बीएसपी यानी ‘बाबासाहेब पर प्रहार ’
May 23, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बीएसपी यानी ‘बाबासाहेब पर प्रहार ’

by
Apr 9, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 09 Apr 2018 11:11:11

बहुजन समाज पार्टी बाबासाहेब आंबेडकर के सिद्धांतों से दूर हो गई है। उन्होंने वंचितों को अधिकार दिलाने के लिए कई शांतिपूर्ण आंदोलन चलाए। उनकी दृष्टि में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं था। लेकिन बाबासाहेब पर अपना एकाधिकार समझने वाली मायावती के हिंंसक भारत बंद ने उनकी विरासत को घायल किया

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने अपने जीवन में कई जन-आंदोलन चलाए, जो मुख्यत: मंदिरों में वंचितों के प्रवेश, सार्वजनिक कुओं, तालाबों आदि से उन्हें पानी पीने के अधिकार मनवाने के लिए थे। आंदोलन के दौरान उन पर छिटपुट हमले हुए, जिसमें वे घायल भी हो गए। लेकिन उनकी अपील पर आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण ही रहा। लगभग 6 साल से अधिक समय तक चले इस आंदोलन पर्व को बाबासाहेब ने ‘धर्म संगर’ अर्थात धर्म संघर्ष का नाम दिया, जिसमें हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं था। एक बार उन्होंने कहा भी था कि ‘मेरे सत्याग्रहियों की अहिंसा गांधीजी को भी लजाने वाली रही है।’ लेकिन बाबासाहेब पर अपना एकाधिकार समझने वाली बसपार और उसकी मुखिया मायावती के हालिया हिंसक भारत बंद ने उनकी विरासत को घायल किया है। खास तौर पर स्त्रियों-बच्चों पर हमले, लूटमार जैसी घटनाओं ने इस पार्टी के निंदनीय चेहरे को देश के सामने ला दिया है। जिस बात के लिए भारत बंद हुआ उसे तो मायावती बतौर मुख्यमंत्री अपने तीसरे कार्यकाल (2007-2012) में स्वयं कर चुकी हैं। उन्होंने मई 2007 में यह सरकारी आदेश जारी किया था कि अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम में एफआईआर होने पर सर्किल आॅफिसर स्तर के अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद ही गिरफ़्तारी होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने यही फैसला तो दिया है। फिर विरोध का औचित्य क्या है?
पिछले कुछ समय से बाबासाहेब और उनके बताए रास्ते से बसपा की दूरियां साफ दिखने लगी हैं। मायावती ने उस पार्टी से गठजोड़ किया जिसके शीर्ष नेताओं में से एक आजमखान ने बाबासाहेब को ‘भू-माफिया’ बताया था। 2017 के शुरू में आजम ने एक सभा में जब यह आपत्तिजनक बात कही थी, तब मायावती खामोश रहीं। आजम ने मंत्री रहते हुए रामपुर में मॉल बनाने के लिए समीपस्थ वाल्मीकि बस्ती को बुलडोजरों से गिरवा दिया, तब भी मायावती ने विरोध नहीं किया। अखिलेश यादव सरकार ने बाबासाहेब के पुण्य दिवस एवं संत रविदास जयंती पर अवकाश रद्द कर मुस्लिम त्योहारों के दो अवकाश बढ़ाए, फिर भी वे उदासीन ही रहीं। अब अचानक बाबासाहेब के नाम में उनके पिता रामजी सकपाल का नाम जोड़े जाने पर वे विरोध करने पर आमादा हो गर्इं! बाबासाहेब की तमाम डिग्रियों व पुस्तकों, संविधान सभा और राज्यसभा (जिनके वे सदस्य रहे) की कार्यवाही रिकॉर्ड, संविधान की मूल हिंदी प्रति पर उनके हस्ताक्षर, दोनों डाक टिकट- सभी में उनके नाम के मध्य में राम है। बसपा की तुच्छ राजनीति के आलोचक कहते हैं कि यदि मायावती को ‘राम’ शब्द इतना ही अप्रिय है तो पहले अपनी माता रामरत्ती तथा अपने राजनीतिक गुरु कांशीराम के नामों से उसे हटाएं।      अजय मित्तल    

क्या था मामला?
20 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के एक मामले में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके मुताबिक, सरकारी कर्मियों की तुरंत गिरफ्तारी नहीं हो सकती। सक्षम प्राधिकरण से इजाजत के बाद ही गिरफ्तारी की जा सकती है। पुलिस को जांच के लिए सात दिन का समय मिले। जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए एसएसपी से अनुमति लेनी होगी। साथ ही, ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत मिले।

क्यों हुई हिंसा?
फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। दलित संगठनों ने सरकार से फैसले के विरुद्ध अपील की मांग की और कहा कि नियम यथावत लागू किया जाए। सरकार ने 2 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दाखिल की। देश में हिंसा और मौतों का हवाला देते हुए दलित संगठनों ने भी याचिका दायर कर शीघ्र सुनवाई की अपील की, पर अदालत ने इनकार कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र की याचिका पर 3 अप्रैल को सुनवाई करते हुए कहा कि हमने एससी/एसटी कानून के किसी भी प्रावधान को कमजोर नहीं किया है, पर इसका इस्तेमाल बेगुनाहों को डराने के लिए नहीं हो। केंद्र की याचिका पर 10 दिन में सुनवाई होगी।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तानी विमान 1 महीने और भारतीय एयरस्पेस में नहीं कर सकेंगे प्रवेश, NOTAM 23 जून तक बढ़ाया

गणित का नया फॉर्मूला: रेखा गणित की जटिलता को दूर करेगी हेक्सा सेक्शन थ्योरम

Delhi High Court

आतंकी देविंदर भुल्लर की पैरोल खत्म, तुरंत सरेंडर करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट

ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को लेकर SC ने केंद्र सरकार काे जारी किया नाेटिस

देश के विकास को नया स्वरूप देती अमृत भारत स्टेशन योजना

मारे गए नक्सली बसव राजू की डायरी का पन्ना

‘जहां भी हो, छिप जाओ, DRG फोर्स वाले खोजकर…’ नक्सलियों में खौफ, बसव राजू की डायरी ने बताई सच्चाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तानी विमान 1 महीने और भारतीय एयरस्पेस में नहीं कर सकेंगे प्रवेश, NOTAM 23 जून तक बढ़ाया

गणित का नया फॉर्मूला: रेखा गणित की जटिलता को दूर करेगी हेक्सा सेक्शन थ्योरम

Delhi High Court

आतंकी देविंदर भुल्लर की पैरोल खत्म, तुरंत सरेंडर करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट

ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को लेकर SC ने केंद्र सरकार काे जारी किया नाेटिस

देश के विकास को नया स्वरूप देती अमृत भारत स्टेशन योजना

मारे गए नक्सली बसव राजू की डायरी का पन्ना

‘जहां भी हो, छिप जाओ, DRG फोर्स वाले खोजकर…’ नक्सलियों में खौफ, बसव राजू की डायरी ने बताई सच्चाई

Chhattisgarh anti-Naxal operation

दम तोड़ता ‘लाल आतंक’, लोकतंत्र का सूर्योदय

दिल्ली में पकड़े गए 121 बांग्लादेशी घुसपैठिए

अमित शाह ने बताए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के 3 कारण

मध्य प्रदेश : शूटिंग कोच मोहसिन खान पर 2 और FIR दर्ज, मोबाइल में मिले 100 से ज्यादा अश्लील वीडियो

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies