रहस्य का पर्दा मंचूरिया से मास्को तक
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

रहस्य का पर्दा मंचूरिया से मास्को तक

by WEB DESK
Jan 22, 2021, 10:37 am IST
in विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां के नागरिक संप्रभु, इसलिए उन्हें देश से जुड़ीं सूचनाएं हासिल करने का पूरा अधिकार होना ही चाहिए। दुर्भाग्य से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रशासन, शिक्षा और न्यायप्रणाली में ब्रिटिश औपनिवेशिक मॉडल को बनाए रखा। उन्हें ‘ब्राउन इंग्लिशमैन’ कहा जाता था। यह नाम उनकी छवि से मेल भी खाता था। उन्हें अंग्रेजों के बीच खुशी मिलती थी और इसीलिए 15 अगस्त, 1947 को प्रधानमंत्री पद पर बैठने के बाद उन्होंने वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को आजाद भारत के गवर्नर जनरल के तौर पर बने रहने को कहा था। ये माउंटबेटन ही थे जिन्होंने अमरीका से आने वाले अनाज से भरे जहाजों को एशिया में मौजूद ब्रिटिश फौजों के लिए भेज दिया था और बंगाल तथा बिहार के भूख से अकुलाते लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया था। 1943-44 के दौरान इसी वजह से वहां चालीस लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। हैरानी की बात है कि प्रधानमंत्री नेहरू ने उन्हीं माउंटबेटन को भारत में सेना का प्रभारी बना दिया था, जिसकी वजह से वे खुद, उपप्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल और रक्षामंत्री बलदेव सिंह पूर्व वायसराय के अधीन होकर रह गए थे। इन्हीं माउंटबेटन ने सुनिश्चित किया था कि पाकिस्तान के पास गिलगित-बाल्टिस्तान सहित कश्मीर का तीन चौथाई हिस्सा रहे। लंदन चाहता था कि नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बनें, गांधी जी भी यही चाहते थे। उन्होंने पटेल को दूसरे स्थान पर रखा। ऐसी परिस्थिति में अगर, 1945  में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस भारत लौटते तो वे भारत के जन-जन के प्रिय होते। वे भारतीय फौज के प्रिय होते। बोस कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के नाते नेहरू की बजाय पहले प्रधानमंत्री बनाए जाते। मौजूदा रिकार्ड बताते हैं कि नेताजी ताइवान में विमान दुर्घटना में नहीं मारे गए थे, बल्कि आगे चलकर सोवियत संघ में एक कैदी के रूप में इस संसार से विदा हुए थे। यह वही देश था जहां 1965 में लालबहादुर शास्त्री ने आखिरी सांस ली थी। बहरहाल, ऐसे तमाम रिकार्ड या तो मिटा दिए गए अथवा दबा दिए गए ताकि नेताजी के साथ जो घटा उसका सच भारत के लोगों से छिपा रहे। सच क्या है ? नेताजी के परिवार के सदस्यों ने यह खुलासा किया कि दो दशक तक उन पर निगरानी रखी गई थी। यह साबित करता है कि भारत सरकार डरती थी कि कहीं उनका परिवार यह न जान जाए कि वे जिन्दा थे, या बाद में उनकी किस तरह मृत्यु हुई। दिल्ली में मौजूद सूत्रों के अनुसार, ‘डर था कि कहीं परिवार को पता न लग जाए कि नेताजी के साथ क्या हुआ था।’ आखिर ऐसा हुआ क्या था ? केन्द्रीय प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार के पास इस संदर्भ में करीब दो सौ दस्तावेज हैं। विभिन्न लोगों और अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर 41 दस्तावेजों में से दो ही सार्वजनिक रूप से सामने रखे गए। रूस और भारत में मौजूद तथ्यों के जानकार सूत्रों ने निजी बातचीत में बताया कि ज्यादा जानकारी देने से इनकार करने के पीछे वजह देशहित नहीं थी बल्कि कुछ आला अधिकारियों और राजनीतिज्ञों को बचाना थी जिन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश और सोवियत सरकारों के प्रति भारत के लोगों के गुस्से को दबाने के लिए मामले को दफना देने की साजिश रची थी। इन सूत्रों के अनुसार, ‘नेताजी सुभाष बोस को लेकर मामला स्टालिन द्वारा ‘अच्छी तरह’ से निपटा दिया गया था।’ साफ है कि ‘अच्छी तरह’ का अर्थ था कि नेताजी के बारे में ‘विमान दुर्घटना’ के बाद से कोई जानकारी किसी को न मिल सके। ताइवान के अधिकारियों ने अपनी जानकारी के आधार पर साफ बताया है कि जो तारीख बतायी जा रही है उस दिन बताए गए हवाई अड्डे पर किसी विमान दुर्घटना का कोई ब्यौरा मौजूद नहीं है। उनका कहना है कि उड़ान के गवाहों ने यह स्पष्ट कहा है कि विमान सही प्रकार से उड़ा था और उसे 18 अगस्त, 1945 को मंचूरिया की हवाई पट्टी पर उतरना था। उस वक्त वह इलाका सोवियत फौज के अधीन था क्योंकि 15 अगस्त, 1945 को जापान के राजा हीरोहितो ने उस इलाके में समर्पण की घोषणा कर दी थी। तत्कालीन सोवियत संघ में मौजूद सूत्रों का दावा है कि ‘विमान मंचूरिया की हवाई पट्टी पर सही सलामत उतरा था’ और कि नेताजी को सोवियत फौजी गिरफ़तार कर मास्को ले गए थे। उनके अनुसार नेताजी को मास्को की एक जेल में ले जाने से पहले 17 महीनों तक ‘गुलाग’ (यातना शिविर) में रखा गया था। 11 साल बाद उनका निधन हो गया। इसके साथ ही वे बताते हैं कि स्टालिन के बाद के सोवियत नेताओं ने नेताजी की कैद और निधन की परिस्थितियों को गुप्त ही बनाए रखा ताकि ‘भारत से मीठे रिश्ते बनाने की उनकी तमन्ना खटाई में न पड़े।’ (यह लेख 26 अप्रैल, 2015 (पांचजन्‍य आर्काइब) से से लिया गया है)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies