गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर हुई हिंसा में उपद्रवियों ने सबसे ज्यादा पुलिस कर्मियों को निशाना बनाया। इस दौरान न केवल उन पर लाठी-डंडों से हमला किया गया बल्कि ट्रैक्टर तक चढ़ाने की कोशिश की गई। हद तो तब हो गई जब इन आंदोलनकारी उपद्रवी तत्वों ने कई महिला पुलिस कर्मियों को भी निशाना बनाया। दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर जोगिंदर राज लाल किला में हुए उपद्रव की आपबीती बताते हुए कहते हैं कि गणतंत्र दिवस पर उपद्रवियों ने जमकर बवाल काटा था। हमलावरों के पास तरह-तरह के हथियार थे। हालात इतने नाजुक हो गए थे कि अगर लाल किले से उस खाई में छलांग न लगाता तो शायद मेरी गर्दन काट दी जाती। दोनों हाथों को किया घायल हिंसा के दिन नजफगढ़ रोड पर उत्तम नगर में तैनात मोहन गार्डन के एसएचओ बल?वंत सिंह के दोनों हाथों में चोटें एवं फ्रैक्चर आया है। वे मीडिया से बात करते हुए बताते हैं कि हम ड्यूटी पर तैनात थे और इस दौरान हमारी कोशिश थी कि कोई भी आंदोलनकारी कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ न करे। लेकिन दोपहर बाद लगभग ढाई बजे आंदोलनकारी ट्रैक्टर से आए और हिंसक हो गए। इस दौरान अपने रास्?ते में आने वाली एक बस को तोड़ने लगे। भीड़ ने अपना सारा गुस्सा बस पर उतार दिया। जब मैं उनकी तरफ बढ़ा तो उस भीड़ में शामिल एक शख्स ने लाठी से वार किया। इस दौरान बांह बुरी तरह घायल हो गई। इसी तरह लाल किला पर तैनात कॉन्स्टेबल रितु बताती हैं कि लोहे की एक भारी ग्रिल मेरे पैर और एक साथी की छाती पर गिरी। आंखों के सामने हिंसा देखकर डर लग रहा था क्योंकि उपद्रवियों के पास तलवारें, लाठी और भाले थे। पत्थर से टूटे दांत इंस्पेक्टर पीके झा तिलक ब्रिज के नीचे बैरिकेड्स लगवा रहे थे। इसी सबके बीच भीड़ ने हमला कर दिया। दंगा शील्ड होने की वजह से उनकी पीठ तो बची लेकिन एक पत्?थर उनके मुंह पर लगने से दो दांत टूट गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। ट्रैक्टर से हुई कुचलने की कोशिश हिंसक तत्वों की मंशा दिल्ली को अराजक स्थल में बदलने की थी। वे चाहते थे कि कुछ ऐसा हो जिसके बाद स्थिति और ज्यादा नाजुक हो। इसी के चलते वह जो चाह रहे थे कर रहे थे। सरकारी संपत्ति के नुकसान से लेकर पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने से लेकर। ऐसी ही घटना गाजीपुर बॉर्डर पर तैनात ऐडिशनल डीसीपी (ईस्ट) मनजीत सिंह के साथ घटी। एक ट्रैक्टर द्वारा उन्हें कुचलने की कोशिश की गई। किसी तरह उन्होंने खुद को बचाया। एक और प्रोबेशनरी आईपीएस अधिकारी, पुखराज कमल अक्षरधाम पर मौजूद थे। पुलिस ने जब प्रदर्शनकारियों को रोका तो वे पत्थरबाजी करने लगे। इस दौरान उन्?हें भी सिर में चोटें आई हैं।
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