जर्जर मंदिर आहत हिंदू आस्था
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जर्जर मंदिर आहत हिंदू आस्था

by WEB DESK
Feb 11, 2021, 10:58 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पाकिस्तान में हर शासक के काल में हिंदुओं का दमन ही हुआ है। वहां न तो हिंदू सुरक्षित हैं और न ही उनकी संस्कृति। बहुत कम मात्रा में बचे हिंदू भारत से अपने जानो-माल की सुरक्षा की आस बांधे हैं।

आज भी याद है जब पाकिस्तान में इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद संभाला था तो उस समय उन्होंने वहां के अल्पसंख्यकों और उनकी धर्म-संस्कृति की सुरक्षा को लेकर अनेक घोषणाएं की थीं। इसके बावजूद पाकिस्तान में लगातार ऐसी स्थिति बनती जा रही है कि वहां का अल्पसंख्यक वर्ग न केवल खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, बल्कि उसकी धर्म-संस्कृति भी खतरे में है। विशेषकर हिंदुओं और उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को हर मुमकिन चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए जहां उनकी संपत्तियां हड़पी जा रही हैं तथा हिंदू लड़के-लड़कियों का अपहरण और कन्वर्जन के बाद उन्हें बेचा जा रहा है, वहीं इस समुदाय पर जानलेवा हमले भी बढ़ गए हैं। हिंदुओं के प्राचीन मंदिर एवं ऐतिहासिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

अयोध्या आंदोलन के समय पाकिस्तान में उन्मादियों ने जिन मंदिरों को ढहा दिया था, उनके पुनर्निर्माण पर इमरान सरकार क्या अब तक की किसी भी सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की है। अब तो सरकार की लापरवाही का लाभ उठाने के लिए कट्टरवादी और अतिक्रमणकारी बचे-खुचे मंदिरों पर भी कब्जा जमाने लगे हैं। लाहौर में लोहारी गेट के पास शीतला देवी का कभी भव्य मंदिर हुआ करता था। 1947 के बंटवारे से पहले यह लाहौर के सबसे बड़े मंदिरों में गिना जाता था। आज इसके आधे हिस्से पर स्थानीय लोगों का अवैध कब्जा है, जबकि शेष हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया है।

इसी तरह पंजाब प्रांत के नरोवाला के शकरगढ़ के सुखो चक गांव में एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था। ‘पाकिस्तान हिंदू काउंसिल’ का कहना है कि विभाजन से पहले यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले का हिस्सा हुआ करता था। अब यहां का प्रांचीन मंदिर लगभग खंडहर हो गया है। डेरा इस्माइल खान के काफिर कोट में सिंधु नदी के किनारे लगभग 1,000 साल पुराना मंदिर भी अब अपनी पहचान को रो रहा है। यहां का काली माता मंदिर भी अपना अस्तित्व खो चुका है। इस पर अब स्थानीय लोगों का कब्जा है। सिंध के मीरपुर खास में एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था। मजहबी उन्मादियों ने 2014 में इस पर हमला कर ढहा दिया, जिसका अब तक पुनर्निर्माण नहीं हुआ है। झेलन के बाग मुहल्ले का प्राचीन मंदिर भी देख-भाल के अभाव में अपना अस्तित्व खो चुका है। इस मंदिर का उपयोग अब स्थानीय लोग कबाड़ गोदाम के रूप में करते हैं। झांगी मोहल्ला, काला गुजरान, झेलम का पुराना मंदिर भी अब नाम मात्र का ही बचा है।

