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किसान आंदोलन: आंदोलन स्वतः स्फूर्त होते हैं छिपकर साजिश होती है

by WEB DESK
Feb 5, 2021, 10:07 am IST
in भारत
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आंदोलन स्वतः स्फूर्त होते हैं. सार्वजनिक होते हैं. छिपकर जो की जाती हैं, वे साजिशे हैं. देश में इस समय जिस किसान आंदोलन को आप देख रहे हैं, वो भारत को अस्थिर करने, लगातार प्रचंड होती छवि को धूमिल करने, भारत सरकार के प्रति विश्व भर में अविश्वास पैदा करने की एक ग्लोबल साजिश है.
एक खास वैचारिक तबके द्वारा विश्व स्तर पर रची गई इस साजिश का खुलासा खुद उनकी ही एक नामचीन हमदर्द की छोटी सी गलती से हो गया. एक किशोरी है ग्रेटा थनबर्ग. सही पहचाना आपने. वही पर्यावरण के नाम पर दुनिया भर को आंख दिखाने वाली लड़की. महानता उस पर इस वैचारिक तबके ने लाद तो दी है, लेकिन वह मानसिक स्तर पर कई साल पूर्व वाली उम्र में अटक गई है.

ग्रेटा ने अनजाने में एक टूल किट, (आनलाइन गाइड), शेयर कर दी, जिसमें किसान आंदोलन के नाम पर भारत के खिलाफ पूरी दुनिया में वैमनस्य फैलाने का एजेंडा था. हमेशा की तरह देशद्रोही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की एक लेफ्टिनेंट ने इसे इजाद किया था. इसी टूल किट का नतीजा था कि नाच के नाम पर भौंडापन करने वाली इंटरनेशनल स्टार रिहाना और फिर पोर्न सुपर स्टार मिया खलीफा ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर डाला. सचिन तेंदुलकर से लेकर अजय देवगन तक तमाम भारती सेलीब्रिटी ने इन वामपंथी एजेंडा समर्थकों की खबर ले डाली. ट्विटर पर इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगेंडा हैशटेग का तूफान आ गया. एक अमेरिकी हिप हॉप स्टार अनकोनफाइंड ने भी भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया, लेकिन कुछ ही घंटों में उसे डिलीट करना पड़ गया.

असल में इस स्टार के भारत में बहुत फॉलोअर हैं. उन्होंने अनफॉलो करना शुरू कर दिया, साथ ही वह टूल किट भी इस स्टार के साथ शेयर कर दी, जो ग्रेटा की गलती से लीक हो गई थी. अनकोनफाइंड ने अपना ट्वीट डिलीट तो किया ही, साथ ही वीडियो संदेश भी जारी किया कि वह इस आंदोलन के न तो समर्थन में हैं, न खिलाफ हैं. उन्होंने सफाई दी कि मैंने ट्वीट इसलिए डिलीट किया क्योंकि मैं इस आंदोलन के बारे में कुछ नहीं जानता. यह तो इस स्टार की ईमानदारी थी, लेकिन वामपंथियों से ऐसी ईमानदारी की उम्मीद बिल्कुल मत रखिए. वैसे, दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ वैमनस्य फैलाने के इस प्रयास के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है. फिलहाल रिपोर्ट में मुल्जिम अज्ञात के रूप में दर्ज किए गए हैं, लेकिन इसी अज्ञात की चपेट में नक्सलवादी, खालिस्तानी, केजरीवाल की साजिश टीम, जिहादी और राष्ट्र विरोधी तमाम तत्व आ सकते हैं.

पहले समझिए कि यह टूल किट है क्या. एक तरह की गाइड होती है, जिसे आपको किसी एजेंडा के लिए दिया जाता है. इसमें बताया जाता है कि आपको क्या कहना है, कब कहना है, किससे कहना है. किसे टैग करना है, क्या हैशटैग होगा. आपको किन लिंक्स के जरिये प्रोपेगेंडा सामग्री मिलेगी. ग्रेटा ने तीन फरवरी की शाम को अनजाने में गूगल डॉक्यूमेंट की एक फाइल शेयर कर दी. लेकिन कुछ देर बाद ही उसने इसे डिलीट कर दिया. लेकिन तब तक तमाम यूजर इसे डाउनलोड कर चुके थे.

कैसे आग लगाने का प्लान है इस टूल किट में

इसका शीर्षक है, भारत के किसानों के साथ एकजुटता में ट्विटर स्टॉर्म

इसके शुरू में बताया गया है कि भारत सरकार ने किसानों से बिना सलाह-मशविरा लिए, बिना समुचित जांच तीन कृषि कानून बना दिए हैं. यह दस्तावेज दुष्प्रचार करता है कि भारत में किसानों के खिलाफ सरकारी हिंसा में हजारों किसान घायल हो चुके हैं. कहां.. ये नहीं बताता. इसके मुताबिक पुलिस गोली चला रही है, पेट्रोल बम फेंक रही है, जबकि खुद पांच सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी इन किसान वेशधारियों के हमलों में घायल हो चुके हैं. यह दस्तावेज नक्सलियों और राहुल गांधी वाली भाषा में अंबानी और अडानी का जिक्र करते हुए ये भ्रम फैलाता है कि वे देश की सारी कृषि को हड़प लेंगे. इसमें लैंडवर्कर्स नाम की एक वेबसाइट का लिंक दिया गया है. इसमें वे तमाम देश विरोधी ट्विटर हैंडिल हैं, जिन्हें फॉलो करने की सलाह दी गई है. तीन आनलाइन पिटिशन के लिंक दिए गए हैं. इसमें भारत सरकार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटिश सांसदों को पिटिशन भेजने का प्रावधान है.

इसमें हिंसा के भड़काने से लेकर निश्चित तारीखों का जिक्र है

जैसे 25 जनवरी तक आनलाइन एकजुटता दिखाने वाले फोटो और वीडियो संदेश शेयर करें. क्या ये इत्तफाक है कि 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा फैलाई गई.

26 जनवरी को कृषि बिल के विरोध में डिजिटल स्ट्राइक.

5 फरवरी तक फोटो और वीडियो संदेश ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करके ट्विटर स्टॉर्म पैदा किया जाए. क्या ये इत्तफाक है कि 6 फरवरी को इन कथित किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का ऐलान कर रखा है.

भारत सरकार पर दबाव डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिशकी जाए. भारतीय दूतावासों पर विरोध प्रदर्शन किए जाएं. अडानी और अंबानी की कंपनियों के कार्यालयों का घेराव किया जाए.

पुलिस जांच में इस टूल किट के इन्हीं कुछ खास बिंदुओं पर जांच चल रही है. इस टूल किट के जरिये भारत विरोधी साजिश कितनी गहरी है ये समझिए. भारत की नई छवि पिछले कुछ समय में उभरी है. उससे इन्हें दिक्कत है. ये टूल किट कहती है कि भारत की योग और चाय वाली छवि को धवस्त करना होगा. ग्रेटा ने बाद में एक एडिटिड टूल किट शेयर की. इसमें तमाम साजिश वाले हिस्से संपादित कर दिए गए. यह काम आम आदमी पार्टी की मुंबई की एक नेता ने किया. दिल्ली पुलिस की उस पर भी नजर है.

दिल्ली पुलिस ने के मुताबिक एक खास सोशल मीडिया अकाउंट (ग्रेटा का नाम लिए बिना) से एक डॉक्युमेंट/’टूल किट अपलोड किया गया था, यह टूल किट खालिस्तान से जुड़े एक संगठन ‘पोएटिक जस्टिस’ का है.’ स्पेशल कमिश्नर का कहना है कि टूल किट में किसान आंदोलन के नाम पर डिजिटल स्ट्राइक की बात कही गई है. 26 जनवरी की हिंसा को देखें तो इससे पता चलता है कि पूरे प्लान तरीके से सबकुछ किया गया है. दिल्ली पुलिस ने गूगल से इस डॉक्यूमेंट को मांगा है. पुलिस को आशंका है कि इसे या नष्ट कर दिया गया है या फिर इसका रूप बदल दिया गया है. इसलिए पुलिस ने गूगल से कहा कि वह मूल दस्तावेज उपलब्ध कराए.

इस पूरे मामले को लेकर देश में उबाल है. पहले से ही इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग का शक और सुबूत हैं. इसके अलावा इसमें खालिस्तानियों, नक्सलियों और जिहादियों की मौजूदगी है. और जहां इनकी मौजूदगी होती है, वहां कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल भी जुटते हैं. कहने को ये आंदोलन किसानों का है, लेकिन रिहाना या ग्रेटा जैसे नाम आने के बाद और फिर इस टूल किट के सामने आ जाने से ये साबित होता है कि किसानों के नाम पर बैठे ये नेता सिर्फ मोहरा भर हैं. विदेश मंत्रालय ने भी इस बाबत बयान जारी किया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद कृषि संबंधित सुधारवादी कानूनों को पारित किया है. ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाजार में व्यापक पहुंच देते हैं. ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं.

इंडिया टुगैदर और इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगेंडा हैशटेग की सुनामी ट्विटर पर चल रही है. अब लोग पूछ रहे हैं कि ये अंतरराष्ट्रीय साजिश कैसे और किसने रची. रिहाना, मिया खलीफा और ग्रेटा कौन होते हैं, हमारे मामलों में दखल देने वाले. सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, अजय देवगन समेत तमाम सेलीब्रिटी भी इन्हें मुंहतोड़ जवाब दे चुकी हैं. इस सबके बीच, तथाकथित किसान नेता एक्सपोज हो जाने के बावजूद इस साजिश पर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है.

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