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सनातन व्यवस्था में अगर शूद्र सहित चार वर्णों का उल्लेख है तो उसी में ‘जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते’ भी कहा गया है और यही शाश्वत है। लेकिन ईसाइयत में ऐसा कुछ नहीं है। इसमें तो नूह और नामह के तीन बेटों से उत्पन्न संतानों का ही उल्लेख है। वंचित कहे जाने वाले शेष लोग कौन हैं?
गंगवा बड़ा उछलते हो तुम…
हिन्दू हो क्या?’’
‘‘हां भाई, हिन्दू हूं।’’
‘‘हिन्दू हो तो कौन से वर्ण में आते हो?’’
‘‘किसमें आना चाहिए मुझे?’’
‘‘तुम अपने को हिन्दू मानते हो तो तुम्हें पता होना चाहिए न कि तुम कौन से वर्ण में आते हो?’’
‘‘नहीं भाई, हमें नहीं पता। आप बता दो कि मैं किस वर्ण में आता हूं?’’
‘‘ब्राह्मण तो हो नहीं सकते तुम। क्षत्रिय भी नहीं हो सकते, वैश्य भी नहीं हो, तो बचा शूद्र और तुम शूद्र में फिट बैठते हो।’’
‘‘तो ठीक है भाई! हम ‘शूद्र’ हुए। हम शूद्र हिन्दू हुए!’’
‘‘…तो तुम शूद्र के शूद्र ही रहोगे। ब्राह्मणों के तलवे चाटते रहोगे। गुलामी करते जिंदगी गुजर जाएगी, क्योंकि तुम्हारा काम ही है इनकी सेवा करना काहे कि तुम ब्रह्मा के पैर से जो जन्मे हो न, तो तुम्हारी जगह उनकी जूतियों तले ही है। ब्राह्मणों की चाटो और शूद्र बन कर गर्व करो… शूद्र गंगवा!’’
‘‘चलिए भाई आपने हमारा वर्ण बता दिया। आभार आपका, लेकिन आप क्या हो भाई? सारी गतिविधियों से पता चल रहा है कि आप कन्वर्ट हो!’’
‘‘जी, मैं कन्वर्ट हूं। मेरे माता-पिता ने कन्वर्ट किया था और मैं जन्मजात ईसाई हूं।’’
‘‘ओके भाई! तो आप कन्वर्ट होकर ईसाइयत के कौन से वर्ण में गए?’’
‘‘क्या बकवास करते हो भाई?’’
‘‘क्या बकवास कर दिया भाई?’’
‘‘बकवास ही तो कर रहे हो। ईसाइयत में कोई वर्ण-सर्ण व्यवस्था नहीं है!’’
‘‘क्या बात करते हो भाई? … कोई वर्ण-व्यवस्था नहीं है?’’
‘‘ बिल्कुल भी नहीं है! ईसाइयत को हिन्दू समझ लिए हो क्या जो वर्ण खोज रहे हो?’’
‘‘…तो मैं पागल हूं क्या, जो आपको ये पूछ रहा हूं?’’
‘‘पागल ही तो हो… ऐसा कोई सिस्टम नहीं ईसाइयत में…’’
अच्छा बेटा! …एगो पोस्ट लिखूंगा। पढ़ लेना।’’
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तो तमाम हलेलुइया वालों के लिए यह रहा-
एडम और ईव से मानव सृष्टि शुरू हुई। बहुत आगे तक चली। दुनिया आबाद हुई, फली-फूली, नूह तक बराबर चली। फिर भयंकर जल-प्रलय आया जिसने सारी मानवता को लील लिया। बस नूह और इनकी बीवी नामह (बीवी के नाम में बहुत भ्रम है, 103 नाम दिए इधर के विद्वान लोग) बची, फिर इन्हीं से वंश आगे बढ़ा और पृथ्वी फिर से आदमियों से भरी-पूरी हुई। नूह के तीन पुत्र हुए- शेम, हैम और जेफेथ। नूह जी गॉड के आदेश से निर्देशित होते थे। जब नूह जी के ऊपर परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी आई तो गॉड ने कहा कि तुम खेती-बाड़ी करो और परिवार पालो। नूह जी ने खेती-बाड़ी शुरू की और इसी क्रम में ही इन्होंने अंगूर की भी खेती की। जब अंगूर पके तो उनसे शराब भी बनाई और जब शराब बनाई तो उनका सेवन भी करने लगे। एक दिन जब शराब पी ली तो कुछ ज्यादा ही चढ़ गई। होश-ठेकान न रहा। तन के सारे कपड़े-लत्ते कब उतर-फुतर गए पता भी न चला और नंगे ही बेसुध होकर निढाल हो गए। अब इसका जो एक बेटवा हैम था न, उ नूह जी को इस हालत में देख लिया। उससे रहा न गया और घटना का बखान हंसते-हंसते चटखारे लेते हुए दोनों भाइयों शेम और जेफेथ से किया। बताया जाता है कि अपने कॉलोनियों के लोगों को भी उसने यह बात बताई। जब दोनों भाइयों ने यह बात सुनी तो वे कपड़ा लेकर गए और मुंह फेरते हुए पिताजी को ढक दिया। सुबह जब नूह जी की नींद खुली और नशा उतरा तो अपनी स्थिति से अवगत हुए। उन्हें हैम के कृत्य का भी पता चला तो आग-बबूला होकर बेटे हैम को श्राप दिया- ‘‘हे हैम! अपने बाप के साथ तुमने ऐसा किया! जाओ हमारा तुम्हारे ऊपर श्राप रहा कि तुम्हारे बेटे और उनके भी बेटे (माने वंशज) तुम्हारे दोनों भाइयों के बेटे के बेटों के गुलाम रहेंगे और उनकी सेवा करेंगे।’’ – उत्पत्ति 9:20-27 (जिनको भी चाहिए मिल जाएगा, नहीं तो गूगल में सर्च कर सकते हैं।)
इस पर बहुत विवाद है कि नूह इतना गुस्सा क्यों हो गए कि बेटे को श्राप देना पड़ा? शराबी की हालत की थोड़ी-बहुत व्याख्या ही तो की थी। इसमें श्राप देने जैसी क्या बात थी? …तो हैम शापित हो गया और उसके पुत्रों को शेम और जेफेथ के पुत्रों की गुलामी करनी थी। ऐसा भी कहा जाता है कि नूह के श्राप से हैम काला हो गया था और उसकी पीढ़ियां भी काली होने लगीं। अब चूंकि हैम तो था नूह का बेटा ही, तो यह नूह की जिम्मेवारी थी कि बेटों को पृथ्वी के किस हिस्से में बसाएं। लिहाजा नूह ने तीन बेटों के लिए पृथ्वी को तीन हिस्सों में बांट दिया। एशिया क्षेत्र शेम का हुआ जो ‘सेमेटिक’ कहलाए। हैम को अफ्रीका दे दिया और ये लोग ‘हेमेटिक’ कहलाए। जेफेथ को पूरा यूरोप दे दिया और ये लोग ‘जेफेथिज’ कहलाए। मतलब शेम के पुत्र सेमिट्ज, हैम के पुत्र हैमिट्ज और जेफेथ के पुत्र जेफेथिज! हैमिट्ज लोग सेमिट्ज और जेफेथिज के दास बोले तो ‘शूद्र’ कहलाए! नूह का जेफेथ को आशीर्वाद था कि तुम दुनिया में विस्तार करोगे, जबकि शेम के जरिये गॉड के दूत उतरेंगे। नूह के आशीर्वाद स्वरूप ही जेफेथिज यानी यूरोपीय अर्थात् अंग्रेज पूरी दुनिया में छाने लगे और जहां भी गए, काले लोगों से उनका सामना हुआ। बाइबिल की थियोलॉजी के अनुसार, उन्हें जरा सा भी पहचानने में दिक्कत न हुई कि ये लोग हैम के वंशज हैं जिनका काम हमारी गुलामी करना है।
जेफेथ की औलादें जब भारत आर्इं तो यहां के लोगों को अपने ही तीन वर्ण में देखा। तब भाषा को आधार बनाकर ‘जाति सिद्धांत’ गढ़ा जाने लगा और 1767 ई. में फादर करडॉक्स ने संस्कृत को जेफेथिज यानी यूरोपीय भाषा से जोड़ा और बताया कि भारत के ब्राह्मण जेफेथ के वंशज हैं अर्थात अपने भाई ही हैं। शेष लोग (अभी के कथित वंचित एससी, एसटी, ओबीसी इत्यादि) कौन हैं? बाकि लोग हैम की औलादें हैं, जिनका काम गुलामी करना है। शेम की औलादों में जोल्हा थे जिनके नाक-नक्श सेमेटिज यानी अरब वालों से मिलती-जुलती थी। अफ्रीकी, अमेरिकी देशों के मूल लोगों के साथ जेफेथिज और सेमेटिज ने क्या-क्या नहीं किए। वह सब केवल बिब्लिकल थियोलॉजी की देन थी और उसी से प्रेरित था। ईसाईयत में आने के बाद किसी भी तौर पर इन्हें जेफेथिज और सेमेटिज नहीं माना जाएगा। इन्हें हैम की ही औलाद यानी हैमिट्ज गिना जाएगा, जिनका काम सेमिट्ज और जेफेथिज की गुलामी करना लिखा है। जहां शूद्र सहित चार वर्ण की बात होती है, वहीं ‘‘जन्मना जायते शूद्र:, कर्मणा द्विज उच्यते’ की भी बात होती है और यही शाश्वत है। कालांतर में विकृतियां जरूर हुई हैं। लेकिन तुम्हारा ऐसा कुछ है क्या? जस्ट लाइक.. ‘‘बाय बर्थ यू आर हैमिट्ज बट ऐज पर योर वर्क यू विल बिकम जेफेथिज।’’
तो हे कन्वर्टेड करिया हैम की औलादो! तुम कन्वर्जन के पहले दिन से ही हैम की औलाद हुए और तुम्हारा काम है शेम और जेफेथ की औलादों की सेवा करना। …सो स्टे विद योर न्यू वर्ण दैट इज अकॉर्डिंग टू यू ‘शूद्र’ एंड इन बिब्लिकल फॉर्म ‘हैमिट्ज’! अब जब-जब तुम शूद्र का तीर मारोगे, तब-तब हम हैमिट्ज का गोला फेंक कर मारेंगे! जे हलेलुइया!!
(आशीष कुमार अंशु की फेसबुक वॉल से)
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