रावलपिंडी के असगर मल कॉलेज (पुराना सनातन धर्म स्कूल) में एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था, जो अब खंडहर मेंं तब्दील हो चुका है। इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं। सूबेदार घाटी में समुद्र से 5,000 फीट उंचाई पर स्थित साकार नाथ मंदिर भी अस्तित्व गंवा चुका है। खुशब जिला की सून घाटी में प्राचीन अंब शरीफ मंदिर है, जिसका अस्तित्व भी खतरे में है। रावलपिंडी का कृष्ण मंदिर 1998 में निर्मित किया था, जिसकी स्थिति अभी थोड़ी ठीक है। मगर मुल्तान का प्रहलादपुरी मंदिर पूरी तरह खंडहर बन चुका है। रावलपिंडी के मसाला बाजार, जिसे दलगर बाजार भी कहा जाता है, का पुराना मंदिर अभी ठीक-ठाक हालत में है।

मगर रावलपिंडी के एक शिव मंदिर पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर उस पर अपने आवास खड़े कर लिए हैं। भारत में बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद प्रतिशोध में लाहौर के एक भव्य जैन मंदिर को ढहा दिया गया था। यह अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। लौहार के मॉडल टाउन, डी ब्लॉक के प्राचीन मंदिर की स्थिति भी ठीक नहीं है। स्थानीय लोग इस मंदिर को मंदिर बाजार के रूप में जानते हैं। लाहौर के सांडा क्षेत्र में कभी एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था, जो अब वजूद खो चुका है। लाहौर के अनारकली के बंसीधर मंदिर को भी 1992 में नुकसान पहुंचाया गया था।

झेलम में परित्यक्त मंदिर है। इसके बारे में मिथक है कि जो कोई भी इसके भवन को नुकसान पहुंचाएगा, उसे भारी नुकसान होगा या मारा जाएगा। बताते हैं कि अयोध्या आंदोलन के समय जब कुछ लोगों ने इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो वे खुद ही ऊपर से गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। रावलपिंडी के राजा बाजार में कुछ वर्ष पहले दंगा हुआ था जिसमें एक मदरसे को नुकसान पहुंचा था। इसके जवाब में उग्र भीड़ ने यहां के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। बाद में मदरसा का नया भवन बन गया, पर मंदिर आज भी जर्जर अवस्था में है। पंजाब के राधे श्याम मंदिर की स्थिति भी ठीक नहीं हैं। रावलपिंडी के भाबरा बाजार की सुजान सिंह हवेली मेंं एक मंदिर है। पहले यहां हिंदू व सिख परिवार रहते थे। कुछ साल पहले उनके भारत और ब्रिटेन चले जाने के बाद इस पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया। सिंध के थारपारकर में 2,500 साल पुराना जैन मंदिर भी वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। रावलपिंडी के गंज मंडी के मंदिर पर स्थानीय व्यपारियों ने कब्जा कर लिया है। लाहौर के मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में एक पुराना मंदिर है, जिसकी स्थिति अच्छी नहीं है। मीरपुर के अली बेग के गुरुद्वारे को भी स्थानीय लोगों ने तहस-नहस कर दिया है। मीरपुर से हिंदू और सिखों का भावनात्मक लगाव रहा है। यहां 1947 में भारी नरसंहार हुआ था।

रावलपिंडी के एक शिव मंदिर पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर उस पर अपने आवास खड़े कर लिए हैं। भारत में बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद प्रतिशोध में लाहौर के एक भव्य जैन मंदिर को ढहा दिया गया था। यह अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। लाहौर के मॉडल टाउन, डी ब्लॉक के प्राचीन मंदिर की स्थिति भी ठीक नहीं है।

पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों पर पाकिस्तानी लेखिका रीमा अब्बास ने एक किताब ‘हिस्टोरिक टेम्पल्स इन पाकिस्तान, ए कॉल टू कॉन्शाइंस’ लिखी है। इसमें मंदिरों का परिचय कराने के साथ उनकी दुर्दशा पर भी प्रकाश डाला गया है। कुछ दिनों पहले इमरान खान ने खैबर पख्तूनख्वा के जर्जर मंदिरों के पुनर्निर्माण का ऐलान किया था। इस पर अब तक अमल नहीं किए जाने से रीमा अब्बास नाखुश हैं।

