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लॉस एंजेल्स में हॉलीवुड स्थित वेदांत मंदिर में स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की सहधर्मिणी और श्रीमां सारदा का 164वां जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्रीमां का जन्मोत्सव अमेरिका में न्यूयार्क, उत्तरी कैलिफोर्निया, बोस्टन और शिकागो सहित सभी पच्चीस वेदांत केंद्रों में मनाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि श्रीमां का जन्मोत्सव अमेरिका में सामाजिक समरसता के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में मठ के प्रभारी स्वामी सर्वदेवनंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमां जीवन पर्यन्त दीन-दुखियों की पीड़ा दूर करती रहीं।
उन्होंने सदैव विश्व को अपना समझने, किसी को अपरिचित नहीं समझने की प्रेरणा दी। वह इस बात पर जोर देती थीं कि यह पूरा विश्व आपका अपना है। श्रीमां श्री रामकृष्ण परपमहंस के अलौकिक विवाह पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि विवाह के बारह वर्ष बाद जब एक दिन श्रीमां घोर साधना में लिप्त थीं तब
उन्होंने स्वामी रामकृष्ण से पूछा-मैं आपकी कौन हूं?
इस पर रामकृष्ण ने कहा कि जो मां काली की मूर्ति में विराजमान हैं, मैं वही मां आपके रूप में देख रहा हूं। इसके साथ ही उन्होंने श्रीमां के चरणों में जपमाला रख दी थी और अपनी अर्धांगिनी को राज राजेश्वरी के रूप देखना शुरू कर दिया था।
ल्ल ललित मोहन बंसल , लॉस एंजेल्स से
सर्वसमावेशी है भारतीय दर्शन
‘‘भारत की दृष्टि विशाल, विराट एवं सम्यक है। भारत में कभी भी खण्ड-खण्ड में चिंतन नहीं किया गया, बल्कि सभी शास्त्रों को समान दृष्टि से देखा गया है। भारत की सर्वसमावेशी दृष्टि में सभी प्रकार की पूजा पद्धति एवं विचारों का स्वागत किया गया है और समय के अनुसार भारतीय दृष्टि में भी बदलाव हुए हैं।’’ उक्त वक्तव्य राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ़ कृष्ण गोपाल ने दिया। वे गत दिनों माखनलाल चतुर्वेदी राष्टÑीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, भोपाल की ओर से आयोजित ‘ज्ञान संगम’ के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सबके मंगल की कामना ही भारत के दर्शन का आधार रहा है। बड़ा मन, बड़ी दृष्टि और सर्वकल्याण के भाव ने ही भारतीय दृष्टि को दुनिया में श्रेष्ठ बनाया है। भारतीय दृष्टि सबकी विविधता का सम्मान करती है और विविधताओं को स्वीकार कर उन्हें साथ लेकर चलती है। सबमें एक ही तत्व है और सबके मंगल की कामना करना, यह भारतीय दृष्टि का मौलिक दर्शन है। भारत की ज्ञान दृष्टि सभी क्षेत्रों में विश्व का मार्गदर्शन करने वाली रही है। भारतीय दर्शन एवं भारतीयता को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता है। दैनिक जीवन में भी लोग अपने कार्य क्षेत्रों में सभी चीजों में परमात्मा की अनुभूति करते हैं। शत्रु में भी ईश्वर देखना, भारत की परंपरा रही है। समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क एवं जल संसाधन मंत्री डॉ़ नरोत्तम मिश्र उपस्थित थे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो़ बृज किशोर कुठियाला ने की। ल्ल (विसंकें, भोपाल)
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