दंगाइयों की पैरवी कर रही है पंजाब सरकार
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

दंगाइयों की पैरवी कर रही है पंजाब सरकार

by WEB DESK
Feb 3, 2021, 11:03 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हिंसा कर दहशत फैलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए पंजाब के ‘कथित किसानों’ को पंजाब की कांग्रेस सरकार नि:शुल्क कानूनी सहायता देने जा रही है, क्या यह संवैधानिक है

पंजाब सरकार ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के आरोपियों को नि:शुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर बताया कि सरकार ने 70 वकीलों का पैनल बनाया है जो जेल में बंद दंगा आरोपी कथित किसानों को कानूनी सहायता उपलब्ध करवाएगा। राज्य के कैबिनेट मंत्री श्री सुखजिंदर सिंह रंधावा व श्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने बताया कि दिल्ली पुलिस की तरफ से गिरफ्तार किसानों के केस लड़ने के लिए पंजाब सरकार की तरफ से वकीलों की टीम बनाई गई है। यह टीम इन किसानों के परिवार के साथ संपर्क करके वकालतनामों पर हस्ताक्षर करवाएगी और मामलों की बिना किसी फीस के कानूनी पैरवी करेगी।
पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा विशुद्ध रूप से राजनीतिक दृष्टि से लिए गए इस फैसले की वैधानिकता पर सवाल उठने शुरू हो चुके हैं। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि संवैधानिक रूप से चुनी हुई सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह का कदम नहीं उठा सकती। मुख्यमंत्री निजी तौर पर या अपनी पार्टी के रूप में ही किसी अपराध के आरोपियों को मदद कर सकते हैं। लोगों ने सवाल किया है कि कानून अनुसार दर्ज हुए परचे पर कोई संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार किस तरह आरोपियों को मदद कर सकती है ? जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई को किस आधार पर कोई दल अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं और इन हुड़दंगियों के बचाव में पानी की तरह बहा सकता है ?
वैसे राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दंगे के आरोपी कथित किसानों के प्रति मुख्यमंत्री की यह दरियादिली साफ इशारा करती है कि वे मान रहे हैं कि आंदोलन के पीछे कांग्रेस पार्टी का ही हाथ है। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुए दंगों के तत्काल बाद कांग्रेस पार्टी सहित समूचे विपक्षी दलों ने अपनी पुरानी आदत के अनुसार इनके पीछे भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ बताया था परंतु अब सवाल उठने लगे हैं कि अगर हुड़दंगी भाजपा और संघ के कार्यकर्ता हैं तो कांग्रेस की सरकार इन पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही है ? कांग्रेस सरकार का इनके बचाव में आना अपने आप में यह स्वीकारोक्ति है कि दंगाई कहीं न कहीं कांग्रेस के ही उकसाए हुए थे। नियम अनुसार तो किसी अपराधी या आरोपी को सरकारें वैधानिक सेवा प्राधिकरण के जरिए लोक अदालतें लगा कर नि:शुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाती हैं परंतु इसके लिए विशेष पात्रता निर्धारित की गई और उसकी अलग से वैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। दिल्ली के दंगों के आरोपी उक्त कोई पात्रता पूरी नहीं करते और न ही उन्होंने इसके लिए कोई आवेदन किया है तो क्यों पंजाब सरकार अपने राज्य की सीमा से बाहर जा कर असंवैधानिक कदम उठा रही है ? स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य विशुद्ध रूप से राजनीतिक है न कि किसानों की मदद करना। कितने दुर्भाग्य की बात है कि एक तरफ जहां राज्य सरकार वित्तीय संकट का राग अलापती नहीं थकती और इसके लिए केंद्र सरकार को कोसती रही है वहीं अपने राजनीतिक लाभ के लिए जनता का पैसा दंगा आरोपियों की पैरवी पर खर्च करने जा रही है। राज्य में कांग्रेस सरकार के आने के बाद विकास ने तो मानो वनवास ही ले लिया परंतु राजनीतिक खेल के लिए सरकारी खजाने के मुंह खोलने की तैयारी चल रही लगती है।
