कृषि कानून के खिलाफ मैदान में अब ज्यादा दिन नहीं टिक सकेंगे राकेश टिकैत ?
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

कृषि कानून के खिलाफ मैदान में अब ज्यादा दिन नहीं टिक सकेंगे राकेश टिकैत ?

by WEB DESK
Feb 10, 2021, 12:21 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जन आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक देश की जीवंतता की उदाहरण होती है, लेकिन पिछले एक दशक में हमने देखा है कि इन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों को अब निजी जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बना लिया गया है
किसान आंदोलन इसका एक बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है। हालांकि जन-आंदोलन के जरिए निजी महत्वाकांक्षाओं को पूरी करने की शुरूआत देश में 16 दिसंबर, 2012 में राजधानी दिल्ली में तब शुरू हुई जब एक चलती बस में एक पैरा मेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना घटी थी, जिससे पूरा देश आक्रोशित हो गया था।

राजधानी दिल्ली में घटी इस हृदयविदारक घटना के बाद समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन शुरूआत में गैंगरेप पीड़िता के कसूरवारों को सजा दिलाने के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग से आरंभ हुई थी, लेकिन अचानक ही इसकी रूपरेखा बदलकर राजनीतिक हो गई, जिसकी कमान अचानक अन्ना हजारे के हाथों से फिसलकर दिल्ली में दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो चुके अरविंद केजरीवाल के हाथों में पहुंच गई थी।

आगे की कहानी सभी जानते हैं कि कैसे एक जन-आंदोलन को पतवार और भ्रष्टाचार मुक्ति आंदोलन को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनाकर एक शातिर अराजक व्यक्ति देश के दिल यानी राजधानी दिल्ली में सत्तासीन हो गया। भारत में जन-आंदोलनों की ऐसी दुर्दशा पहले कभी नहीं हुई थी। जन आंदोलन को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनाने वाली आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी में अंतर साफ दिखा तो पार्टी से जुड़े अच्छे लोग संगठन से दूर हो गए, लेकिन तब तक आम आदमी पार्टी ने लक्ष्य साध लिए थे। कुछ ऐसा ही हश्र किसान आंदोलन के साथ हुआ है, जब लालकिले पर हुए तिरंगे के अपमान के बाद राष्ट्रवादियों ने किसान आंदोलन से दूरी बना ली है।

याद रखिए, किसान आंदोलन के बड़े हिमायती दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री गणतंत्र दिवस पर अपनी खुद की पहचान एक अराजक के रूप करवा चुके हैं, बावजूद आम आदमी पार्टी दूसरी बार सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हुई। यह सब इसलिए संभव हो सका, क्योकि दिल्ली की जनता मुफ्त पानी और बिजली की मोहपाश में एक अराजक को दिल्ली में फलने-फूलने का अवसर दिया था। राजनीतिक फायदों के लिए आम आदमी पार्टी तथाकथित किसान आंदोलन के समर्थन में थी और ऐसे ही लोगों ने एक बार फिर गणतंत्र दिवस पर देश को शर्मसार किया।

देश में अराजकों के प्रति सहानुभूति का ही खामियाजा कहेंगे कि पिछले एक दशक में राजधानी दिल्ली हिंसा और अराजकता की गढ़ में तब्दील हो चुकी है, जहां आए दिन धरना-प्रदर्शन की आड़ में देशविरोधी गतिविधियों को लगातार प्रश्रय मिलता रहा है। कृषि कानून 2020 की आड़ में दिल्ली के बार्डर पर जारी किसान आंदोलन इसका बड़ा उदाहरण है, जिसको सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी का समर्थन प्राप्त है। इतिहास गवाह है आम आदमी पार्टी अब तक ऐसे सभी आंदोलनों के पीछे खड़ी है, जिसमें देशविरोधी तत्व शामिल रहे हैं।

गौरतलब है नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने का साजिशकर्ता आम आदमी पार्टी का पार्षद ताहिर हुसैन और दंगों में उसकी संलिप्तता जगजाहिर हो चुकी है। वहीं, किसान आंदोलन में खालिस्तानी समर्थकों की भूमिका और उनके इरादे भी उजागर हो चुके हैं, जो कृषि कानून के खिलाफ मनगढंत आशंकाओं की आड़ में देश को अस्थिर करने के लिए भोले-भाले किसानों का इस्तेमाल कर न केवल देश की एक सशक्त सरकार को डगमगाने में लगे हैं, बल्कि देश को तोड़ने का षडयंत्र कर रहे हैं।

अब यह किसी से छिपा नहीं रह गया है कि लालकिले की प्राचीर पर चढ़कर तिरंगे का अपमान करने वाले अराजक तंत्र केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से सीधा टकराव चाहते थे, लेकिन दूरदर्शी सरकार और दिल्ली पुलिस के संयमित रवैये ने अराजक तत्वों के गलत इरादों पर पानी फेर दिया, जिसमें 400 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए। हालांकि गत 26 जनवरी, 2021 को लाल किले तक ट्रैक्टर लेकर में पहुंचे अराजकों के भीतरघात ने किसान आंदोलन के लिए शेष सहानुभूति को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

कृषि कानून के खिलाफ लगभग 70 दिनों तक चले किसान आंदोलन की यह बड़ी हार थी। इस आंदोलन से जुड़े 40 किसान यूनियन ही नहीं, इससे जुड़े आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष भी पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो गया। भारतीय किसान यूनियन के कर्ताधर्ता राकेश टिकैत की आंखों में निकले आंसू इसकी गवाही दे चुके हैं। निःसंदेह कृषि कानून 2020 में प्रावधानित तीनों नए कानूनों को रद्द करने की मांग पर अब तक अड़े किसान नेता राकेश टिकैत अब हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं।

किसान आंदोलन के खोखलेपन को गत 6 फरवरी को बुलाए गए चक्का जाम की असफलता ने सामने ला दिया है, जो कि पंजाब छोड़ हर जगह असफल रही थी। अक्तूबर, 2021 तक किसान आंदोलन को जारी रखने की कवायद महज चेहरा छुपाने की कोशिश कही जा सकती है, क्योंकि राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब के दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान नेताओं और किसान आंदोलन के समर्थन में खड़े राजनीतिक दलों का असली चेहरा देश को दिखा चुके हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies