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गत दिनों जयपुर के होटल रॉयल हवेली में स्वदेशी जागरण मंच के उम्मीद फाउण्डेशन की ओर से कामकाजी जरूरतमंद महिलाओं के लिये लघु ऋण वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.मनमोहन वैद्य ने कहा कि धर्म राष्टÑ जीवन का आधार है। यह हमारी प्रेरणा है। धर्म हमें जोड़ना सिखाता है, सही दृष्टि प्रदान करता है। धर्म भारत की संस्कृति है, जो हमें समाज के साथ अपने रिश्ते का भान कराती है। उन्होंने कहा कि समाज जो व्यवस्था खड़ी करता है, वही स्वदेशी है। लघु उद्योगों से स्वदेशी का भाव आगे बढ़ता है, किन्तु अर्थ के अभाव में रुक भी जाता है। उम्मीद फॉउण्डेशन जैसी संस्थाएं और समाज के सक्षम लोगों को अपनेपन का भाव रखते हुए समाज के जरूरतमंद लोगों का सहयोग करना चाहिए। समाज से जो हमें मिलता है, हमें उससे अधिक लौटाना चाहिए। इस प्रकार के कार्य धर्मकार्य हैं। क्योंकि धर्म सब को सुखी रखना सिखाता है। समाज के प्रति अपने कर्तव्य भाव से देश प्रगति करेगा। समाज समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा। देने की वृत्ति का अलग आनंद होता है, इसलिए हम देने की आदत डालें। जीवन की सार्थकता ही अनेक प्रकार के कार्य करने की प्रेरणा देती है। कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के राष्टÑीय सह संयोजक श्री अश्वनी महाजन ने कहा कि जरूरतमंद महिलाओं को सहयोग कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए जयपुर में यह पहला कदम है। अपनी संस्कृति को बचाते हुए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ जन जागरण करना ही स्वदेशी जागरण मंच का कार्य है। उन्होंने कहा कि नागपुर में महिलाओं को ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास सबसे पहले प्रारम्भ हुआ। आज यह दिल्ली, हरियाणा, वाराणसी, जयपुर सहित कई स्थानों तक विस्तृत हुआ है। समाज के सक्षम लोग समाज के आर्थिक उत्थान के लिए समाज को सहयोग दें। उम्मीद फाउण्डेशन के निदेशक मोहनलाल गुप्ता ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में 200 जरूरतमंद महिलाओं को ऋण दिया गया। ल्ल (विसंकें, जयपुर)
‘‘अध्यात्म भारत के चिन्तन का आधार’’
‘‘अंग्रेज तो 1947 में चले गए, लेकिन अंग्रेजियत छोड़ गए। इस भाषा का खौफ इस कदर हावी है कि हम अपनी पहचान ही खो रहे हैं। हमें अपनी भाषा पर स्वाभिमान होना चाहिए, लेकिन हम इसे सीखने में शर्म महसूस करते हैं।’’ उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कही। वे गत दिनों देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में ‘राष्टÑ निर्माण एवं पत्रकारिता के सरोकार’ विषय पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 91 फीसदी देशों में अपनी भाषा में ही पढ़ाई होती है और काम भी। वह देश किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अंग्रेजी या कोई भी दूसरी भाषा का ज्ञान अर्जित करना गलत नहीं है, लेकिन हमें अपनी भाषा अच्छी तरह आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यात्म भारत के चिंतन का आधार है, जो भारत को दुनिया में विशेष बनाता है। देश की अनेक विविधताओं को जोड़ने वाला तत्व भी अध्यात्म है। मतलब, हम सभी में एक ही तत्व विद्यमान है, हम सभी एक ही ईश्वर के अंश हैं। इसी कारण हम अनेकता में एकता को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि राष्टÑ निर्माण के लिए नियमों व समय का पालन करना जरूरी है। साथ ही हमें हर कार्य को बेहतरीन ढंग से क्रियान्वित करना चाहिए, जिससे उसका लाभ समाज को मिल सके। इस दौरान प्रांत प्रचारक श्री युद्धवीर, विवि. के निदेशक (विनिर्माण) सुभाष गुप्ता, विभागाध्यक्ष (प्रबंधन) डॉ़ विशाल सागर सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित रहे। ल्ल (विसंकें, देहरादून)
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