एक बार फिर हिंसा मामले में आम आदमी पार्टी का कनेक्शन सामने आया है। 26 जनवरी को लाल किला में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज किए गए टूलकिट केस में बेंगलुरू से कथित पर्यावरणवादी कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है और इसी मामले में वकील और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता निकिता जैकब दिल्ली पुलिस की गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट का सामना कर रही है
एक बार फिर हिंसा मामले में आम आदमी पार्टी का कनेक्शन सामने आया है। 26 जनवरी को लाल किला में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज किए गए टूलकिट केस में बेंगलुरू से कथित पर्यावरणवादी कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है और इसी मामले में वकील और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता निकिता जैकब दिल्ली पुलिस की गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट का सामना कर रही है। दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग के बीच तीन फरवरी को हुई वॉट्सऐप चैट भी सामने आई है। चैट से खुलासा हुआ कि ग्रेटा ने जब गलती से टूलकिट ट्वीट कर दी तो दिशा बुरी तरह डर गई। दिशा को आतंकवाद निरोधक एक्ट यूएपीए (UAPA) का डर सताने लगा था। दिशा से बरामद मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस की जांच में पता चला कि टूलकिट बनाने के लिए एक वाट्सएप समूह बनाया गया था, जिसे बाद में खत्म कर दिया गया। इस वाट्सएप समूह का एडमिन शांतनु था। 23 दिसंबर को उसने इसे बनाया था, वह महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला है। निकिता, शांतनु और दिशा रवि तीनों एक्सआर नाम के एनजीओ से जुड़े हुए हैं। शांतनु मुलुक 20 से 27 जनवरी के बीच दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल पर मौजूद रहा। अरविन्द केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी द्वारा अब दिशा रवि की गिरफ़्तारी का विरोध उसकी उम्र का हवाला देकर किया जा रहा है।
निकिता जैकब ने बताया कि 11 जनवरी को पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ जूम कॉल मीटिंग की और उस मीटिंग में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे और होस्ट यानी कि मेजबान ने यह स्पष्ट किया था कि अभियान का कोई राजनीतिक या पांथिक रंग—रूप नहीं होगा। बातचीत के केंद्र में सिर्फ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के मुद्दे थे। होस्ट ने बताया था कि सामग्री सार्वजनिक डोमेन में रहेगी। निकिता ने अपने बयान में कहा कि वे अन्य कई कार्यकर्ताओं की तरह दिल्ली में कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के शांतिपूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहित करने और विरोध के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए शोध और प्रचार कर रही थी और उनका अपना कोई राजनीतिक, पांथिक या वित्तीय उद्देश्य नहीं था।
हालांकि खबरों की मानें तो पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तानी आंदोलन से संबंध रहा है। पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक मो धालीवाल ने कनाडा में ही रहने वाली सहयोगी पुनीत के जरिये निकिता से संपर्क किया था। मकसद था कि गणतंत्र दिवस से पूर्व जोरदार तरीके से ट्विटर अभियान छेड़ा जाए। 11 जनवरी को हुई जूम मीटिंग में उसने कहा था कि मुद्दे को बड़ा बनाना है। इस बात का साक्ष्य 26 जनवरी को आईटीओ पर स्टंट के दौरान ट्रैक्टर पलटने से चालक की मौत की घटना है, लेकिन इस घटना पर अफवाह तंत्र से खबर फैलाई कि चालक पुलिस की गोली से मारा गया। जो इसी साजिश का हिस्सा थी। घटना के तुरंत बाद साजिशकर्ताओं ने अफवाह फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटी व एक्टिविस्ट से संपर्क किया था। चूंकि दिशा रवि, ग्रेटा थनबर्ग को जानती थी, इसलिए इसमें उसकी भी मदद ली गई। दिशा ने ग्रेटा को टूलकिट टेलीग्राम पर भेजी थी, ताकि सरकार विरोधी माहौल बनाया जा सके।
गौरतलब है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी आम आदमी पार्टी की भूमिका होने का आरोप लगाया था। जाखड़ ने कहा था कि आम आदमी पार्टी के एक सदस्य को झंडे के साथ स्मारक पर देखा गया था। आरोप था कि लाल किले पर मौजूद अमरीक सिंह मिकी नामक एक व्यक्ति ने बाद में कथित भड़काऊ नारे के साथ फेसबुक पर अपनी तस्वीर पोस्ट की थी। खबरों की मानें तो इसे आधिकारिक तौर पर आम आदमी पार्टी में शामिल किया गया था।
इसके पहले फरवरी, 2020 में हुए दिल्ली दंगे में भी आम आदमी पार्टी पार्षद ताहिर हुसैन मास्टरमाइंड था। ताहिर हुसैन ने अपने कबूलनामे में बताया था कि जब वह 2017 में आम आदमी पार्टी का पार्षद बना तब से ही उसके मन में था कि मैं अब राजनीति और पैसों की बदौलत हिंदुओ को सबक सीखा सकता हूं। ताहिर हुसैन ने कहा, ‘मेरे जानकार खालिद सैफी ने कहां कि तुम्हारे पास राजनीतिक पावर और पैसा दोनों है, जिसका इस्तेमाल हिंदुओं के खिलाफ और कौम के लिए करेंगे। मैं इसके लिए हमेशा तैयार रहूंगा।’ राजनीति के गलियारों से आतीं खबरों की मानें तो तुष्टीकरण की राजनीति में आकंठ डूब चुकी आम आदमी पार्टी आने वाले दिनों में अमानतुल्लाह खान के दबाव में ताहिर हुसैन की बेगम को उसकी खाली हुई सीट पर टिकट भी दे सकती है।
आआपा का इतिहास देखें तो हिंसा करने वाले और देशविरोधी तत्वों को अरविन्द केजरीवाल और उसकी पार्टी का समर्थन रहा है। अरविन्द केजरीवाल पहले ही स्वयं को अराजक घोषित कर चुके हैं। 9 फरवरी, 2016 को हुए जेएनयू देशद्रोह के मामले में भी आम आदमी पार्टी सरकार ने कन्हैया कुमार सहित अन्य आरोपियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति से सम्बंधित फाइल को एक साल तक लटकाये रखा था। आंदोलन के नाम पर निकली पार्टी द्वारा देश के किसी भी हिस्से में होने वाली राष्ट्रविरोधी गतिविधि का समर्थन रहता है। शाहीन बाग के समय ईडी ने पीएफआई और शाहीन बाग में नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ धरने को फंडिंग पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट के अनुसार आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के तार पीएफआई से जुड़े होने के साक्ष्य मिले थे। रिपोर्ट के अनुसार संजय सिंह लगातार पीएफआई के अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद से संपर्क में थे और उससे वाट्सऐप चैट भी की गई थी।
अराजकता ने खराब किया राजधानी का माहौल
फ्री बिजली पानी के नाम पर आई आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को पेरिस बनाने का चुनावी वादा किया था, परन्तु पिछले कुछ सालों में इसके अराजकतावादी रवैये ने दिल्ली की स्थिति बहुत बुरी कर दी है। एक साल पहले आम आदमी पार्टी के समर्थन से हुए सीएए विरोधी आंदोलन के नाम पर दिल्ली की कई सड़कों को महीनों तक बंद करके आम लोगों को परेशान किया गया। और अब कथित किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानियों का समर्थन किया जा रहा है। शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि प्रदर्शन के नाम पर सड़कों को बंद नहीं किया जा सकता परन्तु दिल्ली सरकार के समर्थन से दंगाइयों के हौसले बुलंद हैं और जब भी पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करती है तो आम आदमी पार्टी उनके समर्थन में कूद पड़ती है।
( लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं )
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