दिल्ली में हुए दंगों के बाद पंजाब में उलटबांसियों को क्रम बढ़ता ही जा रहा है। यहां की पंचायतों ने लगता है कि ‘मेरा दंगाई-अच्छा दंगाई’ का सिद्धांत अपना लिया है। यही कारण है कि लाल किले के मुख्य दंगाकारी गायकार दीप सिद्धू व गैंगस्टर लक्खा सिधाना के गांवों की पंचायतों ने प्रस्ताव पारित कर इनके दुष्कर्मों का समर्थन किया है और कहा है कि अगर ये दंगाई हैं तो सारा गांव दंगाई है। दिल्ली के लाल किले में 26 जनवरी को हुई घटना के संबंध में दिल्ली पुलिस ने पंजाब के लक्खा सिधाना को नामजद किया है। गांव सिधाना की पंचायत और ग्रामीणों ने एक प्रस्ताव डाला। इस प्रस्ताव में पंचायत एवं ग्रामीणों ने एलान किया कि वह लक्खा के साथ हैं।
लाल किले में किसानों के उपद्रव के बाद आंदोलन कमजोर होने लगा तो पंजाब में ग्राम पंचायतों ने मनमानी करते हुए अनोखा तरीका अपना लिया। पंजाब के पांच जिलों में 20 से अधिक पंचायतों ने प्रस्ताव पारित कर हर घर से एक व्यक्ति के दिल्ली आंदोलनों में जाने का आदेश दिया है। जिस घर से कोई व्यक्ति आंदोलन में नहीं जाएगा, उसे जुर्माना देना होगा। जुर्माना न देने की सूरत में उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। पंचायतें भले ही ऐसे प्रस्ताव कर रहीं हों, लेकिन पंचायती राज अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट बलराज शर्मा कहते हैं कि अधिनियम के अनुसार पंचायतें सिर्फ समाज कल्याण के कार्यों को लेकर प्रस्ताव पारित कर उन्हें न मानने वालों पर जुर्माना लगा सकती हैं। यदि कोई पंचायत यह प्रस्ताव पारित करती है कि गांव में गंदगी फैलाने वालों पर, सार्वजनिक संपति नष्ट करने वाले या अन्य तरह के अपराध में कार्रवाई की जाएगी, तो वह जुर्माना लगा सकती है, लेकिन किसी को जबरन धरने में शामिल होने के आदेश देने का अधिकार पंचायत के पास नहीं है। पंचायत इस धरने में शामिल न होने पर जुर्माना नहीं लगा सकतीं। पंचायतों के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह लोगों को किसी धरने में शामिल होने के आदेश जारी करें। आदेश न मानने पर किसी प्रकार का जुर्माना लगाना पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन है। वहीं, पंचायती राज मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा इस बारे में कोई भी बात करने को राजी नहीं हैं। पंचायतों की इस हरकत को देख कर राज्य में आतंकवाद के दौर के समय गठित हुई खालसा पंचायतों की याद ताजा हो गई जो तालिबानी हुक्म सुनाती और जबरन जनता पर थोपती थीं।
राज्य में चाहे अभी तक केवल दो दर्जन पंचायतों द्वारा इस तरह की नासमझी की कार्रवाईयां की गई हैं परंतु यह सिलसिला निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि चूंकि राज्य में चार साल से कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ है तो यहां हुए पंचायती चुनावों में भी कांग्रेस ने ज्यादा गांवों में जीत हासिल की थी और इस बात की भी पूरी आशंका है कि राज्य में सत्तारूढ़ दल के इशारों पर पंचायतें इस तरह की हरकतें कर रही हैं ताकि कथित किसान आंदोलन को खाद-पानी मिलता रहे। राज्य सरकार के साथ-साथ पंचायतों की यह कार्रवाई यह साबित करने को पर्याप्त हैं कि दिल्ली में चल रहा कथित किसान आंदोलन न केवल राजनीतिक पृष्ठभूमि लिए बल्कि राजनीति के ही खाद-पानी से सांस ले रहा है और राजनीतिक इशारों पर ही हुड़दंग मचाया जा रहा है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

India Pakistan Ceasefire News Live: ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों का सफाया करना था, DGMO राजीव घई

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थरूर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies