‘एक विद्यालय, एक शिक्षक’ की अवधारणा पर काम करके उन सुदूर स्थानों पर शिक्षा का दीया जला रहे हैं, जहां सरकारी तंत्र भी नहीं पहुंच पाया है। शिक्षा के साथ-साथ ये कार्यकर्ता स्वास्थ्य, स्वावलंबन, संस्कार, जैविक खेती आदि के जरिए गांवों में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन ला रहे हैं।
मन में शुभ संकल्प हो तो कोई भी लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं एकल अभियान से जुड़े कार्यकर्ता। ये कार्यकर्ता पिछले 31 साल से एकल विद्यालय यानी ‘एक विद्यालय, एक शिक्षक’ की अवधारणा पर काम करके उन सुदूर स्थानों पर शिक्षा का दीया जला रहे हैं, जहां सरकारी तंत्र भी नहीं पहुंच पाया है। शिक्षा के साथ-साथ ये कार्यकर्ता स्वास्थ्य, स्वावलंबन, संस्कार, जैविक खेती आदि के जरिए गांवों में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन ला रहे हैं। इन परिवर्तनों के कारण ग्रामवासी अपनी शक्ति को जानने लगे हैं, अपने को संवारने लगे हैं, अपनों को अपनाने लगे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति सजग हो गए हैं। यह परिवर्तन कैसे हुआ, लोग अपनों को कैसे अपनाने लगे हैं, अपने को कैसे आगे बढ़ाने लगे हैं, इन सबसे परिचित कराने के लिए 16 से 18 फरवरी तक लखनऊ में ‘एकल परिवर्तन कुंभ’ का आयोजन हुआ। यह कुंभ दायित्व परिवर्तन के लिए भी जाना जाएगा। कुंभ के दौरान एकल अभियान की कमान नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को सौंपी गई।
तीन दिवसीय कुंभ के अंतर्गत पहले दिन यानी 16 फरवरी को रमाबाई आंबेडकर मैदान में भव्य ‘स्वराज सेनानी सम्मेलन’ का आयोजन हुआ। सम्मेलन में 20,000 गांवों से आए लगभग 1,50,000 लोगों ने सामाजिक समरसता और भारतीय ग्राम्य संस्कृति की अद्भुत झांकी दिखाई। उल्लेखनीय है कि एकल के कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक गांव में 10 युवक और 10 युवतियों को ‘ग्राम स्वराज सेनानी’ बनाकर उनको संकल्प कराया है कि अपने गांव का विकास वे स्वयं करेंगे। गांव को जगाएंगे, पंचायतों का सशक्तिकरण करेंगे और आगामी पांच वर्ष में यह संकल्प पूरा कर दिखाएंगे।
सम्मेलन की मुख्य वक्ता और वात्सल्य ग्राम, वृन्दावन की संस्थापक साध्वी ऋतम्भरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत को भारत बनाए रखने की एकल की निष्ठा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। यह अभियान तो भारत के नवनिर्माण का अभियान है। ग्रामीण क्षेत्र हों या वनवासी क्षेत्र, एकल हर उस जगह गया, जहां सही मायने में भारत की आत्मा बसती है। एकल अभियान गांवों को जगा रहा है, वहां के लोगों को आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज कुछ विश्वविद्यालयों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनसे मन व्याकुल हो जाता है। ऐसी व्याकुलता को भारत-भक्ति ही दूर कर सकती है। इसलिए हमारी निष्ठा, हमारी भक्ति भारत के प्रति होनी चाहिए। सम्मेलन के अध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष और प्रसिद्ध संत स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज ने कहा कि भारत का असली विकास वनवासियों के विकास से ही होगा। उनका विकास उनके विश्वास को जीतकर ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि वनवासी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भलाई की बात पहले भी कई संस्थाएं करती रही हैं, लेकिन कन्वर्जन की आड़ में उन्होंने वनवासियों के साथ धोखा किया।
संत बालकनाथ महाराज ने आह्वान किया कि आज हर व्यक्ति यहां से यह संकल्प लेकर जाए कि वह कम से कम पांच बच्चों को शिक्षित करेगा।
सम्मेलन की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए एकल अभियान के राष्ट्रीय महामंत्री माधवेंद्र सिंह ने एकल का यह संकल्प दोहराया कि भारत के किसी भी गांव में हम एक भी गांववासी को असहाय नहीं रहने देंगे।
एकल कुंभ का विधिवत् उद्घाटन 17 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने कहा कि देश में वनवासी समाज को मान्यता देने और शासन में भागीदार बनाने का काम भगवान श्रीराम ने किया था। आज वही काम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। उन्होंने दबे-कुचले और गरीब लोगों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ गांव के लोगों को मिल रहा है। मोदी जी की भावनाओं के अनुरूप ही एकल अभियान काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेवा किसी सौदे का माध्यम नहीं है। सेवा अपने अंतरमन से करने की चीज है और यही एकल अभियान कर रहा है। उन्होंने कहा कि एकल अभियान राम राज्य को साकार करने की दिशा में काम कर रहा है। राम राज्य का अर्थ है किसी के साथ जाति, प्रांत, भाषा, सम्प्रदाय आदि के आधार पर भेदभाव न हो।
इस अवसर पर एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, नोएडा के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश के 600 से अधिक तकनीकी कॉलेज एकल विद्यालयों को तकनीकी शिक्षा से सशक्त करेंगे। इसके लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। आध्यात्मिक गुरु आचार्य विजय शंकर मेहता ने कहा कि एकल के कार्यकर्ताओं का चरित्र वीर हनुमान की तरह होना चाहिए।
इस दिन भोजनावकाश के बाद सायं तक प्रमुख रूप से तीन सत्र हुए। पहले सत्र में सामाजिक परिवर्तन, दूसरे सत्र में आर्थिक परिवर्तन और तीसरे सत्र में सांस्कृतिक परिवर्तन के बारे में बताया गया। इनकी जानकारी उन कार्यकर्ताओं ने ही दी, जो इनके लिए दिन-रात नि:स्वार्थ रूप से कार्य कर रहे हैं। इस दिन के एक सत्र को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी संबोधित किया।
कुंभ के तीसरे दिन यानी 18 फरवरी की सुबह मुख्य रूप से एकल की भावी योजनाओं पर चर्चा की गई। बताया गया कि जो कार्य चल रहे हैं, उन्हें गति देने के साथ-साथ चिकित्सा, स्वच्छता, संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्रों में कार्य किया जाएगा। शहरी और ग्रामीण छात्रों के बीच भावनात्मक संबंध को बढ़ाने के लिए भी कई तरह के कार्यक्रम किए जाएंगे।
भोजनावकाश के बाद समापन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित और संस्कारित करना होगा, और यही कार्य एकल अभियान कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में जाने की हिम्मत बड़े-बड़े दिलेर लोग नहीं कर पाते हैं, वहां एकल अभियान बच्चों को शिक्षा और संस्कार दे रहा है, उन्हें देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर रहा है। एकल अभियान के कार्यकर्ता नए भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि एकल अभियान द्वारा गांव-गांव में साक्षरता, अध्यात्म और संस्कारों के संचार से समग्र विकास हो रहा है और गांवों से जुड़कर भारत महान बन रहा है। सुप्रसिद्ध कथाकार संत रमेश भाई ओझा ने अपने आशीर्वचन में कहा कि एकल विद्यालय के शिक्षक अति महत्वपूर्ण हैं, वन्दनीय हैं, क्योंकि वे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
इस कुंभ के प्रमुख योजनाकार थे एकल अभियान के संस्थापक सदस्य और मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्यामजी गुप्त। कुछ सत्रों में उन्होंने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि एकल अभियान सेवा का अभियान नहीं है, यह राष्ट्र निर्माण का अभियान है।
इस अभियान को बढ़ाने की शक्ति वैचारिक प्रतिबद्धता से मिलती है। उन्होंने कहा कि जो भी भारत को चुनौती देगा, उसके सामने एकल के कार्यकर्ता खड़े होंगे। एकल का प्राण है विचारधारा। हम दुनिया को अपनी विचारधारा से बदलेंगे और दुनिया की दूषित विचारधारा से लोगों को बचाएंगे। इस तीन दिवसीय कुंभ में अनेक वरिष्ठ जन उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख हैं विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार, उपाध्यक्ष श्री चंपत राय, एकल अभियान न्यास के अध्यक्ष श्री लक्ष्मी नारायण गोयल, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नन्दगोपाल गुप्ता ‘नन्दी’, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, विधायक नीरज बोरा आदि।
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