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हाथ है तो हाथ की सफाई भी जरूरी होगी, लालच है तो ठग भी होंगे। ठगी की चतुराई और ठगे जाने वालों की रुलाई भी होगी
यज्ञ शर्मा
आपके पास हाथ है?’’ ‘‘है?’’ ‘‘गुड, उस हाथ में क्या है?’’ ‘‘कुछ नहीं है।’’ ‘‘अरे इतने संकोच से क्यों बोल रहे हैं। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है कि आपके हाथ में कुछ नहीं है। आज देश के ज्यादातर लोगों के हाथ में कुछ नहीं है। आपके हाथ में कुछ नहीं है तो इसका मतलब यह है कि आप इस देश में बहुमत में हैं। यह इस देश की प्रजातंत्र की खासियत है। देश के ज्यादातर हाथों को कुछ नहीं देता और थोड़े से हाथों को बहुत कुछ दे देता है।’’ ‘‘और, जनाब आप? आपके हाथ में क्या है?’’ ‘‘अच्छा नौकरी है!’’ ‘‘अच्छी नौकरी है?’’ ‘‘जी हां, नौकरी अच्छी चीज होती है। आप उससे अपना परिवार पालते हैं। बच्चों को पढ़ाते-लिखाते हैं। लेकिन, आजकल हालात अजीब हो गए हैं। एक ओर नौकरी बड़ी चीज है, तो दूसरी ओर बड़ा डर भी है। आज हर आदमी डरा-डरा सा रहता है कि कहीं उसकी नौकरी न चली जाए। कितनी अजीब बात है, एक ओर नौकरी ताकत देती है तो दूसरी ओर डराती भी है। तो चलिए, आपके पास नौकरी है, यह एक अच्छी बात है, लेकिन नौकरी के अलावा आपके हाथ में क्या है?’’ ‘‘कुछ नहीं है।’’ ‘‘कुछ कैसे नहीं है? आप भूल रहे हैं। आपके हाथ में अनिश्चितता है, एक डर है? मेरे पास हाथ तो हैं, लेकिन कल इन हाथों के पास कोई काम न हुआ तो?’’
‘‘अच्छा श्रीमान्, आप अपना हाथ सीने पर रखिए और बताइए, आपको किसी पर भरोसा है?’’ ‘‘नहीं, नहीं, ईश्वर की बात मत करिए। ईश्वर पर भरोसा करना आपका निजी मामला है। आप करते हैं तो अच्छी बात है। लेकिन, ईश्वर पर भरोसा करना वास्तव में जिंदगी में भरोसा करना नहीं होता। क्योंकि, ईश्वर जिंदगी में भरोसा करने की बात नहीं करता। वह जिंदगी के बाद भरोसे की बात करता है। जीते जी सिर पर छत देने की बात नहीं करता। मरने के बाद स्वर्ग देने की बात करता है। आप स्वर्ग में भरोसा जरूर रखिए। लेकिन, अभी आप मरे नहीं हैं। इसलिए, फिलहाल जिंदगी में भरोसे की बात करिए और सीने पर हाथ रख कर करिए। कर सकते हैं?
‘‘अच्छा यह बताइए, देश के नेताओं के बारे में आपका क्या ख़्याल है?’’ अरे, ऐसे झटके से सिर मत घुमाइए। नहीं, नहीं मुंह मत बनाइए। चलिए, जाने दीजिए। मैं आपसे नेताओं के बारे में कुछ नहीं पूछूंगा। वैसे भी, जब नेताओं को ही नेताओं पर भरोसा नहीं है तो कोई और उन पर भरोसा कैसे करे? चलिए कुछ और पूछता हूं। अच्छा यह बताइए, मेरे बारे में आपका क्या ख़्याल है? क्या आपको मुझ पर भरोसा है? नहीं, नहीं, संकोच से भर कर हां मत कहिए। अगर, भरोसा नहीं है तो ‘है’ मत कहिए। मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा। मैं आपको अंदर की एक बात बताऊं, मुझे आप पर भरोसा नहीं है। नहीं, नहीं, बुरा मत मानिए। यह बात मैं आपका अपमान करने के लिए नहीं कह रहा हूं। यह तो हमारे देश की हकीकत है। आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल भरोसे का है। आज आपको देश में कहीं कोई किसी पर भरोसा करता दिखाई देता है? इस देश में, अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं है। यही इस देश का सबसे बड़ा संकट है।
असल में आज इस देश में आपको अपने दो हाथों की जरूरत नहीं है। आपके पास एक बड़ा हाथ होना चाहिए, जो आपके सिर पर रखा हो। अब, इस देश में अपने सीने पर हाथ रखने से काम नहीं चलता। सिर पर किसी और का हाथ रखवाना जरूरी है। तो, अगर आप खुद को सफल मानते हैं, तो सीने पर हाथ रख कर बताइए कि आपके सिर पर किसी और का हाथ नहीं है और उस हाथ को रखवाने में आपने सिर नहीं झुकाया है?
गांव में शहर की महिला
शहर की एक महिला ने हिम्मत दिखाई,
वह प्रौढ़ों को शिक्षित करने के लिए गांव में आई
एक दिन यूं ही बैठी-बैठी सुस्ता रही थी
और एक गीत गा रही थी
‘ओ सावन के बदरा, आए नहीं हमारे सजना, अबकी नहीं बरसना।’
गीत के दर्द भरे बोल लोगों तक पहुंचे
लोग मुखिया के पास पहुंचे
मुखिया जी शिक्षिका के पास दौड़े
और हाथ जोड़े
कि बस इतना सा काम
हमें क्यों नहीं बतातीं?
हम आपके सजना को
कान पकड़ के ले आते
शिक्षिका पहले तो हड़बड़ाई
फिर मुखिया को एक डांट पिलाई
कि ये क्या बला है?
मेरा सजना आए या न आए
ये मेरा निजी मामला है
मुखिया जी बोले
भाड़ में जाए आपका सजना
हमें उससे क्या करना?
पर सावन तो आपका निजी नहीं है
उससे क्यों कहती हैं कि अबकी नहीं बरसना?
सूखा पड़ जाएगा
बच्चे हमारे भूखे मरेंगे
आपके सजना के बाप का क्या जाएगा?
और हमें तो आपके सजना के
लक्षण अच्छे नहीं लगते
छह महीने हो गए आपको यहां रहते
उसने एक बार भी पता लगाया नहीं
कि आप जी रही हैं या मर गई हैं
फिर आप उसकी चिंता क्यों कर रही हैं?
यों अब तक नहीं आया
तो पता नहीं कब आएगा?
और फिर ऐसा सजना
आकर भी क्या कर लेगा?
हमारी तो किस्मत ही खराब है
पिछले साल कीड़े फसल खा गए थे
इस साल आपका सजना मरवाएगा
नहीं हम ये जोखिम नहीं उठा सकते
हमें उसका पता दीजिए
या फिर आप अक्ल से काम लीजिए
आपके सजना का सावन से क्या लेना-देना?
वो अपने हिसाब से आएगा
इसको अपने हिसाब से बरसने दीजिए।
(ओशो के प्रवचन से ली गर्इं पंक्तियां)
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