पाकिस्तान से फिर अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के साथ ज्यादती की खबरें आई हैं। एक तरफ जहां पुलिस वाले ने एक कम उम्र हिंदू बच्ची का कन्वर्जन की नियत से अपहरण कर लिया, वहीं दो ईसाई लड़कियों को केवल इसलिए जलाकर मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था
पाकिस्तान से फिर अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के साथ ज्यादती की खबरें आई हैं। एक तरफ जहां पुलिस वाले ने एक कम उम्र हिंदू बच्ची का कन्वर्जन की नियत से अपहरण कर लिया, वहीं दो ईसाई लड़कियों को केवल इसलिए जलाकर मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था। ‘नए पाकिस्तान’ में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने का दावा करने वाली इमरान खान सरकार इस मामले में पूरी तरफ फेल हुई है। पड़ोसी देश से निरंतर आ रही खबरें बताती हैं कि वहां अल्पसंख्यक बिरादरी सुरक्षित नहीं है।
बहरहाल, अल्पसंख्यक बच्चियों के उत्पीड़न की ताजी घटना कराची और लाहौर में पेश आई है। मेहराबपुर में रहने वाले रमेश लाल की 11वीं क्लास में पढ़ने वाली पुत्री नैना 10 फरवरी को स्कूल के लिए घर से निकली थी। देर शाम घर नहीं लौटने पर जब घर वालों ने खोज-बीन की तो पता चला कि उसका मारूफ जंग नामक एक पुलिस कर्मी ने अहपरण कर लिया है। चार दिन बाद बच्ची के कन्वर्जन और जबरन निकाह पढ़ाने की खबर आई। नैना का नाम बदल कर मारिया रख दिया गया। बच्ची के पिता ने जब इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस कर्मी ने अदालत में नैना के बालिग होने का फर्जी दस्तावेज तैयार कर पेश कर दिया और कानूनी कार्रवाई से बच निकला।
पाकिस्तान के वकील एवं एक्टिविस्ट राहत आस्टिन कहते हैं कि कन्वर्जन के मामले में इस्लामिक स्टेट पाकिस्तान के सरकारी कर्मचारियों और अदालत का रवैया बेहद ढीला रहता है, इसलिए हर बार कट्टरपंथी, अल्पसंख्यक बच्चियों के अपहरण और कन्वर्जन के आरोप से बरी हो जाते हैं। पाकिस्तान में कम उम्र बच्चियों से शादी पर प्रतिबंध है।
अस्टिन बताते हैं कि नैना के अपहरण और कन्वर्जन के ठीक एक दिन बाद लाहौर के माखन काॅलोनी से दो ईसाई लड़कियों का मोहम्मद मुमताज एवं नई अहमद ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण कर लिया था। उन्होंने जब उनका कन्वर्जन कराना चाहा तो लड़कियों ने कड़ा विरोध किया। इससे गुस्साए दोनों मजहबी गुंडों ने उन्हें जलाकर मार डाला। इस मामले की सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए राहत आस्टिन कहते हैं कि इससे भी दुखद बात यह है कि लड़कियों के परिवार वालों की तरफ से नामजद शिकायत दर्ज कराने के बावजूद घटना के एक सप्ताह बाद भी दोनों आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दोनों छुट्टा घूम रहे हैं।
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