|
साक्षात्कार: लक्ष्मी नारायण चौधरी
पहले भी मदरसों में सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंकाएं जताई जाती रहीं हैं किन्तु किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जब मदरसों के रिकॉर्ड को डिजिटल किया जाने लगा तो करीब एक हजार मदरसे सवालों के घेरे में आए और ढाई हजार शिक्षक फर्जी निकले। अनेक मदरसों में पढ़ाई का तो माहौल ही नहीं था। धर्मार्थ कार्य, संस्कृति एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी से पाञ्चजन्य के ब्यूरो प्रमुख सुनील राय ने मदरसों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं साक्षात्कार के प्रमुख अंश-
उत्तर प्रदेश में वर्षों से बड़े पैमाने पर मदरसों में फर्जीवाड़ा चल रहा था। यह कैसे पकड़ में आया?
उत्तर प्रदेश में लंबे अरसे से मदरसे बिना हिसाब-किताब के चल रहे थे। रिकॉर्ड के नाम पर खानापूर्ति की जा रही थी। हमारी सरकार की प्राथमिकता पूरे तंत्र को डिजिटल करने की है। ऐसा करने से पारदर्शिता आएगी। इसी के तहत राज्य के मदरसों के डिजिटलीकरण का काम शुरू हुआ। सरकार ने आदेश जारी कर सभी मदरसों को अपना ब्योरा पोर्टल पर देने को कहा। जब यह काम शुरू हुआ तो पता चला कि एक ही नाम से कई मदरसे चल रहे थे। एक ही मदरसा के नाम पर अलग-अलग अनुदान लिया जा रहा था। इसके अलावा, एक ही शिक्षक कई मदरसों में पढ़ा रहा था, जबकि कुछ मदरसे ऐसे भी थे, जिनमें शिक्षक ही नहीं थे। जब इन्हें डिजिटल किया जाने लगा तो फर्जी मदरसे और फर्जी शिक्षक पकड़ में आए।
कुल कितने मदरसे फर्जी निकले? फर्जीवाड़ा रुकने पर सरकार को कितनी धनराशि की बचत होगी?
प्रदेश में मदरसा बोर्ड के तहत 19,123 मदरसे पंजीकृत हैं। पोर्टल पर अभी तक 18,146 मदरसों ने अपना विवरण अपलोड किया है। यानी ऐसे करीब एक हजार मदरसे चिह्नित हुए हैं जो या तो अस्तित्व में नहीं थे या मदरसा बोर्ड के मानकों को पूरा नहीं करते थे। डिजिटल होने पर यह भी खुलासा हुआ कि 2500 से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं, लेकिन कागजों में इन शिक्षकों की नियुक्ति दिखाकर फर्जी तरीके से वेतन आहरित किया जा रहा था। इस प्रकार फर्जी शिक्षकों को दिए जा रहे वेतन और मानदेय पर सरकारी खजाने को 50 करोड़ की चपत लगाई जा रही थी। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद हर साल अब इतनी धनराशि की बचत होगी।
ऐसी खबरें थीं कि मदरसों से हाई स्कूल के जाली प्रमाणपत्र भी जारी किए जा रहे थे। इनके आधार पर मुसलमान युवा विदेशों में नौकरी भी कर रहे थे।
हां, इस संबंध में कई तरह की शिकायतें मिल रही थीं। हमें शिकायत मिली कि कुछ मदरसों द्वारा हाई स्कूल के फर्जी प्रमाणपत्र और जन्मतिथि प्रमाणपत्र बांटे जा रहे हैं। इन प्रमाणपत्रों के आधार पर युवा विदेशों में काम करने जाते थे, जहां उनका शोषण होता था। इसके अलावा, कई मदरसों से फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति के दावे भी किए जा रहे थे। दरअसल, हम युवाओं को शिक्षित बनाना चाहते हैं, ताकि जब वे पढ़-लिख कर विदेशों में जाएं तो वहां उनका शोषण नहीं हो। सरकार की चिंता यह भी है कि इन मदरसों में आधुनिक विषयों की पढ़ाई हो जिसका फायदा समुदाय की नई पीढ़ी को मिल सके। इसलिए पारदर्शिता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 18 अगस्त, 2017 को मदरसा पोर्टल लॉन्च किया गया।
पिछली सरकारों द्वारा मदरसों में लंबे समय से चल रहे घपलों की जांच कराने की कोशिश क्यों नहीं की गई?
इससे पहले की सरकारें वोटबैंक के लिए जनहित के कार्यों को नजरअंदाज करती थीं। इसलिए यह सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा। लेकिन हमारी सरकार पारदर्शी तंत्र बना रही है और पारदर्शिता लाने के लिए सभी कदम उठा रही है।
मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के पठन-पाठन का स्तर ऊंचा उठ सके, इसके आपकी सरकार क्या काम कर रही है?
मदरसों का रिकॉर्ड डिजिटल करने से छात्रों के आंकड़ों के विश्लेषण में आसानी होगी। साथ ही, छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और वास्तविक हकदार को ही इसका फायदा मिलेगा। मदरसों की धांधली के पकड़ में आने के बाद सभी शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के भुगतान की निगरानी पोर्टल के माध्यम से की जा रही है। अगले चरण में परीक्षाओं की शुचिता पर ध्यान दिया जा रहा है। पोर्टल के माध्यम से मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल एवं फाजिल 2018 की परीक्षा का कार्य प्रगति पर है। इस बार 2,95,000 हजार छात्रों ने आवेदन किया है। मदरसों में सुधार के उद्देश्य से चरणबद्ध तरीके से सरकार ने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम एवं पुस्तकें लागू करने का फैसला किया है। साथ ही, राज्य छात्रवृत्ति योजनाओं की नियमावली में संशोधन के बाद अब आवेदन के लिए 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य किए गए हैं।
मदरसों के फर्जी शिक्षक, जिनके नाम पर वेतन लिए जा रहे थे, क्या उन्हें छोड़ दिया जाएगा?
एक बात हमेशा से बिल्कुल स्पष्ट है। सरकारी धन जिस मद में लिया गया है, अगर उस मद में उसका इस्तेमाल नहीं हुआ या उसका उसका दुरुपयोग किया गया तो कारवाई की जाएगी। ऐसे लोगों के खिलाफ किस तरह की कानूनी कार्रवाई की जाए, इपर कानूनी परामर्श लिया जा रहा है। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
फर्जी मदरसों की सूची आॅनलाइन करने की योजना है? इनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?
जांच समाप्त होने के बाद फर्जी मदरसों की सूची आॅनलाइन करने पर विचार किया जाएगा। फर्जीवाड़ा करने वाले मदरसों के खिलाफ दो प्रकार की कारवाई की जाएगी। जो मदरसे सरकारी सहायता नहीं ले रहे थे और उनके यहां दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं, उनकी मान्यता निरस्त करने की कार्यवाही प्रगति पर है। जो सरकारी सहायता ले रहे थे, उन मदरसों के खिलाफ सरकारी पैसा हड़पने की कार्रवाई करने को लेकर न्याय विभाग से विचार विमर्श चल रहा है। साथ ही, इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
ल्ल उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में इसी तरह के मामले में 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पकड़ी गई। क्या उत्तर प्रदेश में भी घोटाले की राशि बढ़ सकती है?
उत्तराखंड में परिस्थितियां क्या थीं, मैं यह तो नहीं बता सकता, मगर हमारे यहां कई दृष्टिकोण से जांच चल रही है। इसलिए यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह सिर्फ 50 करोड़ का ही घोटाला है। मैं इतना कह सकता हूं कि अभी और कई घोटाले पकड़े जाएंगे। अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक सालाना 50 करोड़ रुपये का घोटाला किया जा रहा था। यह घोटाला बड़ा भी हो सकता है, इसलिए इसकी गहनता से जांच कराई जा रही है। मदरसों को जब मान्यता दी जाती है तो उसमें कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें मान्यता के साथ सरकार शत-प्रतिशत आर्थिक सहायता भी देती है। दूसरे मदरसे वे हैं, जिन्हें केवल शिक्षकों के वेतन के लिए ही सहायता दी जाती है, जबकि कुछ मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें प्रदेश सरकार केवल मान्यता देती है और कोई आर्थिक सहायता नहीं देती। इसलिए जिन मदरसों ने केवल सरकार से मान्यता ली है, किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं ली, उनके यहां गड़बड़ी मिलने पर ज्यादा से ज्यादा उनकी मान्यता रद्द हो सकती है। इसकी प्रक्रिया चल भी रही है।
टिप्पणियाँ