है। आप से बाहर निकालने गए योगेंद्र यादव ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ने की हिम्मत की, लेकिन औंधे मुंह जा गिरे। हरियाणा की झरिया विधानसभा क्षेत्र में योगेंद्र यादव को केवल 2779 वोट मिले और अपनी जमानत तक जब्त करवा बैठे। ऐसे में इन धमकी देने वाले किसान नेताओं को किसान बिरादरी ही कई बार हकीकत का अहसास करवा चुकी है।

लगातार खुल रही झूठ की पोल
आंदोलन के नाम पर किसानों को बरगलाने के अनेक मामले सामने आ चुके हैं। सिंधु बाॅर्डर पर किसान नेताओं ने एक युवक को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की। युवक की पहचान हरियाणा के सोनीपत निवासी योगेश के रूप में हुई। किसान नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस में योगेश को पेश किया और उससे कहलवाया कि आंदोलन में शामिल चार बड़े किसान नेताओं को गोली मारने के उसे कहा गया था। इसके बाद योगेश ने नया बयान जारी किया करके किसान नेताओं की साजिश की पोल खोल दी। योगेश ने कहा कि आंदोलन शामिल किसान नेताओं ने उसका अपहरण कर लिया था और झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया गया था. योगेश ने बताया कि वह एक कुक है और दिल्ली से पानीपत जा रहा था। उसे पकड़ने के बाद जमकर पिटाई की गई और झूठा बयान दिलवाया गया। इससे साफ हो गया कि किसान आंदोलन के नाम पर कैसे-कैसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।

टिकैत परिवार की संपत्ति पर उठ रहे सवाल
सोशल मीडिया पर टिकैत परिवार की अथाह संपत्ति पर सवाल उठ रहे हैं। इसका सीधा जवाब देने की बजाय भाकियू नेता राकेश टिकैत घुमाकर जवाब देते हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी संपत्ति को कम करके आंक रही है। सभी किसान उनकी संपत्ति हैं। जो भी उनकी संपत्ति के बारे में गलत खबर दे रहे हैं। वे ऐसा करने वालों पर मानहानि का केस भी करेंगे। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत की उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत चार राज्यों में संपत्ति है। इनमें कृषि भूमि के साथ-साथ दिल्ली, मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रूड़की, हरिद्वार और मुंबई में संपत्तियां हैं। इसी तरह से पेट्रोल पंप, शोरूम, ईंट-भट्ठे और अन्य कारोबार भी हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

West Bengal Cab Driver Hanuman chalisa

कोलकाता: हनुमान चालीसा रील देखने पर हिंदू युवती को कैब ड्राइवर मोहममद इरफान ने दी हत्या की धमकी

ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान ने सैनिकों जैसा सम्मान दिया।

जवाब जरूरी था…

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

West Bengal Cab Driver Hanuman chalisa

कोलकाता: हनुमान चालीसा रील देखने पर हिंदू युवती को कैब ड्राइवर मोहममद इरफान ने दी हत्या की धमकी

ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान ने सैनिकों जैसा सम्मान दिया।

जवाब जरूरी था…

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies