मीडिया को क्या चाहिए, स्वतंत्रता या स्वछंदता!
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मीडिया को क्या चाहिए, स्वतंत्रता या स्वछंदता!

by WEB DESK
Jan 27, 2021, 07:24 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कोरोना काल में अलग-अलग चुनौतियों के सामने डटकर खड़ा भारत ‘स्व’ के मंत्र से संकटों का समाधान कर रहा है, किन्तु भारतीय मीडिया में ‘स्व’ की दो बारीक धाराओं, दो परिभाषाओं को अभिव्यक्त करता द्वंद्व मुखर हो रहा है

देश में अभिव्यक्ति की आजादी, मीडिया की आजादी को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई है। भारत में मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज उस स्तर पर है, जहां वर्चस्व की साफ-सीधी लड़ाई है, लेकिन यह दौर वर्जनाओं के टूटने का है। पुराने मानदंड टूट रहे हैं। पुराने टीवी चैनलों की टीआरपी धराशायी हो रही है। चैनल के दर्शकों से ज्यादा तो लोग सोशल मीडिया पर ‘फॉलोअर’ लेकर बैठे हैं। तमाम स्वनामधन्य स्थापित पत्रकारों, चैनलों, अखबारों की छवि तार-तार हो रही है। सोशल मीडिया ने ‘डंडी मार’ या ‘एजेंडा’ पत्रकारों की कलई खोल कर रख दी है।
टीआरपी को बपौती मान, जमे-जमाए टीवी चैनलों को लगातार झकझोरते ‘रिपब्लिक टीवी’ की प्रस्तुति ने देश में टीवी पत्रकारिता कैसी हो-बहस को जन्म दिया है। लोग अर्नब गोस्वामी की शैली के विरोधी या प्रशंसक हो सकते हैं, लेकिन इतना तो है कि अर्नब ने बहुत से पुराने किलों को ध्वस्त किया है। मीडिया के ऐसे गढ़ों में खलबली स्वाभाविक है। गौर करने वाली बात यह है कि अभी तक ‘नंबर वन’ का स्वयंभू ताज पहनने वाले चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के खिलाफ महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार और राज्य की पुलिस के फैसले में खुद के लिए राहत ढूंढ रहे हैं।
अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिए –
दिलचस्प बात यह भी है कि ‘रिपब्लिक टीवी’ की पूरी संपादकीय टीम के खिलाफ एफआईआर पर चुनिंदा चुप्पियां हैं, तो ‘कश्मीर टाइम्स’ के कार्यालय को सील करने से देश में एक खास मीडिया वर्ग में खासी हलचल है। वामपंथी मीडिया इसे लेकर खूब चर्चा कर रहा है। दो दिन पहले एक चैनल की पूरी सम्पादकीय टोली पर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज होने पर चुप रहने वाले इस पत्रकार वर्ग को अचानक ‘मीडिया का आपातकाल’ नजर आने लगा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘वह भारत का झंडा तब तक नहीं फहराएंगी जब तक राज्य में अनुच्छेद 370 दोबारा लागू नहीं हो जाता।’’ इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद राजनीतिक रूप से नेपथ्य में चले गए राजनेताओं का दर्द तो समझ में आता है, लेकिन यह भी तथ्य है कि दशकों तक सरकारी पैसे से कश्मीर का स्थानीय मीडिया फलता-फूलता रहा है और अलगाववादी तेवर को जगह भी देता रहा, इस मीडिया को भी बदलाव से झटका जरूर लगा है।
ऐसे में प्रशासन ने ‘कश्मीर टाइम्स’ की सम्पादक अनुराधा भसीन का सरकारी घर क्या खाली करवाया, मीडिया के कथित अलम्बरदारों पर मानो दमन की बदली छा गई, मोदी सरकार ‘तानाशाह’ हो गई। अनुराधा भसीन 30 साल तक पत्रकारिता और मानवाधिकार कार्यकर्ता होने का दम भरती रही हैं, पिछली सरकारों ने उनको तमाम सुविधाएं दीं। वे और उनके दिवंगत पिता सरकारी सुविधाओं से निहाल किए जाते रहे। बस इस बार नेमत थोड़ी कम हो गई। उनको दिए गए तीन आवासों में से दो आवास वापस ले लेने का ‘अक्षम्य’ अपराध राज्य सरकार ने कर दिया।
केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक श्रीनगर के प्रताप पार्क में 9 नंबर के जिस घर को सरकार ने खाली करवाया है, उसे ‘कश्मीर टाइम्स’ के लिए राज्य सरकार ने 1 सितंबर, 1994 को आवंटित किया था। उस वक्त अनुराधा भसीन के पिता वेद भसीन ‘कश्मीर टाइम्स’ के संपादक होते थे। आवंटन अवधि 2015 में समाप्त हो गई। सरकार इस घर का बहुत मामूली-सा किराया लेती है, लेकिन भसीन परिवार वह किराया भी नहीं भर रहा था। उल्लेखनीय है कि 2015 में आवंटन अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी पांच साल तक सरकारी कार्रवाई अति मंथर गति से चलती रही। कई चेतावनी देने के बाद भी अनुराधा ने न तो उस घर को खाली किया और न ही कोई अन्य कदम उठाया। तब जाकर 31 जुलाई, 2020 को राज्य सरकार ने उक्त आवंटन को रद्द कर दिया और अनुराधा को ‘नोटिस’ दिया गया कि वह उक्त आवास खाली कर दें। भसीन की तरफ से कहा गया कि अभी कोरोना काल है, लिहाजा उनको कुछ और वक्त दिया जाए। गौर करने वाली बात यह है कि ‘कश्मीर टाइम्स’ के कोटे से अनुराधा के पास दो घर हैं- 4 नंबर और 9 नंबर। 9 नंबर वाले घर का इस्तेमाल रिहायशी काम के लिए किया जा रहा था, जो कि नियम विरुद्ध था। लिहाजा उसे रद्द किया गया। अगस्त के महीने में उनको फिर नोटिस दिया गया कि आप 7 दिन में घर खाली करें। लेकिन कोई जवाब न मिलने पर सम्पत्ति निदेशक ने 19 अक्तूबर को उस घर का अधिकार अपने हाथ में ले लिया। रोचक तथ्य यह भी है कि खुद को पीड़ित दर्शा कर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने वाली अनुराधा पर 9 नंबर घर का करीब 4,50,000 रुपए किराया बकाया है। सरकारी ज्यादती का राग अलापने वाली अनुराधा के पास अब भी एक सरकारी घर है।
वैसे अनुराधा के पास जम्मू में अपना निजी बड़ा बंगला है। लेकिन अपने रसूख के चलते 2000 में उन्होंने सरकार से वजारत रोड पर एक घर और ले लिया। यह आवंटन एक साल के लिए हुआ था। इस घर में वह कभी नहीं रहीं। इस घर को उन्होंने पिछले 19 साल से यूं ही अपने नाम पर अटकाकर रखा था। इसका बकाया किराया भी 2,00000 रुपए से ज्यादा हो गया है। जुलाई, 2020 में उनको घर आवंटन के कागजात प्रस्तुत करने को कहा गया। नोटिस में कहा गया कि वे 19 साल से घर लिए बैठी हैं, लेकिन इसमें वह नहीं रहतीं। ऐसे में क्यों न उनका घर किसी और को आवंटित कर दिया जाए? दूसरा नोटिस मिलने के बाद भी भसीन दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाईं। तब 28 सितंबर को राज्य सरकार ने उसे अपने अधिकार में लिया। पुलिस की मौजूदगी में पूरे सामान की वीडियो रिकार्डिंग की गई और उसकी सूचना अनुराधा को दी गई कि वे अपना सामान वापस ले लें, लेकिन वे सामान लेने नहीं आईं।
कश्मीर के स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि जिस पत्रकारिता का दम अनुराधा भर रही हैं, अगर उनकी पूरी संपत्ति की जांच हो जाए तो लुटियन जोन के तमाम पत्रकारों के होश फाख्ता हो जाएंगे। प्रश्न यह भी है कि पत्रकार के लिए सरकारी पैसे का इतना मोह क्यों?
अच्छेद 370 की बहाली के लिए एक निष्पक्ष पत्रकार की पैरोकारी के क्या मायने, जब राज्य की ज्यादातर जनता इसे स्वीकार कर आगे बढ़ रही है? उस भाषा का इस्तेमाल क्यों, जो पाकिस्तान की हो, या जिसे आधार बना देश के दुश्मन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी राग अलाप सकें?
‘सरकारी ज्यादती’ की बात कितनी हवा-हवाई है, यह इसी से साबित हो जाता है कि ‘कश्मीर टाइम्स’ के दो अन्य पत्रकारों विनय सर्राफ और मीनाक्षी को भी जम्मू में सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं और वे वहां रह रहे हैं।
अनुराधा के ट्वीट किए गए जिस फोटो को लेकर दिल्ली का मीडिया छाती कूट रहा है उसकी हकीकत को जानना भी जरूरी है। वह फोटो 5 प्रताप पार्क की है, जो ‘कश्मीर टाइम्स’ का नहीं, बल्कि ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ का दफ्तर है। यानी झूठ और मक्कारी पर टिका पत्रकारिता का यह तंत्र सरकारी रसूख के चलते मलाई काटता रहा। अब उस मौज में कमी आई है, तो देश में पत्रकारिता पर हमला बताया जा रहा है।
‘कश्मीर टाइम्स’ या ‘रिपब्लिक टीवी’, ये केवल प्रतीक हैं। भारतीय मीडिया के मठाधीशों का दोमुंहापन उजागर करने वाले दो उदाहरण। इन उदाहरणों की खिड़की से झांकता बदसूरत सच यह है कि एक प्रतिष्ठित चैनल के पूरे संपादकीय विभाग पर पहले सूत्र बताने का दबाव और फिर एफआईआर दर्ज होने पर ‘प्रेस क्लब’ और ‘एडिटर्स गिल्ड’ सहित पत्रकारों की वह पूरी बिरादरी चुप्पी साधे है, जो ‘कश्मीर टाइम्स’ की धींगामुश्ती जारी रखने के लिए हायतौबा मचा रही है। करीब से देखने के बाद अब परिस्थितियों का सिंहावलोकन कीजिए,भारत के भीतर देखने के साथ विश्व फलक भी देखिए-
फ्रांस में ‘शार्ली एब्दो’ पत्रिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ रही है। मुस्लिम हत्यारों के हाथों अपने दर्जनभर पत्रकारों के बलिदान के बावजूद इस्लामी जिहाद के सामने जमकर खड़ी है। इसी अभिव्यक्ति को लेकर हाल में एक उन्मादी मुसलमान ने पेरिस में एक शिक्षक की गला रेतकर हत्या कर दी। फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध का ऐलान कर दिया, किन्तु राष्ट्रपति मैक्रों के बयान पर भारत का मीडिया खामोश है। यूरोप में इस्लामी अतिवाद के खिलाफ ‘नैरेटिव’ जोर पकड़ रहा है। यूरोप अब इस्लामी अतिवाद से भिड़ने के मूड में है। आतंकियों के हाथों मारे गए ‘शार्ली एब्दो’ के पत्रकार फ्रांस और यूरोप में अभिव्यक्ति के नए प्रतीक के रूप में पुनर्जीवित हो उठे हैं। गला काटे जाने वाले अध्यापक को फ्रांस का राष्ट्रपति ‘शांत हीरो’ की संज्ञा देता है और देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लैजों डी आनर’ से नवाजता है, लेकिन भारत में स्थिति क्या है? यहां अपनी सुविधाओं के लिए मीडिया ने ही सत्य का गला घोट दिया।
‘रिपब्लिक टीवी’ या ‘कश्मीर टाइम्स’ छोड़िए, क्या आपको शीरीन दलवी याद हैं! उर्दू ‘अवधनामा’ के मुंबई संस्करण की इस सम्पादक ने ‘शार्ली एब्दो’ में प्रकाशित विवादित कार्टून को पुन: प्रकाशित करने का साहस दिखाया था। मजहबी गुंडे उन्हें धमकाने लगे। मीडिया के भीतर ‘राग अभिव्यक्ति’ का कोई ‘सेकुलर-लिबरल चैम्पियन’ शीरीन के लिए अपनी मांद से नहीं निकला। बहरहाल, सुविधा के सच बोलने वालों के लिए भले ही ‘कश्मीर टाइम्स’, ‘रिपब्लिक टीवी’ के पत्रकारों की प्रताड़ना से बड़ा मुद्दा हो, पर देश और दुनिया अपने मुद्दे और चुनौतियां स्थापित मीडिया के बिना पहचान रही हैं। सच यह भी है कि आज लोगों को मीडिया सच के लिए लड़ने की बजाए अपने हित की तिकड़मों में लगा ज्यादा दिखता है।
वैसे, भारतीय मीडिया अगर अब भी जागना चाहता है तो उसके लिए खबर यह है कि ‘शार्ली एब्दो’ प्रकाशित हो रहा है मगर ‘अवधनामा’ का मुंबई संस्करण बंद हो चुका है, शीरीन दलवी पत्रकारिता के अंधेरों में हैं।
@hiteshshankar

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बुमराह और आर्चर

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: लॉर्ड्स में चरम पर होगा रोमांच

मौलाना छांगुर ने कराया 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन, बढ़ा रहा था मुस्लिम आबादी

Uttarakhand weather

उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: 10 से 14 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा की चेतावनी

Pratap Singh Bajwa complaint Against AAP leaders

केजरीवाल, भगवंत मान व आप अध्यक्ष अमन अरोड़ा के खिलाफ वीडियो से छेड़छाड़ की शिकायत

UP Operation Anti conversion

उत्तर प्रदेश में अवैध कन्वर्जन के खिलाफ सख्त कार्रवाई: 8 वर्षों में 16 आरोपियों को सजा

Uttarakhand Amit Shah

उत्तराखंड: अमित शाह के दौरे के साथ 1 लाख करोड़ की ग्राउंडिंग सेरेमनी, औद्योगिक प्रगति को नई दिशा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बुमराह और आर्चर

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: लॉर्ड्स में चरम पर होगा रोमांच

मौलाना छांगुर ने कराया 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन, बढ़ा रहा था मुस्लिम आबादी

Uttarakhand weather

उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: 10 से 14 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा की चेतावनी

Pratap Singh Bajwa complaint Against AAP leaders

केजरीवाल, भगवंत मान व आप अध्यक्ष अमन अरोड़ा के खिलाफ वीडियो से छेड़छाड़ की शिकायत

UP Operation Anti conversion

उत्तर प्रदेश में अवैध कन्वर्जन के खिलाफ सख्त कार्रवाई: 8 वर्षों में 16 आरोपियों को सजा

Uttarakhand Amit Shah

उत्तराखंड: अमित शाह के दौरे के साथ 1 लाख करोड़ की ग्राउंडिंग सेरेमनी, औद्योगिक प्रगति को नई दिशा

Shubman Gill

England vs India series 2025: शुभमन गिल की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को झुकाया

मुंबई: ‘सिंदूर ब्रिज’ का हुआ उद्घाटन, ट्रैफिक जाम से मिलेगी बड़ी राहत

ब्रिटेन में मुस्लिमों के लिए वेबसाइट, पुरुषों के लिए चार निकाह की वकालत, वर्जिन बीवी की मांग

Haridwar Guru Purnima

उत्तराखंड: गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पावन गंगा में आस्था की डुबकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies