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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कटासराज मंदिर को लेकर सरकारी अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। उल्लेखनीय है कि इस ऐतिहासिक मंदिर से भगवान राम और हनुमान जी की मूर्तियां गायब हो गई थीं। अदालत ने अधिकारियों से पूछा, ‘‘क्या अधिकारियों के पास मूर्तियां हैं या उन्हें हटा दिया गया है।’’ इस पर सरकार ने गोलमोल जवाब दिया। शीर्ष अदालत कटासराज मंदिर परिसर में स्थित पवित्र सरोवर के सूखने के मामले की सुनवाई कर रही थी। ज्ञातव्य है कि कटासराज मंदिर के आसपास सीमेंट के कई कारखाने हैं। इनके भूजल का दोहन करने से वह सरोवर सूख रहा है। अदालत ने सरकार से सीमेंट कारखानों की पूरी जानकारी मांगी है। यही नहीं, मुख्य न्यायाधीश ने सभी निचली अदालतों को इस मामले की सुनवाई न करने का आदेश दिया है।
एनजीटी का फरमान
राष्टÑीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने 13 दिसंबर को अमरनाथ को शांति क्षेत्र (साइलेंस जोन) घोषित करते हुए कहा, ‘‘तीर्थयात्री अमरनाथ गुफा के पास न तो मंत्रोच्चारण कर सकते हैं और न ही जयकारे लगा सकते हैं। इससे पर्यावरण का नुकसान होता है।’’ हालांकि 14 दिसंबर को एनजीटी ने इस संदर्भ में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उसने ऐसा आदेश नहीं दिया है। उसने सिर्फ इतना कहा है कि केवल शिवलिंग के सामने शांति बनाए रखें। देर से आए इस स्पष्टीकरण से पहले अनेक संगठनों ने इसे हिंदू विरोधी फैसला बताया। वहीं सोशल मीडिया में इसका भारी विरोध हुआ। लोग कह रहे हैं, ‘‘सुबह पांच बजे वातावरण एकदम शांत रहता है। अजान की तीखी आवाज इस शांति को भंग करने का काम करती है। क्या इससे ध्वनि प्रदूषण नहीं होता? एनजीटी इस प्रदूषण को क्यों नहीं रोकता?’’
समन्दर में उतरी कलवरी
14 दिसंबर को मुबंई स्थित गोदी में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पनडुब्बी ‘आईएनएस कलवरी’ को भारतीय नौसेना को सौंपा। डीजल चालित इस पनडुब्बी में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस कारण इसकी मारक क्षमता काफी है। समुद्र के अंदर गहरे जाने वाली यह पनडुब्बी बिना आवाज किए दुश्मन को बर्बाद करने की क्षमता रखती है। इसलिए इसे सागर में भारत की ‘नई शार्क’ कहा जा रहा है। ‘आईएनएस कलवरी’ की कुल लंबाई 67़5 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर से ज्यादा है। कलवरी का ध्येय वाक्य है ‘सदैव आगे’। इससे पता चलता है कि इसे किस सोच के साथ तैयार किया गया है। इस पनडुब्बी में कम रोशनी में काम करने वाले कैमरे लगे हैं, जो समुद्र की सतह पर दुश्मन के जहाज को पकड़ने में
माहिर हैं।
साइबर गुटरगूं
उत्तर प्रदेश ने महिला और सुरक्षा की दिशा में काफी काम किया है। कई पहल की गई हैं, जिनसे महिलाओं पर होने वाले अपराधों में कमी आई है।
—योगी आदित्यनाथ
’’’’
प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि राष्ट्रीय आत्मसम्मान के लिए भारतीय वैज्ञानिकों का एक दल बनाएं जो रामसेतु के स्वरूप का अनुसंधान करे, उसमें वैज्ञानिक और इतिहासकार दोनों
शामिल हों। —मालिनी अवस्थी
ऊंचा बोले, बिगड़े ‘जनाब’
प्रख्यात वकील राजीव धवन ने पिछले दिनों मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को एक पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली सरकार से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान हुए अपमान से वे आहत हैं, इसलिए वे अब अदालत में जिरह नहीं करेंगे। दरअसल, 6 दिसंबर को दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले की सुनवाई के अंतिम दिन मुख्य न्यायाधीश और उनके बीच तीखी बहस हो गई थी और धवन ने काफी ऊंची आवाज में बात की थी। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि मामले में भी सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा ही हुआ़ था। इससे मुख्य न्यायाधीश नाराज हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते हैं कि वे ऊंची आवाज में बहस कर सकते हैं, जबकि वे यह नहीं जानते कि इस तरह बहस करना बताता है कि वे वरिष्ठ वकील होने के लिए सक्षम नही हैं।’’
हैरानी भरे आंकड़े
ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि पाकिस्तानी मूल के लोगों का एक गिरोह वहां की महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार और अमानवीय व्यवहार करता है। यह गिरोह मादक पदार्थों की आड़ में महिलाओं को फंसाता है और उनके साथ बलात्कार करता है। जो महिला उनकी बात नहीं मानती, उसके साथ ये लोग मारपीट करते हैं। अध्ययन में 2005 से 2017 तक के 58 मामलों को शामिल किया गया था। इन मामलों में 264 लोगों को दोषी ठहराया गया था। दोषियों में 222
लोग एशियाई मूल के और उनमें भी सबसे अधिक पाकिस्तानी थे। यह अध्ययन ‘क्विलियम’ नामक एक विचार समूह ने किया है। इस समूह का नेतृत्व पाकिस्तानी मूल के लोगों के पास ही है। इसलिए इस समूह की रपट पर उंगली नहीं उठाई जा सकती।
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