हृदय : आधुनिक व वैदिक विमर्श
May 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

हृदय : आधुनिक व वैदिक विमर्श

by WEB DESK
Feb 4, 2021, 05:51 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हृदय के विद्युत आधारित स्पन्दन तंत्र के वैदिक सन्दर्भों की चर्चा के उपरान्त दो सहस्राब्दी से पूर्व संकलित वैदिक वाङ्मय और सत्रहवीं सदी से आरम्भ हुए आधुनिक अनुसंधानों का विमर्श इस लेख में दिया जा रहा है हृदय शब्द की संरचना अर्थात् निर्वचन में ही हृदय को रक्त संचारकर्ता और नाड़ी-गति नियामक बताया गया है। यथा-‘हरतेर्ददातेरयतेर्यम: इति हृदय शब्द:’। हृदय शब्द के चार अक्षरों का तात्पर्य है ह+र+द+य में ‘ह’ से ‘हरते’ अर्थात् हरता है या रक्त को लेता- आहरित करता है, ‘द’ से ददाते शरीर को रक्त देता है, ‘र’ से रयते शरीर में रक्त को घुमाता है और ‘य’ से यमम् अर्थात् धड़कनों का नियमन करता है। हृदय पर आधुनिक अनुसंधानों का सूत्रपात विलियम हार्वे ने प्रथम बार 1628 में बताया था कि हृदय शरीर में मस्तिष्क सहित 0िवविध अंगों में रक्त प्रवाहित करता है। इटली के वैज्ञानिक मार्शेलो मल्फीगो ने 1669 में रक्त संचार में हृदय की भूमिका को और स्पष्ट किया था। तदुपरान्त हृदय की रचना व कार्य पद्धति, रोग निदान व सूक्ष्म शल्यक्रियाओं सहित चिकित्सा आदि की जानकारी बीसवीं सदी व उसके बाद की है। प्राचीन भारतीय विमर्श तीन सहस्राब्दी ईसा पूर्व से 2,500 वर्ष पहले तक के ग्रंथों में हृदय की प्रत्यक्ष सतही चर्चा में आठ कार्यों का प्रत्यक्ष उल्लेख है-एक, हृदय शरीर से रक्त का आहरण, दो, सभी अवयवों को रक्त के माध्यम से पोषण व ओज देता है, तीन, शरीर में रक्त को घुमाना या उसका परिभ्रमण करना, चार, आजन्म धड़कनों का स्वतंत्र रूप से नियमन, पांच, ये धड़कनें हृदय में विद्युत आवेश के स्पन्दनों से जनित हैं, छह, इन धड़कनों में शिथिलता पर हृदय के अग्रभाग में विद्युत आवेश की पूर्ति, सात, महाधमनियां व धमनियां रक्त व पोषक तत्वों को ले जाती हैं और आठ, शिराएं रक्त को वापस लाती हैं। सत्रहवीं सदी तक वैज्ञानिकों को केवल ऊपर के क्रमांक तीन की ही जानकारी थी। उपरोक्त क्रमांक पांच व छह का विवेचन पिछले लेख में हो चुका है। भारतीय वाङ्मय में हृदय प्राचीन वाङ्मय में शतपथ ब्राह्मण, बृहदारण्यक उपनिषद्, भेल संहिता, नाड़ी ज्ञानम् एवं चरक संहिता सहित कई आयुर्वेदिक ग्रंथ ईसा पूर्व के हैं। चरक व भेल का बौद्धकालीन त्रिपिटकों में उल्लेख होने से ये 2,500 वर्ष से प्राचीन सिद्ध होते हैं जो लगभग 4,000 वर्ष पुराने हैं। नाड़ी ज्ञानम् 14वीं सदी के माधव निदान से प्राचीन है। शतपथ ब्राह्मण 3000 ईसा पूर्व, 5000 वर्ष पहले जब कृतिका नक्षत्र में वसन्त सम्पात होता था उसमें भी हृदय का विवेचन है। शतपथ ब्राह्मण: एष: प्रजापितर्यद् हृदयमेतद् ब्रहमैतत सर्वम्। तदेतत्् यक्षरं हृदयमिति हृ इत्येकमक्षरमभिहरन्त्यस्मै स्वाष्चान्ये च य एवं वेद। द इत्ययेकमक्षरं ददन्त्यस्मै स्वाष्चान्ये च य एवं वेद। यमित्येकमक्ष यमं नियमनम् स्वर्गं लोकं च य वेद॥ (शतपथ ब्राह्मण 18/84/1) अर्थ: ‘ह’ से आशय रक्त का हरण या आहरण अर्थात् सम्पूर्ण शरीर से रक्त लेना। ‘द’ का अर्थ है ददाते या देना अर्थात् शरीर के अवयवों को रक्त देना। ‘र’ का अर्थ है रयते अर्थात् शरीर में रक्त को घुमाना, अर्थात् शरीर में रक्त को संचरित या परिभ्रमित करना। ‘य’ अर्थात यमम् या नियमपूर्वक निरन्तर नियमित गति से धड़कनों का नियमन। बृहदारण्यक उपनिषद् (5/3/1): शरीर का नियन्ता हृदय सर्वस्व है। इसके 3 अक्षर में हृ (ह+ऋ) में ‘ह’ से आशय रक्त व पोषक रसों का आहरण, ‘र’ से रयते अर्थात् घुमाना या संचार करना, ‘द’ से रक्त-रसादि शरीर को देना, एवं ‘यम्’ से नियमन अर्थात् धड़कनों के नियमन से भूलोक व स्वर्ग लोक सहित सर्वत्र आत्म तत्व का नियमन। यास्ककृत निरुक्त: हरतेर्दतातेरयतेर्हृदय शब्द:- निरुक्त धड़कनों का स्वतंत्र व स्वायत्त नियमन : आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार हृदय की धड़कनों का नियंत्रण प्राकृतिक पेसमेकर करता है और हृदय जीवनभर अपने आप ही धड़कता रहता है, जिसमें मस्तिष्क की कोई भूमिका नहीं होती। हृदय के चारों प्रकोष्ठों (दोनों आलिन्द व दोनों निलय) के बीच स्थित प्राकृतिक पेसमेकर द्वारा प्रेषित कम तीव्रता के विद्युत स्पंदनों से हृदय प्रति मिनट में 72 बार धड़कता है। विद्युत संदेशों से आलिन्द या ऐट्रिया व निलय या वेण्ट्रिकल्स के सिकुड़ने को सिस्टल एवं सिकुड़न के बाद के अल्प अन्तराल के फैलाव को डाएस्टल कहते हैं। सिस्टल और डाएस्टल क्रियाओं का यह क्रम नियमित रूप से स्वत: जीवन भर चलता है। नाड़ी ज्ञानम् और धड़कनों का स्वनियमन नाड़ी ज्ञानम् की प्राचीन पाण्डुलिपि के अनुसार भी हृदय एक स्वत: संचालित मांसपेशीय अंग है जो रक्त संचारार्थ स्वयंमेव ही संकोच व फैलाव की क्रिया आजन्म बार-बार व निरन्तर करता है: ‘‘तत्संकोच च विकास चस्वत: कुर्यात पुन: पुन:’’ (नाड़ी ज्ञानम्) भेल संहिता : चरक के समकालीन 4000 वर्ष पूर्व महर्षि भेल रचित भेल संहिता के अध्याय 21, श्लोक 3 में भी उल्लेख है ‘‘हृदय से रक्त निकल कर शरीर के समस्त अंगों को पोषक तत्व युक्त रसों से पोषित कर पुन: हृदय के आवर्ती स्वसंकुचन से शिराओं के माध्यम से पुन: हृदय में जाता है: हृदो रसो निस्सरित तस्मादेति च सर्वश:। सिराभिर्हृदयं वैति तस्मात्तत्प्रभवा: सिरा:॥ (भेल संहिता 21़3) धमनियों व शिराओं के आधुनिक भेद के प्राचीन विमर्श : धमनियां हृदय से रक्त को शरीर के अवयवों में ले जाती हैं और शिराएं पुन: हृदय तक लाती हैं। धमनियों व शिराओं के इस कार्य विभेद की जानकारी सहित भेल संहिता में शिराओं द्वारा रक्त को हृदय में लौटाने के साथ ही चरक संहिता (अध्याय 30) में हृदय की महाधमनियों, धमनियों व शिराओं का वर्णन है। हृदय पर चरक संहिता सहित कई प्राचीन ग्रंथों में परोक्ष निरुक्ति परक शब्दों में व विगत 20 वर्ष के सूक्ष्म अनुसंधानों का भी सम्यक विमर्श है।
(लेखक गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटरनोएडा के कुलपति हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Dhruv Rathi

यूट्यूबर ध्रुव राठी पर एफआईआर की मांग, सिखों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप

पाकिस्तानी जासूस तारीफ

नूंह से पाकिस्तानी जासूस तारीफ गिरफ्तार, भेजी गोपनीय जानकारी, पाकिस्तान उच्चायोग के दो कर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज

दिग्विजय सिंह

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा माैत मामले में भाई ने दर्ज कराई शिकायत

साइबर संघर्ष में भी पिटा पाकिस्तान

Makhana Benefits

वजन कम करने में मखाना कैसे करता है मदद?

बैठक

देहरादून में 16वें वित्त आयोग की बैठक, राज्य की दीर्घकालिक योजनाओं पर अहम चर्चा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Dhruv Rathi

यूट्यूबर ध्रुव राठी पर एफआईआर की मांग, सिखों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप

पाकिस्तानी जासूस तारीफ

नूंह से पाकिस्तानी जासूस तारीफ गिरफ्तार, भेजी गोपनीय जानकारी, पाकिस्तान उच्चायोग के दो कर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज

दिग्विजय सिंह

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा माैत मामले में भाई ने दर्ज कराई शिकायत

साइबर संघर्ष में भी पिटा पाकिस्तान

Makhana Benefits

वजन कम करने में मखाना कैसे करता है मदद?

बैठक

देहरादून में 16वें वित्त आयोग की बैठक, राज्य की दीर्घकालिक योजनाओं पर अहम चर्चा

प्रतीकात्मक तस्वीर

आईएसआई को सैन्य जानकारी दे रहे थे दो भेदी काबू, मोबाइल जांच में पुष्टि

मनजिंदर सिंह सिरसा
उद्योग मंत्री, दिल्ली

आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चलेगा

विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता विहिप

क्या पाक प्रेमियों के दबाव में है टीएमसी..!!

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

संभल के हरिहर मंदिर मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies