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2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इनमें कर्ज माफी, किसानों को बिचौलियों से छुटकारा दिलाना, रिकॉर्ड फसल खरीद, सोलर पंप और बीज मुहैया कराने जैसे कदम सराहनीय हैं
सुनील रायउत्तर
प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों का कर्ज माफ कर भाजपा सरकार ने केवल चुनावी वादा ही पूरा नहीं किया है, बल्कि 2022 तक अन्नदाताओं की आय दोगुना करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने किसानों किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए रिकॉर्ड 36 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की। अब तक किसानों द्वारा कड़ी मेहनत से उगाई गई फसल पर बिचौलिए मुनाफा कमाते थे। इस खरीद के एवज में सरकार ने किसानों को 6,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं भी चला रही है। इसके तहत किसानों को रबी फसलों (गेहूं, चना, जौ, सरसों आदि) के 48 लाख कुंतल बीज उपलब्ध कराए गए। इसमें 8.5 लाख कुंतल बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर मुहैया कराए गए हैं। इसी तरह, जरूरतमंद किसानों को 50 फीसदी अनुदान पर दलहन के बीज भी उपलब्ध कराए गए। साथ ही, उन्हें कीट नाशक मुफ्त में दिए गए हैं ताकि उनकी फसल को कोई नुकसान न हो। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और बुंदेलखंड में तो बड़े पैमाने पर दलहन एवं तिलहन के बीज मुफ्त वितरित कराए गए। जौनपुर जनपद के किसान अनिल पांडेय बताते हैं, ‘‘हर बार गेहूं बेचने का नंबर आते आते सरकारी खरीद बंद हो जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और सरकारी खरीदी का लाभ सभी को मिला। इसके अलावा, प्रदेश सरकार खाद की उपलब्धता पर नजर रख रही है। पहले किसानों को समय पर खाद बहुत मुश्किल से मिलता था। खाद के लिए किसानों को घंटों तक लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था। अब ऐसा नहीं है।’’
इलाहाबाद के फूलपुर कस्बे के किसान देवराज उपाध्याय बताते हैं, ‘‘राज्य में भाजपा की सरकार बनने से पहले यूरिया लेने के लिए किसानों को रातभर कतार में खड़ा रहना पड़ता था। लेकिन अब यूरिया खाद मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती है।’’ प्रदेश में अब तक सकार केवल गेहूं और धान की ही खरीद करती थी। पहली बार सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से उड़द और मूंग दाल की भी खरीद की है। सरकार ने किसानों से 40 हजार मीट्रिक टन उड़द दाल खरीदा। इसके अलावा, किसान नवीनतम यांत्रिक आविष्कारों का फायदा उठा सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने 158 करोड़ रुपये का अनुदान देते हुए दलहन एवं तिहलन उत्पादकों के बीच साढ़े चालीस हजार कृषि यंत्र वितरित कराए हैं। साथ ही, कम बारिश वाले इलाकों में मौसमी सब्जियों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 20 हजार सोलर पंप लगवाए जा रहे हैं। किसानों को दो से तीन हॉर्स पावर के सोलर पंप 70 प्रतिशत अनुदान पर मुहैया कराए जा रहे हैं, जबकि 5 हॉर्स पावर वाले सोलर पंप 40 प्रतिशत अनुदान पर दिए जा रहे हैं। सरकार के इस कदम से बिजली की बचत तो होगी ही, किसानों के लिए सिंचाई की स्थायी व्यवस्था भी की जा रही है।
हाल के वर्षों में जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, लोगों ने तालाबों को पाट कर उस पर कब्जा कर लिया, जिससे बरसात का पानी जमीन के अंदर तक नहीं पहुंच पा रहा था। इसके कारण भू-जल स्तर में भी गिरावट आ रही थी। इसे देखते हुए सरकार ने खेत-तालाब योजना के तहत बुंदेलखंड में 3,500 तालाब खुदवाए। बड़ी संख्या में तालाब निर्माण के कारण भू-जल स्तर में सुधार हो रहा है। तालाब का पानी सिंचाई और पशु-पालन में भी प्रयुक्त हो रहा है। इसके अलावा, किसानों को छिड़काव पद्धति से सिंचाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। केंद्र सरकार की इस योजना के जरिये राज्य सरकार लघु एवं सीमांत किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर यह सुविधा मुहैया करा रही है, जबकि सामान्य किसानों को इस पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। कौशाम्बी जनपद के अजय कुमार बताते हैं, ’’बीते कई वर्षों से केले की खेती के कारण कहीं-कहीं भू-जल स्तर ढाई सौ फीट से भी नीचे चला गया है। ऐसे में छिड़काव विधि से इन इलाकों में खेती वरदान साबित होगी।
केंद्र सरकार खासतौर से मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए सूबे के 43 जनपदों में मिट्टी की जांच के लिए प्रयोगशाला खोले गए हैं और मिट्टी की जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर किसानों को रसायन आदि इस्तेमाल करने के सुझाव दिए जा रहे हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने फसल बीमा योजना भी लागू किया है, जिसमें 12 क्लस्टर बनाकर बीमा कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई ताकि किसानों को बेहतर लाभ मिल सके। साथ ही, संबंधित बीमा कंपनी का कार्यालय जिला मुख्यालय पर खुलवाया गया है। पहले अक्सर ऐसा होता था कि जिस कंपनी ने बीमा किया है उसका कार्यालय जनपद में नहीं होने से उस जनपद के किसानो को बीमा का लाभ लेने के लिए भटकना पड़ता था।
राज्य सरकार ने रबी एवं खरीफ फसलों के साथ सात जिलों में औद्यानिक खेती भी शुरू कराया है। साथ ही, 100 मंडियों को इंटरनेट से जोड़ा गया है ताकि किसान सीधे अपनी फसल बेच सकें। आॅनलाइन फसल ब्रिकी के लिए यूनीफाइड लाइसेंस जारी किया जाता है। पहले इस लाइसेंस का शुल्क एक लाख रुपये होता था, जिसे घटाकर अब 10,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, किसानों को फसल की बेहतर कीमत मिल सके, इसके लिए ‘फारमर प्रोड्यूस आॅर्गेनाइजेशन’ बनाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से किसानों को खाद और रसायन से जुड़ी तकनीकी जानकारी दी जाएगी। उम्मीद है कि केंद्र एवं राज्य सरकार के मिले-जुले प्रयासों से अन्नदाताओं के दिन जरूर बहुरेंगे।
कर्ज माफी से प्रदेश पर 36,000 करोड़ का बोझलघु एव
ं सीमांत किसानों की फसल कर्ज माफी से उत्तर प्रदेश सरकार पर 36,000 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ा है। राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना के तहत जिन किसानों के खाते में जितना कर्ज बकाया था, उसे माफ किया गया है। करीब दो-तिहाई किसान ऐसे थे, जिन पर 50,000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का कर्ज था।
कुछ किसान ऐसे भी थे, जिन्होंने कर्ज की अधिकांश राशि चुका दी थी और उन पर चंद रुपये का ही बकाया था। इस योजना के तहत उन्हें भी कर्ज माफी मिली। इसे लेकर यह भ्रम फैलाया गया कि कर्ज माफी के नाम पर किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। किसानों को मामूली कर्ज माफी दी गई। इसके अलावा, राज्य सरकार किसानों में जागरुकता लाने के लिए किसान पाठशाला भी शुरू की है। साथ ही, प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
किसानों को बिचौलियों से छुटकारा दिलाने के लिए सीधे फसल खरीदना, पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत बीज मुहैया कराना, मृदा स्वास्थ्य जांच कार्ड जारी करना और फसल बीमा जैसे कदम भी उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार राज्य सरकार अगले पांच वर्षों में किसानों की आय दोगुना करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। उत्तर प्रदेश में 2 लाख 33 हजार किसान हैं, जिनमें 1 लाख 85 हजार लघु और सीमांत किसान हैं।
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