आवरण कथा/ कर्नाटक : बसवेश्वर का दर्शन
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आवरण कथा/ कर्नाटक : बसवेश्वर का दर्शन

by
Mar 26, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 26 Mar 2018 00:12:12

बसवेश्वर या बसवा ने विविधता के मूल में व्याप्त एकता को ही बढ़ाने का काम किया था, लेकिन आज की राजनीति उस एकता पर ही चोट कर रही है

भारत में मानवता का कोई न कोई ऐसा प्रकाश स्तंभ हमेशा मौजूद रहा जो समाज में व्याप्त तत्कालीन कुरीतियों और भ्रमों से जनसामान्य को आगाह करता रहा। बसवेश्वर भी ऐसी एक महान आध्यात्मिक विभूति हैं। यह दुखद है कि आज राजनीतिक कारणों से बसवा को लेकर जनभावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है।  
बसवेश्वर को हिंदुत्व के अखंड प्रवाह से अलग बताने के लिए अनेक तथाकथित बुद्धिजीवी कुछ विचित्र तर्क रख रहे हैं, जैसे, ‘‘वे हिंदू धारा से अलग हैं क्योंकि वे जाति और छुआछूत को नहीं मानते थे।’’ जाति का निषेध तो कबीर, रामानुज, रैदास जैसे अनेक भगवद् स्वरूप संतों ने किया है। रामकृष्ण परमहंस ने तो जाति के अहंकार को व्यर्थ सिद्ध करने के लिए मंदिर की सीढ़ियों को अपने सिर की जटाओं से बुहारा था, जहां सभी के पांव पड़ते थे। निर्वाण षटकम में आदि शंकराचार्य मानव मात्र में शिव का वास बताते हुए कहते हैं, ‘न मे मृत्यु शंका न मे जातिभेद:’ न मेरी कोई मृत्यु है, न कोई जाति है। वेद में भी जाति का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे बुद्धिजीवियों का दूसरा तर्क है, ‘‘लिंगायत वेद को नहीं मानते। इसलिए वे हिंदुत्व से अलग हैं।’’ हिंदू दर्शन किसी भी पुस्तक को अनिवार्य नहीं बताता। आखिर मीरा कौन-सा शास्त्र पढ़ती हैं? कबीर तो कपड़ा बुनते जाते हैं, और राम नाम गुनते जाते हैं। हिंदू मान्यता है कि देह एक मंदिर है जिसमें परमात्मा का वास है। राजयोग और तंत्र  की अनेक धाराओं में देह के अनेक भागों में देव वास बताया गया है। बसवेश्वर कहते हैं, ‘‘धनी व्यक्ति ने शिव का मंदिर बना लिया, मैं अकिंचन क्या करूं ?…. ये देह ही मठ है, पैर स्तंभ हैं, सिर सोने का गुंबद है।’’ गीता कहती है, ‘‘ज्ञानी संसार में उसी प्रकार रहता है जिस प्रकार कमल का पत्ता पानी में रहता है, पर भीगता नहीं।’’ इसी बात को बसवेश्वर दूसरे शब्दों में कहते हैं, ‘‘जो खड़े रहते हैं वे गिर    जाते हैं, पर जो चलते जाते हैं वे स्थिर रहते हैं।’’
एक और तर्क दिया गया है कि ‘लिंगायत एक परमात्मा को मानते हैं, जबकि हिंदुत्व में अनेक देवी-देवता हैं।’ देवी-देवता परमात्मा के प्रकार नहीं हैं। बहुदेववाद जैसी कोई चीज नहीं है। एक बहुप्रचलित आरती ‘जय शिव ओंकारा’ में यह पंक्ति आती है, ‘‘ब्रह्मा-विष्णु-सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका।’’ अर्थात् ब्रह्मा-विष्णु-सदाशिव आदि भेद अज्ञान के कारण हैं, ये सभी ॐ में समाहित हैं।
कर्मयोग को समझाते हुए कृष्ण कहते हैं, ‘‘संपूर्णता से पूरे समर्पण के साथ कर्म करो, क्योंकि कर्म करने पर ही तुम्हारा वश है, उसके फल पर नहीं। इस प्रकार से  कर्म करने से भगवद् प्राप्ति होती  है।’’ बसवेश्वर कहते हैं, ‘‘कर्म अपने आप में दैवीय है।’’
जब कर्म और उपासनाएं अपने मूल अर्थ का खो देती हैं, और केवल दुहराव बन जाती हैं, तो महापुरुष समाज को झकझोरते हैं और उनका वास्तविक अर्थ ध्यान दिलाते हैं। इसीलिए कृष्ण गोवर्धन वासियों से कहते हैं कि वर्षा के लिए इंद्र का पूजन क्यों करते हो? गोवर्धन पर्वत का पूजन करो जो कि बादलों का मार्ग रोककर वर्षा करवाता है। बसवा भी यज्ञ का मूल समझाने के लिए कटाक्ष करते हैं कि पुरोहित अग्नि को ब्रह्म कहकर उसमें हवन सामग्री डालते हैं, लेकिन वही अग्नि जब भड़ककर उनके घर को जलाने लगती है तो भागकर लोगों को बुला लाते हैं, और छाती पीटते हैं, तब वे अग्नि की उपासना भूल जाते हैं। अर्थात् नित्य हवन करते हुए भी अंदर से मोह नहीं जाता और न ही अग्नि का तेज मन में उतरता है।
इन सारे तथ्यों के प्रकाश में यह विचारणीय है कि बसवा की विरासत भक्तों के ह्रदय में बसती है या राजनीतिक प्रस्तावों में विचरती है? क्या बसवेश्वर जैसे महान संतों को इस प्रकार दलगत और संप्रदायगत राजनीति में घसीटा जाना चाहिए? राजनीतिक कोलाहल के इस दौर में यह समय मूलभूत एकता के सुरों को खोजने का है।      

 प्रस्तुति: प्रशांत बाजपेई

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मोतिहारी से इनामी खलिस्तानी आतंकी कश्मीर सिंह ग्लावड्डी उर्फ बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया

10 लाख का इनामी खलिस्तानी आतंकी गिरफ्तार, नाभा जेल ब्रेक में था शामिल

गिरफ्तार बांग्लादेशी जासूस अशरफुल आलम

बांग्लादेशी जासूस की गिरफ्तारी से हुए कई खुलासे

Pakistani Army join funeral of terrorist in Muridke

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों के जनाजे में शामिल, देखें लिस्ट

Bhagalpur Love Jihad with a hindu women

हिन्दू महिला से इमरान ने 9 साल तक झांसा देकर बनाया संबंध, अब बोला-‘धर्म बदलो, गोमांस खाओ, इस्लाम कबूलो तो शादी करूंगा’

Siddhivinayak Temple Mumbai stop Offering Prasad

भारत-पाकिस्तान तनाव: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने सुरक्षा कारणों से नारियल, प्रसाद चढ़ाने पर लगाई रोक

ऑपरेशन सिंदूर : ‘सिंदूर’ की शक्ति और हमले की रणनीति

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मोतिहारी से इनामी खलिस्तानी आतंकी कश्मीर सिंह ग्लावड्डी उर्फ बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया

10 लाख का इनामी खलिस्तानी आतंकी गिरफ्तार, नाभा जेल ब्रेक में था शामिल

गिरफ्तार बांग्लादेशी जासूस अशरफुल आलम

बांग्लादेशी जासूस की गिरफ्तारी से हुए कई खुलासे

Pakistani Army join funeral of terrorist in Muridke

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों के जनाजे में शामिल, देखें लिस्ट

Bhagalpur Love Jihad with a hindu women

हिन्दू महिला से इमरान ने 9 साल तक झांसा देकर बनाया संबंध, अब बोला-‘धर्म बदलो, गोमांस खाओ, इस्लाम कबूलो तो शादी करूंगा’

Siddhivinayak Temple Mumbai stop Offering Prasad

भारत-पाकिस्तान तनाव: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने सुरक्षा कारणों से नारियल, प्रसाद चढ़ाने पर लगाई रोक

ऑपरेशन सिंदूर : ‘सिंदूर’ की शक्ति और हमले की रणनीति

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान DGMO वार्ता आज: जानें, कैसे पड़ोसी देश ने टेके घुटने?

Lord Buddha jayanti

बुद्ध जयंती विशेष: धर्मचक्रप्रवर्तन में भगवान बुद्ध ने कहा – एस धम्मो सनंतनो

असम: अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies