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‘‘अपने समाज की जातियां एक व्यवस्था है, परंतु जातिवाद का अहंकार उचित नहीं। सब जातियां इस विराट हिन्दू समाज की ही अंग हैं। कोई अंग कमजोर होने पर संपूर्ण समाज कमजोर होता है। हम जानते हैं कि किसी भी जाति के श्रेष्ठ व्यक्तियों ने समाज और धर्म के हित के कार्य किए हैं, ऐसे सभी महापुरुषों को पूरे समाज ने आदर दिया है। पूज्य रविदास, पूज्य कबीर, बाबासाहेब आंबेडकर इसके प्रमाण हैं।’’ उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री सुरेश चंद्र ने कही। वे 18 मार्च को पोकरण में जाग्रत हिन्दू महासंगम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के विराट दृश्य का दर्शन संघ का विराट दर्शन है।
संघ का कार्य 92 वर्षों से देश में चल रहा है। संघ संपूर्ण भारत में कार्य करने वाला हिन्दू संगठन है। संघ निर्माता ड़ॉ हेडगेवार ने समाज और राष्टÑ का गहन चिंतन किया और संघ कार्य को शुरू किया। इसलिए संगठित समाज ही सब समस्याओं का हल है। संगम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जी़ डी़ बख्शी ने कहा कि भारत के युवा ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति हैं। राजस्थान वीरों की भूमि है, यहां के जवानों ने प्राचीनकाल से ही विभिन्न युद्धों में श्रेष्ठता साबित की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जूना अखाड़ा, हरिद्वार के महामंत्री श्री परशुराम गिरी महाराज जी ने कहा कि संघ का कार्य पवित्र कार्य है। संघ समाज को समरसता के सूत्र में पिरो रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी लोग भारत मां की संतानें हैं, ऐसे में यहां जात-पात के भेदभाव का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। (विसंकें, जोधपुर)
दीप प्रज्ज्वलित कर नववर्ष का किया स्वागत
पिछले दिनों हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी, ठाकुर जगदेव चंद शोध संस्थान, नेरी एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में गेयटी थियेटर, शिमला में नववर्ष स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ, हिमाचल के प्रांत प्रचारक श्री संजीवन कुमार, मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उपस्थित थे। इस अवसर पर श्री संजीवन ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणकारी ताकतों को हराकर विक्रमी संवत् की शुरुआत की थी। और अब से 1 अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 115 वर्ष पहले वर्ष प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया था। भारतीय जीवन शैली में प्रात: काल सबसे पहले और शयन से पहले लिया जाने वाला नाम राम का है, जिनका राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय नववर्ष परम्परा का परिगणन सौर मंडल की गति के अनुसार होता है। भारतीय ज्योतिष में कालगणना वैज्ञानिक आधार पर की जाती है। भारत का इतिहास दो अरब साल पुराना है और आयुर्वेद भारत के ऋषियों की ही देन है। हमारे पूर्वजों ने प्रत्येक चीज समय एवं परिस्थिति को देखकर बनाई है। इसी तरह नववर्ष का भी अपना एक महत्व है। (विसंकें, शिमला)
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