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आवरण कथा ‘राह सुगम’ से स्पष्ट है कि भारत में व्यापार करना अब आसान हो गया है। ऐसा खुद विश्व बैंक द्वारा जारी रपट में कहा गया है। विश्व बैंक की रैकिंग में भारत का तीस पायदान ऊपर आना बड़ी बात है। मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में देश विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ा है, इसे अनेक एजेंसियां और संगठन स्वीकार कर रहे हैं। इसके चलते विश्व में भारत का मान-सम्मान भी बढ़ रहा है।
—हरिहर सिंह चौहान, इंदौर (म.प्र.)
नए कारोबार करने में सरलता, आयात-निर्यात में आसानी एवं संपत्ति पंजीकरण में सुधार, यह सब मोदी सरकार के आने के बाद से हुआ है। इसका प्रमुख कारण केन्द्र की सकारात्मक नीतियां हैं जो व्यापारिक क्षेत्र के लिए हितकारी साबित हुई हैं। फिर भी कांग्रेस और अन्य सेकुलर दल इस झुठला रहे हैं। आखिर वे कब तक झूठ फैलाकर जनता के बीच राजनीति करते रहेंगे?
—अनूप राठौर, लाजपत नगर (नई दिल्ली)
राहुल गांधी ने गुजरात और हिमाचल चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी की आड़ लेकर आमजन खासकर व्यापारी वर्ग को बरगलाने की कोशिश की। अपनी सभाओं में कांग्रेस की ओर से राहुल के अलावा उनके नेताओं ने भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत किए जिसे एकबारगी सुनने वाला तो सच ही मान बैठे। लेकिन ऐसे लोगों ने एक बार भी विश्व के विभिन्न संगठनों द्वारा जारी उन रपटों का जिक्र नहीं किया जिनमें भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था का जिक्र किया गया था।
—विमल नारायण खन्ना, कानपुर (उ.प्र.)
कांग्रेस का हिन्दू विरोधी चेहरा
‘हिन्दू विरोध ही कांग्रेस का एजेंडा’ (12 नवंबर, 2017) लेख कांग्रेस के चेहरे को बेनकाब करता है जिसे छिपाकर वह देश पर राज करती रही। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ने कांग्रेस के चेहरे पर लगे परदे को उतार दिया है। यह सच है कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की घातक नीति पर चल कर हिन्दुआें की उपेक्षा की बल्कि हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्द गढ़कर हिन्दू ही नहीं समग्र सनातन संस्कृति का अपमान किया। इन्होंने कभी देश और विश्व में अशांति फैला रहे इस्लामी आतंकवाद पर मुंह नहीं खोला। आखिर इस पाखंड पर चुप्पी क्यों?
—मनोहर मंजुल, प.निमाड़ (म.प्र.)
समाज बांटते सेकुलर
‘हवा केसरिया’ (12, नवंबर, 2017) रपट अच्छी लगी। गुजरात और हिमाचल की जनता कांग्रेस और सेकुलर दलों के बारे में बखूबी जानती है। इन दलों के लिए खुद का हित पहले रहा है। इनके दिमाग में कभी भी राष्ट्रहित की बात नहीं आती। इसलिए ये देश के विकास की सोच ही
नहीं सकते।
—राममोहन चंद्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
वीरों से भरी धरती
‘रणबांकुरों की धरती’ (19 नवंबर, 2017) लेख हरियाणा के गौरव का स्मरण कराता है। वैसे अकेले हरियाणा ही नहीं, देश के सभी क्षेत्रों से मां भारती के लाल सेना में जाते हैं। जब-जब देश पर संकट आता है तो ये वीर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राण तक कुर्बान करने
में नहीं हिचकते। मां भारती के ऐसे रणबांकुरों को नमन।
—श्रीनिवास, फरीदाबाद (हरियाणा)
चाहे बात आतंक प्रभावित कश्मीर की हो, सियाचिन जैसे अतिदुर्गम इलाके में तैनाती की या फिर देश की सीमाओं की रक्षा की, सभी जगह सेना के जवान बड़ी मुस्तैदी के साथ अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। देश पर कोई संकट न आने पाए, इसके लिए वे मौत तक से भिड़ जाते हैं और देश की रक्षा करते हैं। इस सबके बावजूद एक खासवर्ग अपने तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति के लिए कभी-कभी सेना तक को निशाने पर लेने से बाज नहीं आता।
—शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर (राज.)
तंत्र होता मजबूत
लेख ‘उनका निजाम’ (19 नवंबर, 2017) स्पष्ट है चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की देश पर पकड़ मजबूत होती जा रही है। इससे लोकतंत्र के हिमायती न केवल परेशान हैं बल्कि सकते में हैं। लेकिन यह सत्य है कि कम्युनिस्ट पार्टी का आज पूरे तंत्र पर है और वह जैसा चाहती है, वैसा ही हो रहा है।
—सुहासिनी किरनी, गोलीगुडा (तेलंगाना)
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