बदले भारत का उदाहरण है पैंगोंग झील से ड्रैगन की वापसी
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

बदले भारत का उदाहरण है पैंगोंग झील से ड्रैगन की वापसी

by WEB DESK
Feb 12, 2021, 10:40 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विपक्ष ने समय-समय पर देश और सेना का मनोबल गिराने का कार्य किया। देश को गुमराह किया कि चीन सैकड़ों वर्ग किलोमीटर भारत के भूभाग पर काबिज हो गया है। लेकिन अब जब देश के रक्षामंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि एक इंच जमीन भी हमने नहीं गंवाई है तो दुष्प्रचार तंत्र के चेहरे उजागर हो गए जो प्रोपेगंडा फैलाकर देश का मनोबल गिराने के काम में महीनों से लगे थे

वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन और भारत का सैन्य जमावड़ा धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र का यह सबसे बड़ा सैन्य जमावड़ा था। दुनिया की दो विशालतम सेनायें यहां पर पहली बार ‘आई टू आई बॉल कांटैक्ट’ में खड़ी हुई थीं। विश्व की सबसे बड़ी चीनी सैन्य शक्ति को पहली बार कोई देश विशेषकर भारत यह चुनौती दे रहा था। निश्चित ही नौ महीने से गतिरोध बना हुआ था। रक्षा विशेषज्ञ युद्ध की बातें करने लग गए थे। पर सेना की वापसी की प्रक्रिया एक लंबे समय की अनवरत सार्थक वार्ता का परिणाम ही कहा जाएगा। इसके पीछे अनेक राजनीतिक, राजनयिक, व्यावसायिक, कूटनीतिक, रणनीतिक और सामरिक कारण हैं। चीन समय के साथ अपनी हठधर्मिता छोड़ रहा है,अन्तरराष्ट्रीय सामूहिक दबाव भी धीरे ही सही परंतु अपना प्रभाव दिखा रहा है। मोदी सरकार की अन्तर्राष्ट्रीय सक्रियता और सकारात्मक कूटनीति अपने सकारात्मक परिणाम दिखा रही है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र से चीनी सेना ने अब पीछे हटना शुरू कर दिया है।

ज्ञात हो कि जून में गलवान घाटी के भीषण सैन्य संघर्ष के बाद जिसमें हमारे 20 सैनिक बलिदान हुए थे तो चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को भारतीय वीरों ने मार गिराया था। उसके बाद से इस क्षेत्र में स्थिति बड़ी तनावपूर्ण थी। लेकिन भारतीय वीरों ने हर स्थिति का सामना करते हुए चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया और भारत की एक-एक इंच जमीन को सुरक्षित रखा।

यह सच है कि चीन आज आन्तरिक राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। वहां लोकतंत्र की मांग अब दबी जुबान में उठने लगी है। एक तरफ तिब्बत तो दूसरी ओर शिंजियांग प्रांत से स्वतंत्रता के स्वर बड़ी तेजी से उठ रहे हैं। हांगकांग तो पहले से ही चीन की हेकड़ी को तोड़ रहा है। इस सबके बाद चीन के सभी पड़ोसी देशों से सीमा विवाद है। लेकिन भारत के मामले में उसकी सारी हेकड़ी धरी की धरी रह गई।

भारत जीत रहा दुनिया का दिल
चीनी वायरस कोरोना से सम्पूर्ण विश्व पीड़ित हुआ। तो वहीं भारतीय वैक्सीन ने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया। जहां चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ गया तो वहीं भारत के अनेक नये अंतराष्ट्रीय संबंध स्थापित हुए। भारत जहां कोरोना काल में भी एक नये औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र के रूप में उभरा तो चीन से अनेक बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भारत गमन का विचार बनाया। जिस तरह से तैयारी चल रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत बहुत जल्द ही दवाओं से लेकर सभी वस्तुओं के उत्पादन का विश्व केन्द्र बनेगा। चीन के साथ-साथ इस भविष्य के परिदृश्य को पूरी दुनिया सच होता देख रही है।

सिक्किम, अरुणाचल से लेकर लद्दाख क्षेत्र में चीन सीमा विवाद के नाम पर आए दिन माहौल बिगाड़ता रहता है। चीन तिब्बत के साथ हुए ब्रिटिश कालीन सीमा समझौतों को नहीं मानता, जबकि वास्तव में तिब्बत ही भारत का पड़ोसी राष्ट्र है, चीन तो एक मात्र साम्राज्यवादी शक्ति है, जिसने तिब्बत पर अनाधिकृत कब्जा किया हुआ है। चीन विस्तारवादी राष्ट्र है, जो कभी भी सीमा विवादों को समाप्त नहीं करना चाहेगा। भारत के लिए तिब्बत का अस्तित्व जीवित रखना शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

चीन जिन क्षेत्रों में विवाद उत्पन्न कर रहा है, वह सभी क्षेत्र सामरिक महत्व के हैं। चीन इन्हीं क्षेत्रों पर अनाधिकृत कब्जा करने की कोशिश में था लेकिन भारतीय सेना ने अप्रत्याशित रूप से उसे करारा जवाब दिया। भारतीय सेना की अप्रत्याशित आक्रामकता पूर्ववर्ती चीनी आंकलनों के बिल्कुल विपरीत थी। शायद भारतीय राजनीतिक इच्छाशक्ति का सही आंकलन चीनियों ने बिल्कुल नहीं किया था, जिसका नुकसान उनको अपने अनेक सैनिकों को खोकर उठाना पड़ा। चीनी इस क्षेत्र में कहीं भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार नहीं थे। उनकी सेना भी ऐसे विषम परिस्थितियों में युद्ध लड़ने की आदी नहीं थी। दोनों ओर से अनुमानित पचास हजार से अधिक सैनिक और उसके साथ अन्य युद्धक साजोसामान तैनात थे। वायु सेना पूर्ण सजग थी। नौ सेना हिंद महासागर में सक्रिय रूप से युद्धाभ्यास कर रही थी। अमेरिका और अन्य देशों के साथ भी युद्धाभ्यास निरंतर चलता रहा। देपसांग एयर बेस इस क्षेत्र में एक गेम चेंजर साबित हो रहा है। चीन को समझ आया कि 1962 के और 2020 के भारत और उसकी राजनीतिक इच्छाशक्ति में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। आज भारत अपनी सुई की नोक के बराबर भी भूमि को सुरक्षित रखने में सक्षम है, जैसा कि उसने पैंगोंग झील क्षेत्र और गलवान घाटी में करके दिखाया। आज हमारी सेना का मनोबल मौजूदा सरकार के नेतृत्व के चलते सातवें आसमान पर है तो वहीं चीनी सेना इस क्षेत्र में तैनाती से घबरायी हुई नजर आई हैं।

दुष्प्रचार फैलाने वालों को मिला जवाब
भारतीय विपक्ष ने समय-समय पर देश और सेना का मनोबल गिराने का कार्य किया। देश को गुमराह किया कि चीन सैकड़ों वर्ग किलोमीटर भारत के भूभाग पर काबिज हो गया है। लेकिन अब जब देश के रक्षामंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि एक इंच जमीन भी हमने नहीं गंवाई है तो उन दुष्प्रचार फैलाने वालों को करारा जवाब मिल गया जो प्रोपेगंडा फैलाकर देश का मनोबल गिराने के काम में महीनों से लगे थे।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला धामी सरकार का बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला धामी सरकार का बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies