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भीम और मीम की एकता का दम भरने वाले मेवात के मामले पर मौन हैं क्योंकि अनुसूचित जातियों का साथ उन्हें सिर्फ राजनीति के लिए चाहिए, वरना लक्ष्य तो हिन्दुओं को बांटना या कन्वर्ट करना है
अरुण कुमार सिंह, मेवात से लौटकर
हरियाणा का मुस्लिम-बहुल क्षेत्र मेवात इन दिनों फिर से सुर्खियों में है। मुसलमान बनने से मना करने पर अनुसूचित जाति (दलित) के कुछ पुरुषों और महिलाओं को बुरी तरह मारा-पीटा गया, जाति-सूचक शब्दों के जरिए अपमानित किया गया और गालियां दी गर्इं। यही नहीं, उन्हें धमकी दी गई कि ‘यदि मुसलमान नहीं बनते तो गांव छोड़कर और कहीं चले जाओ।’
यह घटना घटी 15 जनवरी को मोहलाका गांव में, जो नगीना थाने के तहत पड़ता है। इस मामले की शिकायत उसी दिन नगीना थाने में दर्ज कराई गई। अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम 1989 के अंतर्गत दर्ज इस शिकायत (एफआईआर सं.-0006) में इस्लाम, तारिफ, मौसिम और असमीना को आरोपी बनाया गया है। इन सब पर भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 323, 452 और 506 के तहत अनेक आरोप लगाए गए हैं। फिरोजपुर झिरका के पुलिस उपाधीक्षक (एस.एस.पी) संजीव बल्हारा ने बताया कि तीन आरोपी पकड़े जा चुके हैं और शेष को भी पकड़ने की कोशिश हो रही है।
देश की राजधानी दिल्ली से इस गांव की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है, लेकिन अभी तक पीड़ितों का हालचाल जानने के लिए कुछ सरकारी अधिकारियों को छोड़कर कोई नहीं पहुंचा। मेवात में गोरक्षा और शुद्धि आंदोलन चलाने वाले सुंदर मुनि कहते हैं, ‘‘वे लोग भी नहीं, जो रोहित वेमुला (जिसने आत्महत्या कर ली थी) की फोटो सीने से चिपकाकर पूरे भारत में कहते फिर रहे हैं, ‘‘दलितों पर अत्याचार बढ़ गए हैं।’’ वे भी नहीं गए, जो दलित-मुस्लिम एकता के लिए आतंकवादियों के समर्थकों को साथ लेकर देशभर में घूम रहे हैं। वे ‘खोजी’ पत्रकार भी नहीं गए, जो दादरी के अखलाक और पलवल के जुनैद की हत्या के समय वहीं डेरा डाले बैैठे थे। वे सेकुलर भी नहीं गए, जो किसी खबर की तह में जाए बिना हिंदुओं को कठघरे में खड़ा करने में तनिक भी देर नहीं करते। वे बुद्धिजीवी भी नहीं गए, जो कथित असहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार लौटाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वे नेता भी नहीं गए, जो इस समाज के नाम पर अपनी राजनीति चमकाते हैं। ऐसा शायद इसलिए हुआ, क्योंकि मुजरिम मुसलमान हैं और पीड़ित हिंदू। इसके उलट यदि पीड़ित मुसलमान होते तो ये लोग अब तक न जाने कितनी बार वहां हो आते और यह भी कहने से नहीं चूकते, ‘‘मोदी राज में मुसलमानों पर जुल्म ढाया जा रहा है, देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं…’’
धर्मरक्षा मंच, नूंह के अध्यक्ष टेकचंद ने बताया, ‘‘मेवात के गांवों में जो थोड़े-बहुत हिंदू बचे हैं, वे ज्यादातर अनुसूचित जाति के हैं। लव जिहाद के निशाने पर इसी वर्ग की कोई लड़की होती है। चाहे जाति के नाम पर किसी को प्रताड़ित किया जा रहा हो, वह भी इसी वर्ग का होता है। चाहे किसी निर्वाचित सरपंच से डरा-धमकाकर कोई गलत कार्य करवाया जाता हो, वह भी इसी वर्ग का होता है। हिंदू के नाते जीने की सजा भी ज्यादातर इसी वर्ग को मिल रही है। लेकिन इस वर्ग के नेता इनके दर्द को समझने की जरूरत महसूस नहीं कर रहे। मुसलमान नहीं बनने पर मोहलाका गांव के श्रीकिशन और उनके परिवार के साथ जो हुआ, वह सवाल खड़ा करता है कि क्या इस देश में एक हिंदू के नाते जीना अपराध है? यदि नहीं तो इस घटना की गूंज देश के अन्य हिस्सों में क्यों नहीं सुनाई दे रही है?’’
दुर्व्यवहार के शिकार श्रीकिशन कहते हैं, ‘‘मेरे पड़ोसी इस्लाम ने मेरा जीना हराम कर रखा है। वह जब भी सामने आता है, जाति-सूचक शब्दों से अपमानित करता है। एक दिन उसने हद पार करते हुए कहा, तुम मुसलमान बन जाओ, तभी यहां रहने देंगे। मैंने मुसलमान बनने से मना कर दिया। इसके बाद तो वह मुझे बुरी तरह परेशान करने लगा।’’
मोहलाका गांव की आबादी लगभग 3,000 है। इनमें से केवल 40-50 हिंदू हैं, बाकी मुसलमान। श्रीकिशन पुश्तों से इस गांव में रहते हैं, गरीब हैं। मेहनत-मजदूरी करके गुजारा करते हैं। उनके चार लड़के और दो बेटियां हैं। करीब सात साल पहले बी.पी.एल. कोटे से गांव में ही उन्हें एक भूखंड मिला है। उसी में उन्होंने किसी तरह एक छोटा-सा घर बनाया है।
अनेक हिंदुओं ने बताया कि मुस्लिम दबंग एक साजिश के तहत काम करते हैं और वे हिंदुओं को प्रताड़ित करने का कोई मौका नहीं चूकते। इसलिए हिंदू दहशत में रहते हैं। हिंदुओं ने यह भी कहा कि पुलिस भी उनकी नहीं सुनती है, लेकिन एस.एस.पी. संजीव बल्हारा कहते हैं, ‘‘शिकायत आने पर पुलिस कार्रवाई जरूर करती है। लोग पुलिस पर भरोसा रखें।’’ हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद पुलिस कुछ हरकत में आई लगती है। लेकिन मेवात में जो भी हिंदू मिला उसने यही कहा कि हम लोग कैसे रहते हैं, यह बताना भी खतरे से खाली नहीं है। बता दें कि मीडिया में कोई खबर छपवाने पर वहां के हिंदुओं को मारा-पीटा जाता है। उल्लेखनीय है कि 25 नवंबर, 2012 के पाञ्चजन्य में ‘मेवात को पाकिस्तान बनने से बचाओ’ शीर्षक से एक बड़ी रपट छपी थी। उस समय जिन लोगों ने अपनी व्यथा बताई थी उनमें से कुछ लोगों के साथ अभद्र व्यवहार हुआ था।
मेवात में लगभग 400 गांव हैं। कभी इन गांवों में हिंदुओं की अच्छी-खासी संख्या थी। आज लगभग 50 गांव हिंदू-विहीन हो चुके हैं। शेष गांवों में हिंदू हैं भी तो न के बराबर। हर गांव में हिंदुओं के लगभग सात-आठ घर ही बचे हैं। वे भी अनुसूचित जाति के हैं। ये लोग भी विकल्प के अभाव में वहां रह रहे हैं। जो लोग कहीं जाकर बसने की स्थिति में थे, वे मेवात छोड़ चुके हैं। हां, मेवात के कस्बों (नंूह, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, पिन्गवां, नगीना) में अभी भी हिंदू हैं, लेकिन उनके लिए भी माहौल ठीक नहीं रहता है।
और स्थानों की तरह मेवात की कुछ पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। इसलिए इन पंचायतों के सरपंच अनुसूचित जाति के हैं। पर इस वर्ग का कोई भी सरपंच अपने मन से काम नहीं करवा सकता। गांव के लोग दबाव के जरिए इन सरपंचों से बिना परियोजना वाले काम करवा लेते हैं। बाद में जब जांच होती है तो बेचारे ये सरपंच फंस जाते हैं। नगीना प्रखंड की जलालपुर-फिरोजपुर पंचायत के सरपंच महेंद्र कहते हैं, ‘‘प्रशासन भी हमारी नहीं सुनता। 28 अप्रैल, 2017 की रात को मैं मरोड़ा से घर वापस आ रहा था। रास्ते में कुछ दबंगों ने मुझ पर हमला कर दिया। मैं किसी तरह भाग निकला। दूसरे दिन भी उन लोगों ने मुझे धमकी दी। मैंने थाने में शिकायत (एफआईआर सं.- 0099) दर्ज कराई, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।’’
ग्राम पंचायत जेमरावट के सरपंच सुभाष के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। उन्होंने बताया, ‘‘एक राशन दुकानदार के विरुद्ध मुझे शिकायत मिली तो मैंने नूंह के उच्च अधिकारियों को बताया। इसके बाद मामले की जांच हुई। जांच से बौखलाकर उस दुकानदार ने मुझे मारा और जाति-सूचक गालियां दीं। बाद में गांव के लोगों ने मामले को रफा-दफा कराने के लिए दबाव डाला। दबाव के सामने मैं झुक गया और समझौता कर लिया, लेकिन वे लोग मुकर गए और मेरे विरुद्ध झूठा मामला दायर कर दिया। ऐसा सभी हिंदू सरपंचों के साथ होता है।’’
राष्टÑीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया भी मेवात के हालात को लेकर चितिंत हैं। वे कहते हैं, ‘‘आयोग ने मेवात की घटना को गंभीरता से लिया है। पूरी जानकारी लेने के लिए आयोग के निदेशक वहां गए थे। चूंकि मामला गंभीर है इसलिए मैं खुद 2 फरवरी को वहां के पीड़ितों से मिलने वाला हूं। दोषियों के विरुद्ध कानून के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए।’’
जो लोग खुद को अनुसूचित जाति का नेता या मसीहा मानते हैं, उन्हें एक बार मेवात जाकर यह देखना चाहिए कि वहां उनकी क्या स्थिति है। हत्या, लड़कियों या महिलाओं का अपहरण, उनके साथ दुर्व्यवहार आम बात है। कुछ ही अरसे में अनुसूचित जाति की अनेक लड़कियों का अपहरण हुआ या फिर अनेक लड़कों को मुसलमान बनाया गया।
कई हत्या हो चुकी हैं। हालिया घटना तो 14 जनवरी की है। इस दिन पिन्गवां में रहने वाले अनुसूचित जाति के परिवार के कमल की हत्या हुई। उनकी लाश एक तालाब से मिली। पर पुलिस ने दुर्घटना मानकर लाश को परिजनों के हवाले कर दिया और उसका अंतिम संस्कार भी हो गया। दो-चार दिन बाद मामले ने उस वक्त एक नया मोड़ ले लिया जब कमल का मोबाइल उनके भाई महावीर के पास पहुंचाने की कोशिश हुई। महावीर ने बताया, ‘‘इमरान नामक एक युवक भाई का मोबाइल लेकर आया और कहा कि उस दिन कमल कुछ देर के लिए मेरे साथ था। इसलिए उसका मोबाइल मेरे पास रह गया। तुम ले लो, लेकिन मैंने मोबाइल लिया नहीं।’’ वे कहते हैं, ‘‘दरअसल, पहले मेरे भाई के साथ लूट हुई और फिर हत्या। इमरान ने छीना गया मोबाइल एक साहूकार के पास गिरवी रख दिया था। जब साहूकार को किसी तरह असलियत पता चली तो उसने इमरान को मोबाइल वापस कर दिया। अब इमरान को डर लगने लगा कि वह फंस न जाए इसलिए उसने मोबाइल वापस करने का विचार किया।’’ महावीर यह भी कहते हैं कि इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। मेवात के हालात पर पिन्गवां के सामाजिक कार्यकर्ता जसवंत गोयल की टिप्पणी गौर करने लायक है। वे कहते हैं, ‘‘हिंदुओं की धार्मिक संपत्तियां, जैसे- मंदिर, धर्मशाला, होलिका दहन स्थल, चौपाल, श्मशान भूमि आदि पर कब्जा करके उन्हें मेवात से पलायन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मेवात अपराध के लिए भी बदनाम हो चुका है। इस कारण यहां रह रहे हिंदुओं के बच्चों के रिश्ते भी नहीं होते। इसी वजह से लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।’’ गोयल कहते हैं, ‘‘मेवात में सोने की नकली र्इंट और आॅन लाइन खरीद-बिक्री करने वाली कंपनी ओएलेक्स के जरिए कारों की बिक्री के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। जो लोग इनके झांसे में आ जाते हैं, और पैसा लेकर यहां पहुंच जाते हैं उन्हें लूट लिया जाता है।’’
मेवात आतंकवादियों के लिए भी ‘जन्नत’ बन चुका है। पिछले दिनों वहां कई आतंकवादी पकड़े भी गए हैं। कुछ शरारती तत्व उन्हें संरक्षण देते हैं। सरकार समय रहते मेवात की खबर ले, अन्यथा यह नासूर बन सकता है।
जहर घोलती जमात
आप चाहें तो पूरे मेवात में कट्टरवादी गंध महसूस कर सकते हैं। तब्लीगी जमात से जुड़े कुछ कट्टरवादियों ने वहां की वर्षों पुरानी मिली-जुली संस्कृति को लगभग खत्म कर दिया है। हरियाणा हज कमेटी के अध्यक्ष और पुन्हाना के पास बिरसा गांव के रहने वाले चौधरी औरंगजेब कहते हैं, ‘‘तब्लीगी जमात का काम है लोगों को सही राह पर चलने की सीख देना, बुराई से दूर करना, खून-खराबे से रोकना, एक नेक इंसान बनने के लिए प्रेरित करना आदि। लेकिन जमात की आड़ में कुछ कठमुल्ले लोगों को भड़का रहे हैं।’’ वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने यह भी बताया, ‘‘इन मौलानाओं के इशारे पर ही मेवात में दिन-रात मस्जिद और मदरसे बन रहे हैं। इसके लिए बाहर से पैसा तो आता ही है, साथ ही आने-जाने वाली गाड़ियों को रोककर उनसे वसूली की जाती है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि मेवात में कार्यरत बहुत सारे सरकारी शिक्षक भी तब्लीगी जमात के काम में लगे हैं। ऐसे शिक्षकों की जांच होनी चाहिए।
अपनों को भगाया, परायों को बसाया
एक ओर तो पुश्तों से मेवात में रह रहे हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है, वहीं घुसपैठिए रोहिंग्या मुसलमानों को मेवात के अनेक स्थानों पर बसाया जा रहा है। पुन्हाना, नूंह जैसे अनेक कस्बों में रोहिंग्या मुसलमान बसाए जा चुके हैं। इसमें स्थानीय मुसलमानों की बड़ी भूमिका है। पुन्हाना में रोहिंग्या मुसलमानों के 16 परिवार रह रहे हैं। इन लोगों को झुग्गी डालने के लिए पुन्हाना के ही हाजी इस्माइल ने जमीन दी है। इनके बच्चों को तालिम दिलाने के लिए मदरसा भी बनाया गया है। यही नहीं, रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसाने के लिए मेवात में प्रदर्शन भी हो चुके हैं, लेकिन यही लोग जब हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार होता है तो पूरी तरह चुप्पी साध लेते हैं।
मेवात के हिंदुओं के साथ हो रही ज्यादती की जांच करायी जाए और जो भी दोषी हो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो। इस पर किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए।
—भानीराम मंगला
मेवात निवासी और हरियाणा गोसेवा आयोग के अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश के एक मौलाना तो यहां तक कहते हैं कि ऐ मुसलमानो! तुम लोग अपने दीन के लिए काम करो और किसी गैर-मुसलमान को मुसलमान बनाओ। तुम्हें जन्नत मिलेगी। अफसोस की बात है कि उनकी इस तहरीर का असर मेवात में भी दिखता है।
—औरंगजेब, अध्यक्ष, हरियाणा हज कमेटी
गांव के लोग कहते हैं, दलित होकर सरपंची करते हो, पैसे दो। नहीं देने पर गाली-गलौज और मारपीट करते हैं। मैं अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर पाता। मजबूरी में सही-गलत काम करना पड़ता है।
—महेंद्र, सरपंच, जलालपुर-फिरोजपुर पंचायत
एक राशन दुकानदार के विरुद्ध मुझे शिकायत मिली तो मैंने नूंह में उच्च अधिकारियों को बताया। इसके बाद मामले की जांच हुई। जांच से बौखलाकर उस दुकानदार ने मुझे मारा और जाति-सूचक गालियां दीं।
—सुभाष, सरपंच, जेमरावट पंचायत
मेवात में कन्वर्जन, गोहत्या और लव जिहाद जारी है। आठ-नौ बच्चों के मुसलमान बाप घर में अनेक बीवियों के रहने के बावजूद कुंवारी हिंदू लड़कियों को झांसा देकर फंसा लेते हैं और उनका जीवन तबाह कर देते हैं।
—जसवंत गोयल
सामाजिक कार्यकर्ता
जो लोग संख्या बल या भय दिखाकर दलितों का कन्वर्जन करना चाहते हैं, उनके खिलाफ पूरी कठोरता और निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करने की जरूरत है।
—डॉ. रामशंकर कठेरिया
अध्यक्ष, राष्टÑीय अनुसूचित जाति आयोग
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