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हाल ही में स्विट्जरलैंड ने बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष बरहमदाग बुगती को शरण देने से इनकार कर दिया। आवेदन खारिज किए जाने से हैरान बुगती का कहना है कि पाकिस्तान की बातों में आकर स्विट्जरलैंड ने एक तरह से उन्हें आतंकी मान लिया। वे इसे पूरे बलोच समुदाय का अपमान मानते हैं। कभी भारत से शरण मांगने वाले बुगती की प्राथमिकता अब स्विट्जरलैंड में ही रहकर अपने ऊपर लगे आरोपों से बेदाग निकलने की है। साथ ही, वे भारत सहित दुनिया से बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा की जा रहीें बर्बर कार्रवाइयों की ओर ध्यान देने की अपील भी करते हैं। पेश है जिनेवा में रह रहे बलूच नेता बरहमदाग बुगती से अरविंद शरण की फोन पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश:-
स्विट्जरलैंड ने इतने सालों के बाद आखिरकार राजनीतिक शरण के आपके आवेदन को ठुकरा दिया है। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मेरे लिए तो यह हैरान कर देने वाला मसला है। समझ नहीं आ रहा है कि स्विट्जरलैंड जैसा निरपेक्ष मुल्क ऐसा कैसे कर सकता है। हम बड़ी उम्मीदों के साथ यहां पिछले सात साल से थे। हैरानी की बात है कि पूरी दुनिया में इनसानी हकूक की आवाज समझे जाने वाले स्विट्जरलैंड जैसे जम्हूरी मुल्क ने ऐसा फैसला कैसे कर लिया? यहां मानवाधिकार का मुख्यालय है और ऐसे में उनकी खास जिम्मेदारी भी बनती थी। हमारे लिए तो सबसे तकलीफ की बात यह है कि उन्होंने यह सब पाकिस्तान जैसे मुल्क की बातों को मानकर किया, जो खुद दुनियाभर में दहशतगर्दी फैलाता है। यह हम नहीं कहते, पूरी दुनिया कहती है। वहां दहशतगर्द तंजीमों को सरकारी सरपरस्ती हासिल है। फौज से लेकर खुफिया तंत्र तक, सब उनका समर्थन करते हैं। राजधानी इस्लामाबाद तक में दहशतगर्द सरगना खुलेआम घूमते हैं। दहशत के तमाम संगीन सबूतों के बावजूद पाकिस्तान की हुकूमत हाफिज सईद को रिहा कर देती है। अफगानिस्तान, भारत, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी कह रहे हैं कि पाकिस्तान उनके यहां दहशतगर्दी फैला रहा है। अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने तो उन्हें साफ लफ्जों में कहा भी है कि वे खैर चाहते हैं तो दहशतगर्दी का रास्ता छोड़ें। सवाल है कि क्या स्विट्जरलैंड इन सब बातों पर यकीन नहीं करता? आखिर क्या वजह है कि वह अब भी पाकिस्तान का समर्थन करता है? हमें इसी बात से नाउम्मीदी हुई कि आप कैसे एकतरफा हमारे विरुद्ध ऐसा फैसला कर सकते हैं? पाकिस्तान ने कहा और आपने मान लिया कि हम दहशतगर्द हैं। हम कोई काम छिपाकर नहीं करते। वहां बलूचिस्तान में हमारे लोगों का कत्लेआम हो रहा है और हमारा हाल जानवरों से भी बुरा कर रखा है। हम पूरी दुनिया को वहां की हकीकत बताना चाहते हैं तो क्या गलत करते हैं? अपने वतन को छोड़कर कौन बाहर रहना चाहता है? हम यहां मजबूरी में हैं। स्विट्जरलैंड ने कैसे पाकिस्तान की बात मान ली? हम यहां सात साल से हैं, जो करते हैं खुलेआम करते हैं। अगर आपको यकीन नहीं था तो देखते तो कि हम क्या कर रहे हैं? हम तो चाहते हैं कि आप जानें कि हम कौन हैं? क्यों अपने मुल्क से दूर हैं और यहां क्या कर रहे हैं? अगर स्विट्जरलैंड कहता है कि वह एक निरपेक्ष मुल्क है तो पाकिस्तान से क्यों नहीं पूछता कि वह बलूचिस्तान में क्या कर रहा है? क्यों रोज हमारे लोगों को मार रहा है? आप हमारे विरुद्ध महज इल्जाम पर फैसला करते हैं, पर पाकिस्तान के विरुद्ध दहशतगर्दी को समर्थन देने के सबूत होने के बावजूद कदम क्यों नहीं उठाते? मुझे नहीं लगता कि स्विट्जरलैंड निरपेक्ष देश है।
यह मेरी शरण का नहीं, पूरी बलोच कौम का मसला है। आप हम पर दहशतगर्दी का इल्जाम कैसे लगा सकते हैं? वह भी ऐसे मुल्क के कहने पर जो खुद पूरी दुनिया में दहशतगर्दी फैला रहा हो?
