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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में प्रभु जी की रसोई केवल गरीबों को नि:शुल्क भोजन ही उपलब्ध नहीं करा रही हेै , बल्कि जातिगत और मजहबी भेदभाव मिटाकर लोगों को साफ-सफाई के साथ प्रेम का संदेश भी दे रही है
हर भूखे व्यक्ति को कम से कम एक वक्त का खाना अवश्य मिले और कोई गरीब जूठन खाने को विवश न हो, इस विचार को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समृद्घ और धर्मपरायण शहर सहारनपुर में कुछ समाजसेवियों ने ‘प्रभुजी की रसोई’ की शुरुआत की है।
सहारनपुर के ऐतिहासिक गांधी पार्क स्थित ‘प्रभु जी की रसोई’ में प्रतिदिन 400 से 500 लोग नि:शुल्क भोजन करते हैं। देश में अपनी तरह की यह एक अनूठी और प्रेरणादायी पहल है। खास बात यह है कि रसोई स्वच्छता और प्रेम का संदेश भी देती है। प्रभु जी की रसोई का प्रबंधन लोक कल्याण समिति देखती है। इसके सचिव शीतल टंडन ने बताया कि इस रसोई में प्रतिदिन भोजन करने आने वालों को स्वच्छता का महत्व समझाया जाता है और खासतौर से उन्हें साफ-सुथरा रहने और साफ-सफाई का ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। लोगों पर इस नसीहत का असर भी दिख रहा है। प्रभु जी की रसोई का विचार सहारनपुर के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल का है।
दीपक अग्रवाल बताते हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को भीख मांगते हुए और जूठन खाते हुए देखकर उनके मन में प्रभु जी की रसोई शुरू करने का विचार आया। उन्होंने बताया कि समाज में अभी भी ऐसे गरीब और मजबूर लोग हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी उपलबध नहीं होता। हमारे ऋषि-मुनियों ने सदैव यही सीख दी है कि हमारे पर जो कुछ भी है, वह ईश्वर की कृपा से है और उस पर सभी का अधिकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी यही सोच है कि भारत में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। अग्रवाल कहते हैं, ‘‘मेरा मानना है कि साधन संपन्न लोगों की सहायता से ऐसी कोई पहल की जाए, जिससे गरीब और लाचार लोगों को एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जा सके।’’ इस विचार को क्रियान्वित करने के लिए उन्होंने शहर के प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं व्यापारी संगठनों के प्रमुख लोगों के समक्ष प्रभु जी की रसोई की रूपरेखा रखी और उनकी मदद से इसे मूर्त रूप दिया।
उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर में भी आपकी रसोई नाम से इस तरह की शुरुआत की गई है। उद्यमी एवं पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल इसका प्रबंध देखते हैं। दीपक अग्रवाल चाहते हैं कि विभिन्न सामाजिक संगठन गरीब एवं असहाय लोगों को एक वक्त का भोजन उपलब्ध कराने का संकल्प लें और अलग-अलग जगहों पर इस तरह की रसोई का आयोजन करे। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद दीपक न केवल रसोई के कामकाज पर नजर रखते हैं, बल्कि लोगों से मिलते-जुलते हैं और गरीबों के साथ बैठकर भोजन भी करते हैं। साथ ही, रसोई में मैले-कुचैले कपड़ों में आने वाले लोगों को साफ-सफाई का पाठ पढ़ाते हैं। शीतल टंडन ने बताया कि समिति की ओर से जरूरतमंद लोगों को कपड़े एवं अन्य वस्तुएं भी दी जाती हैं। हाल ही में सामाजिक संस्था आकांक्षा की ओर से 300 गरीबों को गर्म कपड़े उपलब्ध करवाए गए।
पिछले साल 9 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ पर सहारनपुर जिले के प्रभारी एवं प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रभु जी की रसोई का उद्घाटन किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस रसोई की सराहना कर चुके हैं। प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना भी इस रसोई का अवलोकन कर चुके हैं।
प्रभु जी की रसोई के लिए नए बर्तन और जरूरी सामान की व्यवस्था सहारनपुर के बडेÞ उद्यमी एवं प्रमुख समाजसेवी सुभाष अग्रवाल ने की, जबकि क्षेत्र के अन्य लोग घी, तेल के साथ प्रचुर मात्रा में अनाज दे रहे हैं। प्रारंभ में रसोई में 300-350 लोग आते थे। रसोई की लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ भोजन करने आने वालों की संख्या भी बढ़कर 400 से 500 तक पहुंच गई है। रसोई में स्टोर की जिम्मेदारी संभाल रहे पंकज गर्ग कहते हैं, ‘‘अगर रसोई में कभी कम लोग आते हैं तो बचा हुआ भोजन निकट के रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड ले जाकर वहां जरूरत मंदों में बांट दिया जाता है। रसोई का काम सुचारु रूप से चलता रहे, इसके लिए खाद्य सामग्री का 15 दिन का भंडारण सुनिश्चित किया जाता है।’’ उन्होंने बताया कि उनकी लड़ाई भूख के खिलाफ है और इसे पूरी ताकत के साथ जारी रखा जाएगा। यहां भोजन का मीनू बदलता रहता है। रसोई में आलू-पूरी, कचौड़ी, ताहरी, तंदूरी रोटी, राजमा-चावल, कढ़ी-चावल आदि बनते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि भोजन की गुणवत्ता का खास ख्याल रखा जाता है। रसोई में बिजली, पानी और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम उठा रहा है। ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के उद्घोष के साथ भोजन कराने की प्रक्रिया शुरू होती है और दोपहर में 12 से 3 बजे तक सभी जातियों तथा धर्म- मजहब के लोग साथ बैठकर प्रेमपूर्वक भोजन करते हैं।
दीपक अग्रवाल कहते हैं कि यह अभियान भूख के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन बनेगा। आगे चलकर दूसरे शहरों की सामाजिक संस्थाएं भी इस ओर ध्यान देंगी। प्रबंध समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी प्रमोद कुमार पांडेय हैं, जबकि समिति के संयोजक सहारनपुर के सिटी मजिस्ट्रेट राजेश सिंह और सचिव शीतल टंडन है। इस समिति में सभी प्रमुख अधिकारी शामिल हैं। लेकिन रोजमर्रा की वस्तुओं की व्यवस्था एवं देखभाल शीतल टंडन करते हैं।
महापौर संजीव वालिया और नगरायुक्त गौरव वर्मा भी मार्गदर्शन करते हैं। पिछले करीब छह महीने में यह अभिनव प्रयोग आशा के अनुरूप सफल होता दिख रहा है और दिनोंदिन लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। इस रसोई को और बेहतर किए जाने के प्रयास जारी हैं।
प्रस्तुति : सुरेन्द्र सिंघल
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