.हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने 2021 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की… और हर बार की तरह इस बार भी इस सूची में ऐसे नाम शामिल हैं जिन्होंने समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में वास्तव में ठोस काम कर दुनिया में भारत का सिक्का बुलंद किया है। राजनीति, कला, साहित्य, फिल्म, उद्योग, जनसेवा आदि क्षेत्रों से चयनित इन नामों से यह बात भी झलकती है कि इन सम्मान योग्य विभूतियों की राजनीतिक-वैचारिक संबद्धता को नहीं, बल्कि उनके योगदान को महत्व दिया गया है। सुखद आश्चर्य है कि इस बार जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया है। 25 जनवरी, 2021 को सरकार की ओर से जारी पुरस्कार सूची के अनुसार, इस बार 7 विभूतियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री सम्मान दिया गया है। पद्म विभूषण पाने वालों में शिंजो आबे के साथ, फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत), कर्नाटक के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े, मौलाना वहीदुद्दीन खान, भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक नरिन्दर सिंह कपानी, सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् प्रो. ब्रज बासी लाल और ओडिशा के मूर्तिकार सुदर्शन साहू शामिल हैं। इसी तरह पद्म भूषण से सम्मानित होने वालों में लोजपा नेता स्व. रामविलास पासवान, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. केशुभाई पटेल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव रहे नृपेन्द्र मिश्र, असम के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. तरुण गोगोई, इस्लामी विद्वान मौलाना कल्बे सादिक, पार्श्वगायिका के.एस. चित्रा, साहित्यकार डॉ. चंद्रशेखर कंबार, उद्योगपति रजनीकांत श्रॉफ और पूर्व आईएएस अधिकारी सरदार तरलोचन सिंह शामिल हैं। इस बार 102 विभूतियों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसमें यूके के पीटर ब्रुक हैं, तो ग्रीस के निकोलस कजानास भी हैं, बांग्लादेश के कर्नल काजी सज्जाद अली जाहिर और संजीदा खातून हैं, तो स्पेन के फादर वाल्लेस भी हैं। (देखें बॉक्स) प्रस्तुत है पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित हस्तियों का संक्षिप्त परिचय
विकास में दिया साथ
पद्म विभूषण शिंजो आबे
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का लोक मामलों के लिए पद्म विभूषण सम्मान हेतु चयन मोदी सरकार की अन्तरराष्ट्रीय विभूतियों के दुनिया के प्रति सद्भाव को सम्मानित करने की भावना दर्शाता है। श्री आबे के कार्यकाल में भारत-जापान मैत्री ने नए प्रतिमान गढ़े थे। भारत में विभिन्न उद्यमों में जापान से निवेश बढ़ा था और दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाई मिली थी। अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान श्री आबे ने बिना किसी दुराव-छिपाव के बनारस के तट पर पूरे भक्तिभाव के साथ मां गंगा की आरती उतारी थी। सितंबर 2017 में भारत में बुलेट ट्रेन की प्रस्तावना के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास और शिंजो आबे का उसमें हर प्रकार के सहयोग का वादा प्रमुख रहा था।
मानवता का सुर
पद्म विभूषण एस.पी. बालासुब्रमण्यम
दक्षिण और बॉलीवुड फिल्मों में सुरों का जादू बिखेरने वाले पार्श्व गायक स्व. एस.पी. बालासुब्रमण्यम को कला क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है। उन्होंने 16 भारतीय भाषाओं में 40,000 से ज्यादा गाने गाए। अपने मृदु और मैत्रीपूर्ण व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले एस.पी. अपने गीतों में सुरों के साथ विशिष्ट भावों का समावेश करते थे। वे हमेशा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखते थे और किसी की सहायता करके आत्मिक संतोष का अनुभव करते थे। उन्होंने चेन्नै का अपना घर एक गुरुकुल को दे दिया था। पद्मविभूषण से पहले उन्हें पद्मश्री (2001) और पद्मभूषण (2011) से भी सम्मानित किया जा चुका है। पिछले वर्ष सितंबर में ही 74 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
साक्ष्य दिए, शंकाएं मिटाई
पद्म विभूषण प्रो.ब्रज बासी लाल
प्रख्यात पुरातत्वविद् प्रो. ब्रज बासी लाल को पुरातत्व के क्षेत्र में उनके अनूठे योगदान के लिए पद्मविभूषण सम्मान दिया गया है। प्रो. लाल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (आर्कियोलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया) के महानिदेशक रहे हैं। यह प्रो. लाल ही थे जिनके नेतृत्व में कार्य करते हुए एक दल ने 1976-77 में पहली बार अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। इस दल में प्रसिद्ध पुरातत्वविद् के. के. मोहम्मद (जो बाद में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष भी रहे और अयोध्या में खुदाई पर पुस्तक लिखी) भी थे जिन्होंने अनेक अवसरों पर श्रीराम जन्मभूमि के साक्ष्य जुटाने में प्रो. लाल के अथक प्रयासों का उल्लेख किया है। तब उस जगह की पहली बार तकनीक की मदद से हुई खुदाई में प्राचीन मंदिर के प्रस्तर खंड, स्तम्भ व अन्य अवशेष मिले थे। उनके आधार पर न्यायालय में इस बात को पुख्ता रूप से स्थापित करने में मदद मिली थी कि वह श्रीराम जन्मभूमि ही है, और वहां श्रीराम का प्राचीन मंदिर था।
दिल के धनी, विद्वता में श्रेष्ठ
पद्म विभूषण डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े
कर्नाटक निवासी और भारतीय विद्या भवन, मंगलूरू के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े को चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया गया है। उनके नाम कई मेडिकल शोध हैं और उन शोधों के आधार पर लिखीं उनकी पुस्तकें दुनियाभर में सम्मानित हैं। वे मणिपाल विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से हृदयरोग चिकित्सा का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया था। 18 अगस्त 1938 को उडुपी में जन्मे प्रो. हेगड़े को 2010 में पद्म भूषण सम्मान मिला था।
मेधा में सानी न कोई
पद्म विभूषण नरिंदर सिंह कपानी
नरिंदर सिंह कपानी भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थे। उन्होंने फाइबर आप्टिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया। उन्हें यह सम्मान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए दिया गया है। 1956 में फाइबर आॅप्टिक्स शब्द की खोज का श्रेय कपानी को ही दिया जाता है और इसीलिए उन्हें फाइबर आॅप्टिक्स का जनक माना जाता है। ‘फॉर्र्चून’ पत्रिका ने सदी के कारोबारियों की अपनी सूची में उन्हें सात ‘अनसंग हीरोज’ में शामिल किया था। 21 अक्तूबर 1926 को मोगा, पंजाब में जन्मे कपानी को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। पिछले वर्ष 4 दिसम्बर 2020 को उनका निधन हो गया था।
सद्भाव का मार्ग
पद्म विभूषण मौलाना वहीदुद्दीन खान
0इस्लामी विद्वानों में शीर्षस्थ मौलाना वहीदुद्दीन खान ने अपने उदारवादी सोच से सब मंचों से सम्मान ही पाया। मुस्लिमों को शांति और सद्भाव के मार्ग पर चलने की सतत प्रेरणा देने वाले मौलाना को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म विभूषण सम्मान के लिए चुना गया है। उन्होंने कुरान की टीका लिखने के साथ ही उसका अंग्रेजी में तर्जुमा भी किया। देश-विदेश में उनके विचारों को पूरी गंभीरता से सुना जाता रहा है। वे कट्टरता की नहीं, आपसी सद्भाव की बात करते हैं। मुस्लिम समाज से जुडेÞ विषयों पर उनकी साफगोई अद्भुत है। 96 वर्षीय मौलाना वहीदुद्दीन को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों के अलावा पद्म भूषण, मदर टेरेसा पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।
प्रस्तरों को किया सजीव
पद्म विभूषण सुदर्शन साहू
011 मार्च, 1939 को पुरी, ओडिशा में जन्मे प्रख्यात मूर्तिकार सुदर्शन साहू का आज दुनिया में नाम है। पत्थर और लकड़ी की पारंपरिक मूर्तियां गढ़ने के उनके कौशल को दर्शाती उनकी संस्था क्राफ्ट म्युजियम की 1977 में पुरी में स्थापना के बाद उनके हुनर की चर्चा देश-विदेश में होने लगी। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने न जाने कितने ही नए और हुनरमंद कलाकारों को तराशा। उनकी बनाई मूर्तियों इतनी जीवंत हैं, मानो अभी बोल पडेंÞगी। पौराणिक आख्यानों को जैसे सजीव कर देती हैं उनके हाथ से निखरी प्रतिमाएं। इसीलिए तो साहू की गिनती ओडिशा के विश्वकर्मा कहे जाने वाले चंद मूर्तिकारों में होती है। कला की इसी साधना को सम्मानित करते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया है।
आजन्म की समाज की चिंता
पद्मभूषण केशुभाई पटेल
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय केशुभाई पटेल को जनसेवा के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए मरणोपरांत पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है। एक सुलझे हुए राजनेता रहे पटेल पार्टी के एक निष्ठावान कार्यकर्ता के नाते जाने जाते थे। जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक केशुभाई ने अपने राजनीतिक जीवन में लंबा संघर्ष किया था। 1975 में आपातकाल में वे जेल गए थे जहां घोर यातनाएं झेली थीं उन्होंने। केशुभाई 1995 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, जिसके बाद वे फिर 1998 से 2001 तक मुख्यमंत्री रहे। 92 साल की उम्र में 29 अक्तूबर, 2020 को उनका निधन हो गया।
गजब नेता, अजब रिकार्ड
पद्मभूषण रामविलास पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रामविलास पासवान को मरणोपरांत पद्म भूषण सम्मान दिया गया है। पासवान 9 बार लोकसभा सांसद तथा दो बार राज्यसभा सांसद रहे। यह उनकी राजनीतिक कुशलता ही थी कि वे छह प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभागों के प्रभारी रहे। जो अपने में एक रिकॉर्ड है। 74 साल की उम्र में गत 8 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। आज लोजपा की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में है।
हार न मानी कभी
पद्मभूषण सुमित्रा महाजन
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को जनसेवा के लिए पद्म भूषण सम्मान दिया गया है। 12 अप्रैल ,1943 को चिपलूण में जन्मीं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा ताई1979 से लगातार 8 बार इंदौर से लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला सांसद बनीं। मृदुभाषी सुमित्रा जी पहली महिला नेता हैं जो कोई लोकसभा चुनाव नहीं हारीं। वे युवावस्था से ही समाज-कार्यों में सक्रिय रहीं। ’80 के दशक में वे इंदौर में निगम पार्षद, फिर उपमहापौर और फिर विधायक भी बनीं।
सच्चे-अच्छे लोकसेवक
पद्मभूषण नृपेंद्र मिश्र
0 8 मार्च, 1945 को देवरिया (उ.प्र.) में जन्मे पूर्व लोकसेवक श्री नृपेन्द्र मिश्र को लोकसेवा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। वे उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। कभी पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह के मुख्य सचिव रहे मिश्र ने 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष, भारतीय दूरसंचार सचिव और भारत के उर्वरक सचिव के नाते भी काम किया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान तथा राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक प्रशासन में स्नातकोत्तर डिग्री लेने के बाद उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन एफ. कैनेडी स्कूल आॅफ गवर्नमेंट से जन प्रशासन की शिक्षा प्राप्त की थी।
कर्मठता में सदा आगे
पद्मभूषण सरदार तरलोचन सिंह
सांसद सरदार तरलोचन सिंह दुनियाभर में सिख समुदाय के हक की आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अफगानिस्तानी सिखों की बेहतरी के लिए ठोस प्रयास किए। 28 जुलाई, 1933 को पंजाब में जन्मे पूर्व आईएएस अधिकारी श्री सिंह केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (2003-2006) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी रहे। उन्होंने सिख इतिहास पर अनूठे कैलेंडर प्रकाशित किए थे।
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