पाकिस्तान में दहशतगर्द तंजीमों को सरकारी सरपरस्ती हासिल है। पड़ोसियों के अलावा अमेरिका भी पाकिस्तान के बारे में ऐसी ही बातें करता है। सवाल है कि क्या स्विट्जरलैंड इन सब बातों पर यकीन नहीं करता?
सीपीईसी हमारी जमीन पर बनाई जा रही है। वह जमीन न तो पाकिस्तान की है और न चीन की। सीपीईसी पर बलूचों के विरोध की वजह से ही चीन ने मेरे खिलाफ स्विट्जरलैंड पर दबाव बनाया होगा।
तो अब क्या करेंगे?
उनका फैसला अकेले मेरे नहीं, बल्कि पूरी बलोच कौम के विरुद्ध है। पूरे यूरोप में लोग हमारे शरण को मंजूर करते हैं। लेकिन हम ऐसे इल्जाम को मंजूर नहीं कर सकते। सबसे पहले हम उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे कि उनका फैसला गलत है और पाकिस्तान के इल्जामात बेबुनियाद हैं। अगर नहीं माने तो हम यूरोपीय अदालत में जाएंगे। हमारे सामने और कोई रास्ता नहीं। हम इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते। जब तक खुद को दहशतगर्दी के इल्जाम से बेदाग नहीं निकालते, कोशिश करते रहेंगे।
आपने भारत से शरण मांगी थी। अब जब स्विट्जरलैंड ने अपने दरवाजे आपके लिए बंद कर लिए हैं तो क्या आप भारत से दोबारा बात करेंगे?
हां, मैंने भारत से आश्रय देने की बात की थी। मोदी साहब ने जब बलूचिस्तान की बात की तो हमें अच्छा लगा। हौसला मिला। लेकिन अभी अपने ऊपर लगे इल्जाम के साथ मैं कहीं नहीं जाना चाहूंगा। जैसा मैंने अभी अर्ज किया, अब हमें सबसे पहले स्विट्जरलैंड में ही रहते हुए अपने ऊपर लगे इल्जामात हटाने होंगे। हमें यह साबित करना होगा कि स्विट्जरलैंड का फैसला गलत, गैरजरूरी और गैरआईनी है। उन्हें एक दिन अफसोस करना होगा। इस समय मैं कहीं और चला गया तो इसका मतलब यह होगा कि मैं अपने ऊपर लगे उन इल्जामों की पुष्टि करता हूं। मैं ऐसा नहीं कर सकता। उनका फैसला पूरे बलोच कौम के खिलाफ है। बलूचों की आवाज दबाने की कोशिश है। पूरे यूरोप में बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों की शरण मंजूर की जाती है। इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस में बलूचों की ज्यादा आबादी है और स्वीडन, नॉर्वे में थोड़ी कम। मैंने जिन भी लोगों के आवेदन पर लिखा कि ये बलूचिस्तान रिपब्लिक पार्टी के सदस्य हैं, एक माह के भीतर शरण मिली। अकेला स्विट्जरलैंड ऐसा देश है जहां हमारे शरण के मुद्दे पर ऐसा हो रहा है। मेरा ही नहीं, यहां किसी भी बलोच को आश्रय नहीं दिया गया। हां, भारत से जरूर चाहूंगा कि वह बलूचिस्तान के दर्द को समझे और दुनिया को भी समझाए। भारत एक बहुत ताकतवर मुल्क है, उसकी आवाज दुनिया में सुनी जाती है। हम बलूचों के खिलाफ हो रहे बेइंतहा जुल्म से दुनिया को रूबरू कराना चाहते हैं, क्योंकि हमें बाहर से ही उम्मीद है। हर मुल्क की जिम्मेदारी बनती है कि वह इनसानी रिश्ते के नाते बलूचों पर हो रहे जुल्म को रोकने में भूमिका निभाए, वैसे ही भारत की भी है और यही हमारी भारत से उम्मीद भी है।
आपको क्या लगता है, आपके शरण के आवेदन को ठुकराने के पीछे चीन का हाथ हो सकता है?
जरूर हो सकता है। स्विट्जरलैंड ने मुझे शरण नहीं देने के बाबत बताया तो कहा कि पाकिस्तान के इल्जामात हैं कि मैं दहशतगर्द हूं और मेरे ताल्लुकात बलूचिस्तान के दहशतगर्दों से हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एक और बड़े आजाद मुल्क ने पाकिस्तान के इस इल्जाम की तस्दीक की है। हालांकि उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन मुझे यकीन है कि वह दूसरा मुल्क सौ फीसदी चीन ही होगा। चीन बलूचिस्तान में बड़ी परियोजना लगा रहा है और हम उसके खिलाफ हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) हमारी जमीन पर बनाया जा रहा है और उसमें हमारी इच्छा शामिल नहीं है। वह जमीन न तो पाकिस्तान की है और न चीन की। वह जमीन हमारी है। सीपीईसी पर बलूचों के विरोध की वजह से ही चीन ने मेरे खिलाफ स्विट्जरलैंड पर दबाव बनाया होगा।
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