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केन्द्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा राज से किसानों और खेती की समस्याओं को लेकर हुई विशेष बातचीत के प्रमुख अंश
आजादी को 70 साल हो गए। किसानों की हालत कब सुधरेगी ?
किसानों की फसलों को मौसम से नुकसान होता रहा है। ऐसे में किसान के पास उपलब्ध पशुधन उसे सहारा देता है। किसान का पशुधन 30 प्रतिशत आय का स्रोत है। एक गरीब के लिए गाय और बकरी उसकी जीविका का प्रमुख स्रोत होती हैं। एक बच्चा जब पैदा होता है तब उसे गाय या बकरी का दूध पिलाया जाता है। उसको मदर मिल्क कहा जाता है। गाय के दूध के पोषक तत्वों के प्रति जागरूक करके हम उसको एवं पशुपालन को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर हर किसान के दरवाजे पर चार-छह पशु रहेंगे तो न तो उसको कर्ज के कारण संकट आएगा और न ही उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। यही हमारी खेती की परंपरा रही है। आजादी के बाद बीच के सालों में रासायनिक खादों के द्वारा हमारे खेत भी बंजर हुए। सिंचाई के साधन भी कम हुए। जलस्तर नीचे गया। उत्पादन बढ़ा तो वह भी कीटनाशकों के विषाणु लेकर आया।
दुखद है कि आज भी हमारे देश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसा क्यों?
यह सच में चिंता की बात है। देश की अर्थव्यवस्था में किसानों की आय कैसे दुगनी की जाये, इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्प से सिद्धि की ओर कदम बढ़ाए हैं। जो नीतियां बनी हैं, उनके द्वारा हम किसानों को लाभान्वित करेंगे। हम किसानों की आय को 2022 से पहले ही दुगनी करेंगे। कृषि उत्पादन में लगभग 67 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन होता है। 30 प्रतिशत के आस-पास पशुधन से उत्पादन होता है। पशुधन किसानों का स्थायी धन होता है। हम किसानों को कृषि उत्पादन के साथ ही पशुधन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसमें गोपालन, कुक्कुट पालन, बकरी पालन आदि शामिल हैं। इन सबको बढ़ाने पर प्रधानमंत्री जी का पूरा ध्यान है।
70 साल में हमने बिल्डर तैयार कर दिए। किसानों की जमीन अधिग्रहित कीं। लेकिन किसानों की हालत नहीं सुधरी।
निश्चित तौर पर यह बीते जमाने की बात है। अब नयी शुरुआत हो चुकी है। प्रधानमंत्री जी ने अधिकारियों, नेताओं एवं किसानों को संकल्प दिलाया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हुए किसान और देश की आय को दुगुना करने के लिए पूरी शिद्दत से काम करेंगे। किसान अपनी आय को कैसे दुगनी कर सकता है उसके लिए हमने अनेक सरकारी योजनाएं बनाई हैं। अभी तक कृषि रासायनिक खादों पर निर्भर रही है। अब हम जैविक खादों के द्वारा परंपरागत खेती के साथ परंपरागत फसलों को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
हरित क्रांति के दौर में रासायनिक खादों का चलन बढ़ा था। पर तब भी हमें अपनी परंपरागत खेती को नहीं भूलना चाहिए था। जैविक खेती और गो-आधारित खेती को हम भूल गये जिसकी वजह से आज हमें परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। फिर उसके बाद दुग्ध क्रान्ति आई। नील क्रान्ति आई। अब हमारी सरकार ‘स्वीट क्रान्ति’ (मधुमक्खी पालन) पर ध्यान दे रही है। अब मैं व्यक्तिगत तौर पर ‘ब्राउन क्रान्ति’ पर ध्यान देना चाहती हूं क्योंकि जब तक हम गाय के गोबर और गोमूत्र का सही प्रयोग नहीं करेंंगे, तब तक हम गो-संवर्धन नहीं कर पाएंगे।
इन क्रांतियों के माध्यम से किसानों के हालात कब तक सुधरेंगे?
2022 तक हमें किसानों की आय दुगुनी करनी है। ब्राउन क्रान्ति उसमें अहम योगदान देने जा रही है। इसके द्वारा हम नीचे जा रहे जल स्तर को भी नियंत्रित कर पायेंगे। रासायनिक खेती के स्थान पर जीरो बजट खेती को भी हम बढ़ावा देने जा रहे हैं। हम किसानों को जागरूक करेंगे और उसके लिए अनुकूल नीतियां भी बनाएंगे। बिचौलियों को खत्म करने के लिए नीतियां बन चुकी हैं। आने वाले समय में हमारे देश का किसान समृद्ध एवं खुशहाल हो, यही अब हमारा संकल्प है।
पशुपालन को प्रोत्साहन देकर क्या वे दिन लौटाए जा सकते हैं जब दूध और दही की नदियां बहती थी?
ऐसा बिल्कुल हो सकता है और यह होने जा रहा है। हमारा मंत्रालय और मैं व्यक्तिगत तौर पर इस पर काम कर रहे हैं कि ये जो पशु इधर-उधर घूमते हैं, उनको लोग खूंटे पर ले जाएं। अब से पहले जो सरकारें रहीं और उनसे जो काम नहीं हुए थे, उन पर मैं काम करना शुरू कर चुकी हूं। कोओपरेटिव सेक्टर कहीं दिखाई नहीं देता था, चाहे पराग हो, मदर इंडिया हो, अमूल डेयरी हो या नमस्ते इंडिया हो। मैंने इसकी शुरुआत कर दी है। जैसे, मैं उत्तर प्रदेश से आती हूं तो वहां कानपुर मण्डल में 31 मार्च तक 600 बीएमसी लगेंगी। किसान के दूध की गुणवत्ता (जिसे आम भाषा में फैट कहा जाता है) का वहीं आकलन होगा। उसे कम्प्यूटराइज्ड पर्ची मिलेगी। वहीं उसे उसका नकद भुगतान मिलेगा। इससे हमारी परंपरागत खेती बढ़ेगी और किसान पशुधन की तरफ प्रोत्साहित होंगे। हम उपग्रहों के माध्यम से हम इस बात को देख रहे हैं कि किस क्षेत्र में कौन-सी फसल हो सकती है। हम लगातार मृदा परीक्षण करवा रहे हैंै। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य है।
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