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संसद में हास्य-व्यंग्य

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Feb 26, 2018, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 26 Feb 2018 11:11:12


रेणुका का ठहाका और मोदी की चुटकी, हंसी पर मुंह फुलाने की ऐसी घटनाएं अपवाद  हैं। संसद में हास्य-व्यंग्य की स्वस्थ परंपरा रही है। पीलू मोदी, डॉ. राममनोहर लोहिया, महावीर त्यागी, आचार्य कृपलानी जैसे सांसद अपनी हाजिरजवाबी और चुटीली बातों से सबको हंसा दिया करते थे

सतीश पेडणेकर  

होली के मौसम में संसद में हंसी पर महाभारत छिड़ गई। राष्टÑपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आधार को कांग्रेस अपनी योजना बताती है, जबकि 7 जुलाई, 1998 को इसी सदन में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि एक ऐसा कार्ड होगा जो नागरिकता की पहचान का सबूत होगा। यहीं से आधार कार्ड की नींव पड़ी।’’ मोदी के इतना कहते ही रेणुका बहुत जोर से हंस पड़ीं।
इस पर सभापति वेंकैया नायडू ने भी नाराजगी जताई, लेकिन मोदी ने उन्हें रोकते हुए कहा, ‘‘सभापति जी, आप रेणुका जी को कुछ मत कहिए। रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी अब सुनाई दी है।’’  मोदी के इतना कहते ही सदन में जोर का ठहाका गूंज उठा। मोदी का आशय समझा जा सकता है। संभवत: उनका इशारा ‘राक्षसी अट्टहास’ की तरफ था।
मोदी की बात पर खिसियाई रेणुका ने आपत्ति जताई, लेकिन ठहाकों की गूंज में उनकी आपत्ति दब गई। मोदी की टिप्पणी पर किरेन रिजिजू द्वारा वीडियो पोस्ट किए जाने पर नाराजगी जताते हुए रेणुका चौधरी ने कहा, ‘‘यह आपत्तिजनक है। मैं विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाऊंगी।’’ इस तरह हंसी पर महाभारत ने गंभीर रूप ले लिया। यह इस बात का सबूत है कि हमारी संसद में हंसी-मजाक को हलके में नहीं लिया जाता इसलिए संसद में हास्य और मजाक कम होता जा रहा है।
भारतीय संसद हंगामे की वजह से खूब सुर्खियों में रहती है लेकिन ऐसे मौके कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं जब सदन में ठहाके गूंजते हैं। अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि संसद और विधानसभाओं से हास्य-विनोद गायब हो रहा है। लेकिन संसद  जाने वाले पत्रकार बताते हैं कि भारतीय संसद कई ऐसे मौकों की गवाह बनी है जब सांसदों ने खूब ठहाके लगाए।
तुमने मुझे मौका ही नहीं दिया
एक बार डॉ. राममनोहर लोहिया संसद में स्टालिन की बेटी स्वेतलाना को भारत में शरण दिए जाने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस सांसद तारकेश्वरी सिन्हा ने कहा, ‘‘लोहिया जी आप तो बैचलर हैं, आपने शादी नहीं की, आपको महिलाओं के बारे में क्या मालूम।’’ लोहिया जी तपाक से बोले, ‘‘तारकेश्वरी तुमने मौका ही कब दिया।’’
क्या जवाहरलाल नेहरू संभ्रांत वर्ग के थे? इस पर संसद में नेहरू के कट्टर आलोचक और समाजवादी नेता डॉ. लोहिया ने कहा, ‘‘नहीं, मैं साबित कर सकता हूं कि उनके दादा मुगल दरबार में चपरासी थे।’’ नेहरू ने इस पर जवाब दिया, ‘‘मैं खुश हूं कि आखिरकार माननीय सदस्य ने उस बात को मान ही लिया जो मैं उनको कई बरसों से समझाने की कोशिश कर रहा था कि मैं जनता का आदमी हूं।’’
मेरा सिर भी काट कर दे देंगे?
भारत-चीन युद्ध के बाद नेहरू  ने अक्साईचिन को लेकर संसद में कहा, ‘‘नॉट ए ब्लेड आॅफ ए ग्रास ग्रोज देयर’’ यानी वहां तो घास की एक पत्ती भी नहीं उगती। महावीर त्यागी, जो गंजे थे, ने कहा, ‘‘मेरे सिर पर एक भी बाल नहीं है तो इसका मतलब क्या यह है कि आप मेरा सिर काटकर चीनियों को दे देंगे।’’
पत्नी को प्रिय कांग्रेस
आचार्य कृपलानी संसद में कांग्रेस की आलोचना कर रहे थे। उनकी पत्नी कांग्रेस की नेता थीं। एक सदस्य ने खड़े होकर कहा कि आप ऐसी पार्टी की आलोचना कर रहे हैं जो आपकी पत्नी को प्रिय है। कृपलानी जी तपाक् से बोले, ‘‘अभी तक मैं समझता था कि कांग्रेस के लोग बेवकूफ हैं, लेकिन अब मुझे पता चला कि वे बेवकूफ ही नहीं गुंडे भी हैं, जो दूसरों की पत्नी को भगा कर ले जाते हैं।’’
पीलू मोदी ने खूब हंसाया
70  के दशक में पीलू मोदी ने भारतीय संसद को जितना हंसाया है उतना शायद किसी ने नहीं। पीलू मोदी उदारवादी चिंतक और उदारवाद की हिमायती स्वतंत्र पार्टी के नेता थे। वह शरीर से भारी भरकम थे और बहुत खुशमिजाज और हंसोड़ थे। सांसदों ने भीम क्लब बना रखा था, जिसके अध्यक्ष पीलू मोदी थे। एक बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मोदी से पूछा, ‘‘आपके भीम क्लब की क्या प्रगति है?’’ इस पर पीलू ने कहा, ‘‘आपकी पार्टी ने दुबले-पतले और भूखे लोगों को टिकट देकर मेरे क्लब को खत्म करवा दिया है।’’
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद प्याज की कीमत बढ़ी तो प्रतिपक्ष के एक सांसद रामेश्वर सिंह एक दिन प्याज की माला पहन कर सदन में चले गए। वे माला सदस्यों को दिखाकर उनका ध्यान आकर्षित करने लगे। ़इस पर कांग्रेस के एक सदस्य ने रामेश्वर को अपना जूता निकाल कर दिखाना शुरू कर दिया। इस पर पीलू ने कहा, ‘‘अध्यक्ष महोदय देखिए, प्याज खाने वाला प्याज दिखा रहा है और जूता खाने वाला जूता दिखा रहा है।’’
एक बार पीलू मोदी पर लोकसभा अध्यक्ष के अनादर का मामला चला कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष की तरफ पीठ फेर दी थी। शारीरिक रूप से भारी-भरकम मोदी ने अपना बचाव कुछ यूं किया, ‘‘महोदय, मेरा न तो आगा है न पीछा। मैं बस गोल मटोल हूं।’’
कभी महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले थे और संसद में महाराष्टÑ के भ्रष्टाचार की चर्चा चल रही थी। उस समय पीलू मोदी ने अपने शायराना अंदाज में ये पंक्तियां सुनार्इं, जो लोगों की जुबान पर चढ़ गर्इं, ‘‘इधर से ले या उधर से ले, जिधर से मिले उधर से ले, अब्दुल रहमान अंतुले।’’
मैं सीआईए का एजेंट हूं
पीलू मोदी अपने विचारों से उदारवादी और अमेरिकी व्यवस्था के से सहानुभूति रखने वाले थे। कांग्रेस अक्सर उन पर वाशिंग्टन भक्त होने का आरोप लगाती थी। एक बार वे एक तख्ती लटकाए सदन में आए, जिस पर लिखा था, ‘‘मैं सीआईए का एजेंट हूं।’’अध्यक्ष ने उन्हें तख्ती उतारने का आदेश दिया। उन्होंने यह कहते हुए तख्ती उतार दी, ‘‘अब मैं सीआईए का एजेंट नहीं रहा।’’
एक बार एक सांसद जेसी जैन ने पीलू मोदी को तंग करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। वे कांग्रेस के बहुत बड़बोले सदस्य थे। वे लगातार पीलू मोदी से छेड़खानी करते रहे। पीलू मोदी को गुस्सा आ गया। वे चिल्लाए, ‘‘भौंकना बंद करो।’’ इस पर जैन खड़े हो गए और अध्यक्ष को संबोधित करते हुए बोले, ‘‘महोदय यह मुझे कुत्ता कह रहा है जो असंसदीय भाषा है।’’ अध्यक्ष हिदायतुल्ला ने रजामंदी जाहिर करते हुए हुक्म दिया, ‘‘यह रिकॉर्ड में नहीं जाएगा।’’ पर पीलू मोदी ने भी नहीं मानी। उन्होंने प्रति उत्तर दिया,  ‘‘ठीक है फिर रेंकना बंद करो।’’ जैन के नहीं मालूम था कि इस शब्द का निहितार्थ क्या था। वह रिकॉर्ड में आ गया।
जब भारत ने अपना पहला उपग्रह छोड़ा तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वैज्ञानिकों को बधाई देने के लिए सांसदों ने भाषण दिए। पीलू मोदी ने भी दोनों को भरपूर बधाई दी। उसके बाद श्रीमती गांधी की ओर घूम कर कहा, ‘‘मैडम प्राइम मिनिस्टर, हमारे वैज्ञानिकों ने तकनीक के क्षेत्र में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। यदि आप इस बात पर प्रकाश डालें कि हमारे फोन क्यों नहीं काम करते तो मैं बड़ा एहसान मानूंगा।’’
पत्रकार विजय सांघवी कहते हैं, ‘‘पीलू मोदी की विनोदप्रियता का मतलब ये नहीं लगाया जाना चाहिए कि उनमें गांभीर्य नहीं था। मेरी नजर में वे बहुत जिंदादिल इंसान थे।’’ जब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने एक बार उनके मुंह पर ही कह दिया, ‘‘आपके लिए तो हिंदुस्थान झांसी तक है। इसके आगे तो आपको पता ही नहीं है।’’ राजनीतिक रूप से इंदिरा गांधी के विरोधी होते हुए भी व्यक्तिगत तौर पर दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे। विजय सांघवी कहते हैं, ‘‘इंदिरा और पीलू बहुत अच्छे मित्र थे।  इंदिरा गांधी संसद में दिए गए पीलू मोदी के किसी भी भाषण को छोड़ती नहीं थीं। भाषण सुनने के बाद वे अकसर पीलू को अपने हाथ से चिट्ठी लिख कर कहती थीं कि तुमने बहुत अच्छा बोला।’’ पीलू मोदी उसका जवाब भी देते थे और चिट्ठी के अंत में लिखते थे- पीएम। एक बार दोनों के बीच नोकझोंक चल रही थी। पीलू ने कहा, ‘‘आई एम ए परमानेंट पीएम, यू आर ओनली टेंपेरेरी पीएम।’’ इस पर इंदिरा गांधी हंसने लगीं। पीलू मोदी ने कहा पीएम का मतलब है पीलू मोदी।  
एक बार संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्टÑपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान को भी लपेटे में ले लिया। सदन में पीएम मोदी अपने ही अंदाज में विपक्ष के आरोपों का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कांग्रेस राज में देश की चरमराई अर्थव्यवस्था के बारे में बताया। इसके लिए उन्होंने चार्वाक के कथन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वे कहते थे, यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा घृतं पीवेत। यानी जब तक जिओ सुख से जिओ, उधार लो और घी पिओ।’’
इसके बाद उन्होंने भगवंत मान पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘उस जमाने में उधार लेकर घी पीने का दौर था, इसलिए घी कहा। भगवंत मान रहते तो कुछ और पीने के लिए कहते।’’ पीएम का इतना कहना भर था कि पूरे सदन में जोरदार ठहाके लगने लगे।  वहीं भगवंत मान पीएम की इस बात पर भड़क गए। भगवंत मान पीकर संसद में आने के कारण चर्चित रहे हैं।   

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