समृद्ध हिंदू इतिहास
भारत के ग्रंथों में जिस सिंधु नामक देश का उल्लेख है, देश बंटवारे के बाद यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है। सिंधु घाटी की सभ्यता का केंद्र स्थान यही देश था। इसी सभ्यता के दो चर्चित नगर हैं- मोहनजोदड़ो और हड़प्पा। यह सभ्यता बलूचिस्तान के हिंगलाज मंदिर से भारत के राजस्थान और हरियाणा के भिराना और राखीगढ़ी तक फैली थी।

चौंकाने वाले तथ्य
आईआईटी, खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीनता को लेकर नए तथ्य सामने रखे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह सभ्यता 5,500 साल नहीं, बल्कि 8,000 साल पुरानी थी। इस लिहाज से यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से भी पुरानी है। मिस्र की सभ्यता 7,000 ईसा पूर्व से 3,000 ईसा पूर्व तक रहने के प्रमाण मिलते हैं, जबकि मेसोपोटामिया की सभ्यता 6,500 ईसा पूर्व से 3,100 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी। शोध की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘नेचर’ द्वारा 25 मई, 2016 को प्रकाशित एक लेख में इस रहस्योद्घाटन के बाद दुनियाभर की सभ्यताओं के उद्गम को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

मुद्रा से मूर्ति तक
सिंधु घाटी के लोग हिंदू थे। इसके कई प्रमाण मौजूद हैं। सिंधु घाटी की मूर्तियों में बैल की आकृतियों वाली मूर्ति को भगवान ऋषभनाथ से जोड़कर देखा जाता है। यहां से प्राप्त ग्रेनाइट पत्थर की एक नग्न मूर्ति भी जैन पंथ से संबंधित मानी जाती है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त मोहरों पर जो मुद्रा अंकित है, वह मथुरा के ऋषभदेव की मूर्ति के समान है व मुद्रा के नीचे ऋषभदेव का सूचक बैल का चिह्न भी मिलता है। मुद्रा के चित्रण को चक्रवर्ती सम्राट भरत से जोड़कर देखा जाता है। मोहनजोदड़ो सभ्यता के प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की एक मूर्ति के अनुसार उस समय भी दीपावली मनाई जाती थी। उस मूर्ति में मातृ-देवी के दोनों ओर दीप जलते दिखाई देते हैं। इससे सिद्ध होता है कि यह सभ्यता हिंदू आर्यों की ही सभ्यता थी।

कश्मीर से हिंदूकुश
अब प्राचीन भारत के गांधार, कंबोज और कुरु महाजनपद के कुछ हिस्से अफगानिस्तान और कुछ हिस्से पाकिस्तान में हैं। पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र गांधार राज्य के अंतर्गत आता था जिसकी राजधानी तक्षशिला थी। कंबोज महाजनपद का विस्तार कश्मीर से हिंदूकुश तक था। इसके दो प्रमुख नगर थे, राजपुर और नंदीपुर। जिन स्थानों के नाम आजकल काबुल, कंधार, बल्ख, वाखान, बगराम, पामीर, बदख्शां, पेशावर, स्वात, चारसद्दा आदि हैं, उन्हें संस्कृत और प्राकृत-पालि साहित्य में क्रमश: कुंभा या कुहका, गंधार, बाल्हीक, वोक्काण, कपिशा, मेरू, कम्बोज, पुरुषपुर (पेशावर), सुवास्तु, पुष्कलावती आदि के नाम से जाना जाता था। उपरोक्त सभी राज्य हिंदू राज्य थे, जहां बौद्ध लोगों का बाद में वर्चस्व हो गया था। अंत में यहां खलिफाओं के शासन में इस्लामिक राज्य की स्थापना हुई। कहते हैं कि अफगानी, पाकिस्तानी और बलूचिस्तानी तुर्वसु, अनु और पुरु के वंशज हैं। पुरु के पुत्र पौरव कहलाए और पोरवों में ही आगे चलकर कुरु हुए। कुरु के पुत्र ही कौरव कहलाए।

महाभारत से रिश्ता
महाभारत के काल में पुरुवंश के एक राजा हुए जिनका नाम दुष्यंत था और जिन्होंने शकुंतला से विवाह किया था। इन्हीं के पुत्र भरत की गणना महाभारत में वर्णित 16 सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के जीवन के बारे में उल्लेख मिलता है। सिकंदर के आक्रमण के समय आज पाकिस्तान के अधिकतर क्षेत्र पर सम्राट पोरस का सम्राज्य था। पुरुवंशी महान सम्राट पोरस सिंध-पंजाब सहित एक बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी थे। पोरस का साम्राज्य झेलम और चिनाब नदियों के बीच स्थित था। पोरस के संबंध में मुद्राराक्षस में उल्लेख मिलता है। जब भारत में नौवां बौद्ध शासक वृहद्रथ राज कर रहा था, तब ग्रीक राजा मीनेंडर अपने सहयोगी डेमेट्रियस के साथ युद्ध करता हुआ सिंधु नदी के पास तक पहुंच चुका था। सिंधु के पार उसने भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई। इस मीनेंडर या मिनिंदर को बौद्ध साहित्य में मिलिंद कहा जाता है। हालांकि बाद में मीनेंडर ने बौद्ध मत अपना लिया था। मिलिंद पंजाब पर लगभग 140 ई.पू. से 160 ई.पू. तक राज्य करने वाले यवन राजाओं में सबसे उल्लेखनीय राजा था। उसने अपनी सीमा का स्वात घाटी से मथुरा तक विस्तार कर लिया था। वह पाटलीपुत्र पर भी आक्रमण करना चाहता था, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। शक, कुषाण और हूणों के पतन के बाद भारत का पश्चिमी छोर कमजोर पड़ गया, तब आज के अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्से फारस साम्राज्य के अधीन थे, तो बाकी भारतीय राजाओं के, जबकि बलूचिस्तान एक स्वतंत्र सत्ता थी।

संघर्ष धर्म-अधर्म का
इतिहासकारों अनुसार इस्लाम के प्रवेश से पहले अफगानिस्तान (कम्बोज और गांधार) में बौद्ध एवं हिन्दू धर्म यहां के राजधर्म थे। मोहम्मद बिन कासिम ने बलूचिस्तान को अपने अधीन लेने के बाद सिंध पर आक्रमण कर दिया। ऐतिहासिक वर्णन के अनुसार सिंध के राजा दाहिरसेन का बेरहमी से कत्ल कर उसकी पुत्रियों को बंधक बनाकर ईरान के खलीफाओं के लिए भेज दिया गया था। कासिम ने सिंध के बाद पंजाब और मुल्तान को भी अपने अधीन कर लिया। उस दौर में अफगानिस्तान में हिंदू राजशाही के राजा अरब और ईरान के राजाओं से लड़ रहे थे। अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध मत के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। छठी सदी तक यह एक हिंदू और बौद्ध-बहुल क्षेत्र था।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

सीजफायर का पाकिस्तान ने किया उल्लंघन

पाकिस्तान ने 3 घंटे बाद ही सीजफायर तोड़ा, समझौते का कर रहा घोर उल्लंघन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

सीजफायर का पाकिस्तान ने किया उल्लंघन

पाकिस्तान ने 3 घंटे बाद ही सीजफायर तोड़ा, समझौते का कर रहा घोर उल्लंघन

‘अच्छा इसलिए झुका पाकिस्तान’… : जानिए India Pakistan Ceasefire के पीछे की कहानी

पाकिस्तानी गोलाबारी में JCO बलिदान, 6 की मौत और 20 से अधिक घायल

मऊ में ट्रिपल तलाक का सनसनीखेज मामला : रिजवाना को छोड़कर अशरफ ने रचाया दूसरा निकाह, पीड़िता ने SP से लगाई गुहार

उत्तराखंड : जमरानी बांध पहुंचे सांसद अजय भट्ट- 2029 तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies