हिंदू जनसंख्या वाले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं पर केवल अत्याचार ही नहीं बढ़ा है, उनके खिलाफ एक ऐसी साजिश रची जा रही ताकि वे अपने ही देश में सिर उठाकर नहीं जी सकें। किसी कौम की प्रगतिशीलता की पहचान उसके शिक्षित होने से होती है। मगर पाकिस्तान में सिंध इकलौता प्रदेश है, जहां शिक्षा की दुर्दशा कल्पना से भी परे है। और ऐसा तभी हो सकता है जब इस ओर जान-बूझकर ध्यान न दिया जाए।
सिंध के स्कूलों के हालात ऐसे कर दिए गए हैं कि चाहकर भी कोई अभिभावक अपने बच्चों को वहां नहीं भेजता। परिणामस्वरूप सिंध के 60 लाख बच्चे अब तक स्कूल से दूर हंै।
पाकिस्तान के शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के 4, 364 स्कूल छत विहीन हैं तथा 10,516 स्कूल एक कमरे में चल रहे हैं। बरसात और जाड़े में वहां पढ़ने वाले बच्चों का सर्वाधिक बुरा हाल होता है। हाल में सिंध शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की एक रिपोर्ट है, जो बेहद चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में माना गया है कि 10 हजार स्कूल संचालन की स्थिति में नहीं हैं।
सिंध के प्राथमिक स्कूल में अभी 2,91,9862, मिडिल में 185,047, एलेमेंट्री में 140,032, सेकंडरी में 918,706 और हायर सेंकेंडरी में 397,493 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। 133,000 शिक्षकों को नौकरी देने वाले सिंध के 49,103 स्कूलों में केवल 36,659 ही नियमित चल रहे हैं, जो चल रहे हैं उनमें भी बुनियादी सुविधाएं न के बराबर हैं। सिंध के 90 प्रतिशत स्कूलों में विज्ञान के शिक्षक का अभाव है। ऐसे में हिंदू बच्चों को विज्ञान की शिक्षा नहीं मिलेगी तो वे आगे चल कर विज्ञान के क्षेत्र में कैसे नाम कमाएंगे ?
बहरहाल, सिंध शिक्षा एवं साक्षरता विज्ञान की ओर से स्कूलों की दशा पर जारी रिपोर्ट में बताया गया कि 26,659 स्कूलों में बच्चों को पेयजल भी मुयस्सर नहीं। इसी तरह 19,469 स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं होने से बच्चों को आस-पास खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। सिंध में हिंदू बच्चियों के अपहरण की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं, जिनमें से अधिकांश शौच के क्रम में ही पेश होती हैं।
आंकड़े बताते हैं कि सिंध के 31,000 स्कूलों में बिजली नहीं है, जबकि 21,000 स्कूल चारदीवारी विहीन हैं। बच्चे यदि विज्ञान पढ़ना भी चाहें तो 47 ,000 स्कूलों में प्रयोगशाला ही नहीं। इसी तरह 36,000 स्कूल बिना खेल मैदान के हैं और 47,000 स्कूलों में पुस्ताकालय तक की सुविधा नहीं है। गर्ज यह कि बच्चों को केवल शैक्षणिक स्तर पर ही नहीं मानसिक, शारीरिक तौर पर भी कुंद बनाने की साजिश चल रही है। सिंध के थार इलाके में हिंदू बिरादरी की अधिक संख्या है और पाकिस्तान का शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि प्रांत के दूर-दराज के इलाके में शिक्षा, साक्षरता एवं स्कूल की दशा सर्वाधिक खराब है।
मांग उठाई तो बरसा दिए डंडे
पाकिस्तान में व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाना भी शामत बुलाने जैसा है। दो दिनों पहले इसका ताजा उदाहरण सामने आया। वेतन और सुविधाओं में बतौरी की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने जब पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में प्रदर्शन किया तो उनपर पुलिस ने खूब डंडे बरसाए। बड़ी संख्या में आंसू के गोले छोड़े गए। इस दौरान प्रदर्शनकारी टीचरों की भी पुलिस ने भरपूर पिटाई की जिसमें कई खून से लतपथ होकर अस्पताल में भर्ती हैं। प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई से कर्मचारी इतने उग्र हो गए थे कि उन्होंने सचिवालय ब्लाक, कैबिनेट ब्लाक एवं कॉन्टियूशनल ब्लाक में घुसने की कोशिश की। अभी भी इस्लामाबाद में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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