‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश’ को विधेयक के रूप में पास कराया जाएगा. कन्वर्जन कराने वाले को अलग-अलग श्रेणी में एक साल से 10 साल तक की सजा हो सकती हैं
हाल के वर्षों में लव जिहाद की कई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे नियंत्रित करने का निर्णय लिया. कई घटनाओं में देखा गया कि केवल निकाह करने के लिए हिन्दू लड़कियों का कन्वर्जन कराया गया. कन्वर्जन रोकने के लिए गत वर्ष योगी सरकार अध्यादेश ले आई. ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ जिस समय लाया गया था. उस समय कोरोना संकट के कारण विधानसभा का सत्र स्थगित चल रहा था. सरकार जब किसी मामले पर अध्यादेश लाती है तब उस अध्यादेश को 6 माह के अन्दर विधानमंडल से पारित कराना होता. विधानसभा से पारित अध्यादेश, राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधेयक बन जाता है. गत मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि आगामी 18 फरवरी से शुरू होने वाले विधानमंडल के सत्र में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश’ को विधेयक के रूप में पास कराया जाएगा. कन्वर्जन कराने वाले को अलग-अलग श्रेणी में एक साल से 10 साल तक की सजा हो सकती हैं.
किसी कपटपूर्ण माध्यम द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में ‘कन्वर्जन’ कराए जाने को एक संज्ञेय अपराध के रूप में मानते हुए सम्बन्धित अपराध गैर जमानतीय प्रकृति का होगा. अभियोग प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय होगा. उपबन्धों का उल्लंघन करने हेतु कम से कम 01 वर्ष अधिकतम 05 वर्ष की सजा जुर्माने की राशि 15,000 रुपए से कम नहीं होगी. अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के सम्बन्ध में धारा-3 के उल्लंघन पर कारावास कम से कम 3 वर्ष अधिकतम 10 वर्ष तक का होगा और जुर्माने की राशि 25,000 रुपए से कम नहीं होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में कारावास न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने की राशि 50,000 रुपए से कम नहीं होगी. कन्वर्जन के इच्छुक होने पर विहित प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को 2 माह पूर्व सूचना देनी होगी. इसका उल्लंघन किये जाने पर 6 माह से 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माने की राशि 10,000 रुपए होगी.
यह कानून, ऐसे धर्म कन्वर्जन को एक अपराध की श्रेणी में लाकर प्रतिषिद्ध करेगा, जो मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक प्रभाव, प्रपीड़न, प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा कन्वर्जन किया जा रहा हो. यह अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सम्बन्ध में ऐसे कन्वर्जन के लिए वृहत दण्ड का प्रावधान करेगा. सामूहिक कन्वर्जन के मामले में कतिपय सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त करके उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी. कन्वर्जन , मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक प्रभाव, प्रपीड़न, जबरदस्ती, प्रलोभन या अन्य किसी कपटपूर्ण रीति से या विवाह द्वारा कन्वर्जन नहीं किया गया, के सबूत का भार ऐसे कन्वर्जन कराने वाले व्यक्ति पर एवं ऐसे संपरिवर्तन-व्यक्ति पर होगा.” इसका आशय यह है कि ‘कन्वर्जन’ करने के बाद जिसके साथ विवाह हुआ है. उस व्यक्ति के ऊपर साक्ष्य का भार होगा कि वह यह साबित करे कि किसी कपटपूर्ण रीति से ‘कन्वर्जन’ नहीं हुआ है. एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए विहित प्राधिकारी के समक्ष उद्घोषणा करनी होगी कि यह कन्वर्जन, मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक, प्रभाव, प्रपीड़न, जबरदस्ती, प्रलोभन या अन्य किसी कपटपूर्ण रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में कन्वर्जन करने के लिए नहीं है. किसी एक धर्म से अन्य धर्म में लड़की का ‘ कन्वर्जन’ सिर्फ विवाह के लिए किया गया है तो ऐसे विवाह को , विवाह शून्य की श्रेणी में लाया जा सकेगा.
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