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कुरीतियों से लड़ें मुस्लिम महिलाएं

by
Jan 1, 2018, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Jan 2018 11:10:10

26 नवंबर, 2017  
मुस्लिम समाज की लड़कियों के शोषण पर देश के सेकुलर और तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग की खामोशी को क्या समझा जाए? दादरी कांड और अखलाक पर आकाश-पाताल एक करने वाले वामपंथी, सेकुलर दल और उनके स्वयंभू नेता इस मुद्दे पर मौन हैं। अरब देशों के कामुक शेखों द्वारा मासूम लड़कियों के देह शोषण और मानसिक वेदना के विरुद्ध आवाज उठाने वाला कोई है या नहीं? देश-दुनिया बदल रही है। ऐसे में ‘अरबी निकाह’ जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए मुस्लिम समाज की महिलाओं को ही आगेआना होगा।  
—मनोहर ‘मंजुल’, प. निमाड़ (म.प्र.)

आवरण कथा ‘बे-ईमान’ (26 नवंबर, 2017) पढ़ी। पुराने हैदराबाद में मुस्लिम आबादी अधिक है और अधिकांश बेहद गरीब हैं। इस इलाके में दशकों से निकाह के नाम पर कम उम्र लड़कियों से देह व्यापार करवाया जाता है। अरब देशों के रईस कठमुल्लाओं को इसके लिए मोटी रकम देते हैं। सुधारवादी मुसलमानों को ‘अरबी निकाह’ के नाम पर इस बर्बर और घृणित चलन को हमेशा के लिए खत्म करने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
     —दया वरधानी, सिकंदराबाद (तेलंगाना)

13 साल बाद एशिया कप जीतकर लौटी भारतीय महिला हॉकी टीम को सलाम! नारी शक्ति किसी से कम नहीं है। वह अपने दम पर आगे बढ़ रही है। अभी तक हम क्रिकेट में ही अव्वल थे, लेकिन अपने सशक्त प्रदर्शन से महिलाओं ने खेल के हर क्षेत्र में भारत का नाम ऊंचा किया है।
—हरिहर सिंह चौहान, इन्दौर (म.प्र.)

हिन्दुओं के साथ भेदभाव क्यों?
आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, ऐसा राग वर्ग विशेष के साथ छिटपुट घटना के बाद अलापा जाता है। किंतु कश्मीर, केरल व म्यांमार में हिंदुओं पर अमानवीय अत्याचार मानवाधिकार के झंडाबरदारों व झूठे सेकुलरिस्टों के लिए महत्वहीन हो जाते है। देश में रोहिंग्या मुसलमानों को मानवीय आधार पर शरण देने की मांग उठती है, पर रखाइन प्रांत में हिंदुओं की सामूहिक हत्या पर इनकी संवेदना गायब हो जाती है। फिर म्यांमार से पलायन करने वाले हिंदुओं के साथ बांग्लादेश में भेदभाव क्यों हो रहा है।
– रमेश कुमार मिश्र, अंबेडकरनगर (उ.प्र.)

हिन्दू बहुल राष्ट्र में प. बंगाल, केरल और जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की बर्बरतापूर्वक हत्याएं की जा रही हैं। लेकिन मीडिया को जेएनयू के कन्हैया और रोहिंग्या मुसलमानों की ही चिंता है, न कि करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों और जम्मू-कश्मीर के लाखों विस्थापित हिंदुओं की। तथाकथित अवार्ड वापसी गैंग को भी सांप सूंघ गया है।  
—चेतनपुरी गोस्वामी, उज्जैन (म.प्र.)

हरियाणा में पग-पग पर तीर्थ
हरियाणा स्थापना दिवस पर विशेष अंक ‘धर्मक्षेत्रे’ (5 नवंबर, 2017) पढ़कर खुशी हुई। हरियाणा वह धरती है, जहां पग-पग पर तीर्थ हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से यह एक समृद्ध प्रदेश है। यहां हरे-भरे लहलहाते खेत हैं, तो यह रणबांकुरों की भी भूमि है। यह प्रदेश खेल के क्षेत्र में भी तेजी से विकसित हुआ है।
—कृष्ण वोहरा, सिरसा (हरियाणा)

कांग्रेस की दुर्दशा का एक बड़ा कारण यह है कि इसमें सही बात कहने वालों का अभाव है। वास्तव में देखा जाए तो कांग्रेस को रसातल में धकेलने में जितना हाथ शीर्ष नेतृत्व का है, उतना ही मणिशंकर अय्यर जैसे पुराने नेताओं का भी है जो सही बात कहने और उस पर टिके रहने का साहस खो चुके हैं।
                  —अरुण मित्र, रामनगर (दिल्ली)

विकृत मानसिकता वाले इतिहासकार
‘पाखंडी विद्वान भी होते हैं’ (8 अक्तूबर, 2017) लेख पढ़कर महसूस हुआ कि किस तरह विकृत मानसिकता एवं अधकचरे ज्ञान वाले वामपंथी इतिहासकारों को जबरन पाठ्यपुस्तकों में थोपा गया है। इनके लिए रामचरितमानस काल्पनिक ग्रंथ है। ये वही हैं, जिनके लिए औरंगजेब फकीर और संत था, प्रथम हिन्दू साम्राज्य निर्माता छत्रपति शिवाजी सिर्फ एक ‘डाकू’ और   ‘पहाड़ी चूहा’ थे। शिक्षा का अर्थ अगर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर भ्रामक तथ्य पेश करने वाले लोगों के लिखे लेख पढ़ने से है तो ऐसी शिक्षा किस काम की।
    —अमित प्रधान, सीधी (म.प्र.)

 राहुल गांधी को अचानक कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाना मात्र एक ड्रामा है। कांग्रेस ही नहीं, देश के 90 प्रतिशत राजनीतिक दल एक व्यक्ति या एक परिवार द्वारा संचालित हैं। आश्चर्य है कि कार्यकर्ता इसका विरोध नहीं करते। देश में राजनीतिक शिक्षण की प्रक्रिया बंद हो चुकी है और इन्हीं वजहों से आम युवा राजनीति में रुचि नहीं लेते।
—विमल नारायण खन्ना, कानपुर (उ.प्र.)

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