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प्रसिद्ध मराठी लेखक और नाट्यविद् बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे उपाख्य बाबासाहब पुरंदरे ने नाटक ‘जाणता राजा’ के जरिए शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाया है। प्रस्तुत हैं देवीदास देशपांडे की उनसे हुई बातचीत के अंश-
नाटक ‘जाणता राजा’ की यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक रही है। आप इस पर क्या कहेंगे?
मैं नाटक की शानदार सफलता का श्रेय खुद नहीं लेना चाहता। वास्तविक श्रेय उन कलाकारों को जाता है, जो पिछले 30 वर्ष से अथक परिश्रम कर रहे हैं, एक से दूसरे शहर में इसका मंचन करते हैं। इसके अलावा उन दर्शकों की भी सराहना करनी चाहिए, जो इसे देखकर अपना आशीर्वाद हमें देते हैं। फिर ‘शिवाजी’, जो एक जादुई शब्द है और जिसके बिना यह यात्रा संभव ही नहीं थी, उसे भी इसका श्रेय जाता है। यह नाम और उसका आख्यान आज भी हम सभी को प्रेरित करता है। इस नाटक की यात्रा बहुत ही भावुक है। शुरू में हमारे पास संसाधन नहीं थे। यहां तक कि कलाकरों को नाटक के वस्त्र देने के लिए भी कुछ नहीं था। इसलिए हमने कलाकारों को स्वयं के साधन से सब कुछ लाने को कहा और आश्चर्य यह कि वे लोग ले भी आए। शिवाजी के प्रति उनकी श्रद्धा ने ही उन्हें ऐसा करने को प्रेरित किया। कलाकारों में कोई बड़ा नाम नहीं है। ज्यादातर स्थानीय कलाकार हैं। फिर भी यह नाटक वर्षों से लोगों को आकर्षित कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिवचरित्र (शिवाजी की जीवन कथा) स्वयं में बहुत ही अद्भुत और पवित्र है।
इस नाटक को लिखने और मंचित करने का विचार कैसे आया?
1974 में हमने शिवाजी महाराज के 300वें राज्याभिषेक समारोह के अवसर पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था। उसमें शिवाजी महाराज के समय के घरों, इमारतों और किलों की प्रतिकृतियां दिखाई गई थीं। वहां विचार आया कि शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को पूरी गरिमा के साथ आम लोगों तक ले जाना चाहिए। मेरे पास पटकथा तैयार थी। इसके बारे में ‘शिवराय प्रतिष्ठानम’ के सदस्यों को मैंने बताया तो वे कहने लगे कि शिवाजी महाराज के चरित्र को तीन घंटे में प्रस्तुत करना आर्थिक और शारीरिक रूप से संभव नहीं है। पर मैं अपने विचार पर दृढ़ रहा और मुझे खुशी है कि वह साकार हुआ।
आज के समय में छत्रपति शिवाजी की प्रासंगिकता क्या है? इतिहास का इतना महत्व क्यों है?
हर पीढ़ी को अपने महान राष्टÑ को और भी अधिक महान बनाने के लिए अपने राष्टÑीय चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस दृष्टि से छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन बहुत ही उपयोगी और प्रेरक है। उनकी प्रासंगिकता आज भी कायम है। इतिहास ही हमारे अंदर खुद को पहचानने की भावना पैदा करता है। इसके साथ ही सही और गलत में फर्क करने का सबक देता है। इतिहास से सीख लेकर हम अपने देश को मजबूत और समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।
शिवाजी महाराज का जीवन हमें क्या सिखाता है?
उनका पूरा जीवन हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन देने वाला है। राजनीति में कैसी सावधानी बरती जाए, वीरता कैसी हो, कैसा चरित्र हो, कैसी मेहनत करें, प्रेम और स्नेह कैसा हो, सेवा कैसी होनी चाहिए- ये सारी बातें शिवाजी के जीवन से हमें सीखने को मिलती हैं।
क्या यह नाटक शिवाजी के जीवन-आदर्शों को लोगों तक पहुंचाने में सफल रहा?
शिवाजी महाराज के जीवन में हर पीढ़ी को शानदार भविष्य गढ़ने और एक नया इतिहास रचने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करने की क्षमता है। यह नाटक उन्हें एक सम्मानित नायक, अनुकरणीय प्रशासक और एक दूरदर्शी राजनेता के रूप में प्रस्तुत करता है। यह नाटक तथ्यों और मूल्यों से भरा है, जिसका प्रभाव दर्शकों पर पड़ता है। शिवाजी की प्रेरक कहानी हर घर में, हर मां को अपने बच्चे को सुनानी चाहिए।
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